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This Article is From Apr 25, 2016

सिंगापुर के विदेश मंत्री बोले- भारत में बीफ को लेकर राजनीति से परेशानी

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सिंगापुर के विदेश मंत्री बोले- भारत में बीफ को लेकर राजनीति से परेशानी
प्रतीकात्मक तस्वीर
सिंगापुर: भारत में बीफ के सेवन को लेकर हुई राजनीति को लेकर देश के बाहर तक चिंता के स्वर उभरे और सिंगापुर के विदेश मंत्री जॉर्ज येओ ने कहा कि भारत में इस मुद्दे पर मची उथलपुथल से वह 'परेशान' हो गए थे।

नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर हैं येओ
येओ बिहार में वैश्विक संस्थान के तौर पर विकसित किए जा रहे नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर हैं। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार रवि वेल्लूर की नई किताब में एक लंबी प्रस्तावना लिखी है, जिसमें उन्होंने बताया है कि उनके एक शुभचिंतक ने उन्हें फेसबुक पर डाले गए एक पोस्ट को डिलीट करने का सुझाव दिया था। इस पोस्ट में येओ को बीफ के नूडल्स खाते हुए बताया गया था।

अपने परिवार की बीफ खाते हुए तस्वीर फेसबुक पर डाली थी
61 वर्षीय राजनीतिज्ञ ने कहा कि जब कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री के बेटे ने उन्हें वह पोस्ट डिलीट करने का सुझाव दिया, तो वह परेशान हो गए थे। येओ ने लिखा है, 'मैंने अपनी और अपनी पत्नी की हावर्ड स्क्वायर में फो (वियतनामी बीफ नूडल्स) खाते हुए एक तस्वीर अपलोड की थी।' उन्होंने लिखा है 'कांग्रेस के पूर्व नेता के बेटे ने सोचा कि इससे नालंदा विश्वविद्यालय के नए चांसलर के तौर पर मेरी भूमिका को लेकर भारत में नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है।' येओ ने लिखा 'मैं उनका मतलब अच्छी तरह समझ गया। लेकिन उनकी सलाह का पालन नहीं किया, हालांकि उसकी यह बात मुझे परेशान कर गई।'

...तो नरेंद्र मोदी को अलग तरह से देखती दुनिया
वेल्लूर की किताब 'इंडिया राइजिंग : फ्रेश होप्स, न्यू फीयर्स' का पिछले हफ्ते ही विमोचन किया गया। येओ ने कहा कि भारतीय सभ्यता में सहिष्णुता और विविधता भारत में कम हिंसक होने के अहम कारण हैं। जब तक यह परंपरा रहेगी, विश्व में इसका योगदान केवल राजनीतिक तथा आर्थिक न होकर इससे कहीं ज्यादा रहेगा। वेल्लूर का कहना है कि गुजरात में वर्ष 2002 में ट्रेन जलाने की घटना अगर 100 किमी पहले, मध्य प्रदेश में हुई होती तो दुनिया नरेंद्र मोदी को अलग तरह से देखती। किताब में यह भी कहा गया है कि तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने ही थे और उन्होंने दंगों से निपटने के लिए तीन पड़ोसी देशों से पुलिस बल मांगे थे, लेकिन उन्हें मदद देने से मना कर दिया गया था।

किताब के अनुसार, शुरुआती लड़खड़ाहट के बाद गुजरात में मोदी के कार्यकाल में लंबे समय तक शांति रही। इस किताब में वैश्विक शक्ति के तौर पर भारत के उदय के बारे में बताते हुए हालांकि यह भी कहा गया है कि देश के बारे में उत्सुकता के साथ साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि विदेशों में बसे इसके करीबी दोस्तों को इसके धर्मनिरपेक्ष तानेबाने में तनाव को लेकर चिंता सता रही है।

धर्मनिरपेक्षता को लेकर चिंता का भी जिक्र
किताब में कहा गया है कि देश के अल्पसंख्यकों की चिंता दूर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने भी पर्याप्त प्रयास नहीं किए हैं। वेल्लूर ने अन्य नेताओं द्वारा जताई गई ऐसी ही चिंता का भी जिक्र किया है। जनवरी 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत की अपनी दूसरी यात्रा के दौरान चेताया था कि भारत तब तक सफल रहेगा, जब तक वह धार्मिक आधार पर न बंटे।

इसी तरह नवंबर में मोदी के लिए आयोजित आधिकारिक भोज के दौरान सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने मोदी के गुजरात राज्य से आए मुस्लिमों सहित द्वीपीय देश के अल्पसंख्यक समूहों के योगदान की ओर ध्यान आकर्षित किया था। किताब के अनुसार सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री थर्मन शरमुगारत्नम ने मोदी को उस यात्रा के दौरान एक संबोधन के बाद सिरेमिक का एक गुलदस्ता भेंट किया था जो देश के एक प्रख्यात मुस्लिम कलाकार ने तैयार किया था।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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