प्रतीकात्मक चित्र
बीजिंग:
चीन ने रविवार को कहा कि आतंकवाद और धार्मिक चरमपंथ की वकालत करने वाले वीडियो क्लिप देखने और कथित आतंकी संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किए गए 46 वर्षीय भारतीय और 19 अन्य विदेशियों ने अपनी ‘गैर-कानूनी गतिविधियों’ की बात स्वीकार कर ली है।
गिरफ्तार किए जाने के बाद भारतीय राजीव मोहन कुलश्रेष्ठ तथा अन्य 19 विदेशियों को जमानत दे दी गई। दिल्ली के कारोबारी कुलश्रेष्ठ को कल भारत वापस भेज दिया गया। 19 विदेशियों में से ज्यादातर ब्रिटिश और दक्षिण अफ्रीकी नागरिक हैं। इन सभी को इनके देश भेज दिया गया है।
दक्षिण अफ्रीका आधारित चैरिटी संस्था ‘गिफ्ट ऑफ गिवर्स’ की ओर से 19 अन्य विदेशी नागरिकों के साथ राजीव मोहन कुलश्रेष्ठ चीन गए थे। इन सभी को होटल के कमरे में कथित रूप से आतंकवाद और धार्मिक चरमपंथ की वकालत करने वाले वीडियो क्लिप देखने के आरोप में चीन के इनर मंगोलिया प्रांत के ओडरेस शहर से हिरासत में लिया गया था।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि पुलिस की जांच के अनुसार, विदेशियों ने होटल के कमरे में एक वृत्तचित्र देखा। फिर इनमें से कुछ लोग चले गए और बाकी लोग आतंकवाद की वकालत करने वाले वीडियो क्लिप देखने लगे। बाद में पुलिस ने ऐसे ही वीडियो दक्षिण अफ्रीका के एक नागरिक हुसैन इस्माइल जैकब के सेलफेन में भी स्टोर किया हुआ पाया।
इसके बाद पुलिस ने 20 में से नौ को पकड़ा और शेष को चीन से जाने की अनुमति दे दी।
खबर में कहा गया है कि पुलिस ने पांच दक्षिण अफ्रीकी, तीन ब्रिटिश और एक भारतीय नागरिक को 11 जुलाई को चीन के आपराधिक कानून के अंतर्गत पकड़ा। इस कानून के तहत, आतंकवादी समूहों में शामिल होने, उनकी अगुवाई करने या उनका आयोजन करने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इसमें कहा गया है ‘‘सभी बंदियों ने आतंकवादी कृत्यों की बात स्वीकार कर ली है और उन्हें पछतावा है। पुलिस ने नरम सजा दी और उन्हें कल उनके देश वापस भेज दिया गया। अन्य 11 विदेशियों को बुधवार को उनके देश भेजा गया।’’
ओडरेस के विदेश मामलों के कार्यालय ने बताया कि सूचना मिलने के बाद चीन में संबंधित विदेशी दूतावासों के राजनयिक मामले में कथित तौर पर लिप्त अपने अपने नागरिकों के पास गए। सभी बंदियों को ठीक से रखा गया था।
चीन में भारतीय राजदूत के कांता ने कल बताया कि पिछले कुछ दिनों से ध्यान कुलश्रेष्ठ की रिहाई पर केंद्रित था और भारतीय दूतावास ने चीन से उन परिस्थितियों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है जिनमें कुलश्रेष्ठ को गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ्तार किए जाने के बाद भारतीय राजीव मोहन कुलश्रेष्ठ तथा अन्य 19 विदेशियों को जमानत दे दी गई। दिल्ली के कारोबारी कुलश्रेष्ठ को कल भारत वापस भेज दिया गया। 19 विदेशियों में से ज्यादातर ब्रिटिश और दक्षिण अफ्रीकी नागरिक हैं। इन सभी को इनके देश भेज दिया गया है।
दक्षिण अफ्रीका आधारित चैरिटी संस्था ‘गिफ्ट ऑफ गिवर्स’ की ओर से 19 अन्य विदेशी नागरिकों के साथ राजीव मोहन कुलश्रेष्ठ चीन गए थे। इन सभी को होटल के कमरे में कथित रूप से आतंकवाद और धार्मिक चरमपंथ की वकालत करने वाले वीडियो क्लिप देखने के आरोप में चीन के इनर मंगोलिया प्रांत के ओडरेस शहर से हिरासत में लिया गया था।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि पुलिस की जांच के अनुसार, विदेशियों ने होटल के कमरे में एक वृत्तचित्र देखा। फिर इनमें से कुछ लोग चले गए और बाकी लोग आतंकवाद की वकालत करने वाले वीडियो क्लिप देखने लगे। बाद में पुलिस ने ऐसे ही वीडियो दक्षिण अफ्रीका के एक नागरिक हुसैन इस्माइल जैकब के सेलफेन में भी स्टोर किया हुआ पाया।
इसके बाद पुलिस ने 20 में से नौ को पकड़ा और शेष को चीन से जाने की अनुमति दे दी।
खबर में कहा गया है कि पुलिस ने पांच दक्षिण अफ्रीकी, तीन ब्रिटिश और एक भारतीय नागरिक को 11 जुलाई को चीन के आपराधिक कानून के अंतर्गत पकड़ा। इस कानून के तहत, आतंकवादी समूहों में शामिल होने, उनकी अगुवाई करने या उनका आयोजन करने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इसमें कहा गया है ‘‘सभी बंदियों ने आतंकवादी कृत्यों की बात स्वीकार कर ली है और उन्हें पछतावा है। पुलिस ने नरम सजा दी और उन्हें कल उनके देश वापस भेज दिया गया। अन्य 11 विदेशियों को बुधवार को उनके देश भेजा गया।’’
ओडरेस के विदेश मामलों के कार्यालय ने बताया कि सूचना मिलने के बाद चीन में संबंधित विदेशी दूतावासों के राजनयिक मामले में कथित तौर पर लिप्त अपने अपने नागरिकों के पास गए। सभी बंदियों को ठीक से रखा गया था।
चीन में भारतीय राजदूत के कांता ने कल बताया कि पिछले कुछ दिनों से ध्यान कुलश्रेष्ठ की रिहाई पर केंद्रित था और भारतीय दूतावास ने चीन से उन परिस्थितियों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है जिनमें कुलश्रेष्ठ को गिरफ्तार किया गया था।
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