लीबिया और सीरिया सरीखे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष एकपक्षीय हस्तक्षेपों के खिलाफ चेतावनी देते हुए भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि विवादों को संभालने और क्षेत्रीय तनाव को कम करने के लिए बहुपक्षीय परामर्श प्रक्रिया को मजबूत करने की जरूरत है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने कल यहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'लीबिया और सीरिया में देखे गये एकपक्षीय हस्तक्षेपों की तरह की कार्रवाई के अनपेक्षित और खतरनाक नतीजे देखे गये हैं।' उन्होंने कहा, 'हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए मौजूद बहुपक्षीय परामर्श और कार्रवाई की प्रक्रियाओं तथा संस्थानों के उपयोग को सुधारने और उन्हें मजबूत करने की जरूरत है।'
मेनन ने कहा कि पिछले 50 साल में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों ने बड़े विवादों और मतभेदों के बावजूद संघषोर्ं को संभालने की परिपक्वता और क्षमता प्रदर्शित की है।
उन्होंने कहा कि एक समय स्थिर रहे पूर्वी एशिया जैसे क्षेत्र अब पहले की तरह शांतिपूर्ण नहीं हैं।
मेनन ने कहा, 'आतंकवाद की पहुंच वैश्विक हो गई है और यह सभी क्षेत्रों में बढ़ रहा है जैसा कि मध्य अफ्रीका, सीरिया, लीबिया और पाकिस्तान-अफगानिस्तान में दिखाई देता है।' उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम का भी जिक्र करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर प्रगति हुई है।
मेनन ने कहा, 'भारत की मुख्य रचि देश के बदलाव के लिए बाहरी माहौल को सक्षम बनाना है। इसके लिए शांतिपूर्ण परिवेश और स्थिर अंतरराष्ट्रीय माहौल की जरूरत है जो भारत की सुरक्षा, विकास तथा तरक्की के लिए मददगार है।'
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