नई दिल्ली:
‘राजनीतिक जोखिम’ मोल लेकर भारत को यूरेनियम की आपूर्ति नहीं करने की दीर्घकालिक नीति को सकारात्मक तरीके से पलटने के लिए विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने देश की ओर से बुधवार को ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड का शुक्रिया अदा किया।
गिलार्ड से मुलाकात में कृष्णा ने अफगानिस्तान के हालात सहित अन्य महत्वपूर्ण द्विपक्षीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। आधिकारिक सूत्रों ने बताया, ‘परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले भारत के लिए यूरेनियम आपूर्ति की नीति सकारात्मक तरीके से पलटने और ऐसा करने में राजनीतिक जोखिम मोल लेने के लिए कृष्णा ने उनका शुक्रिया अदा किया।’’
सूत्रों ने कहा कि ऊर्जा की कमी से जूझ रहे भारत के लिए परमाणु ऊर्जा की अहमियत से भी विदेश मंत्री ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री को अवगत कराया। दोनों नेताओं ने भारतीय छात्रों की संरक्षा एवं सुरक्षा के बाबत ऑस्ट्रेलिया की ओर से उठाए गए कदमों पर भी बातचीत की।
अफगानिस्तान से सोमवार को यहां पहुंची गिलार्ड और कृष्णा ने अफगानिस्तान के हालात और साल 2014 में पश्चिमी बलों की वापसी के बाद के परिदृश्य पर भी चर्चा की। नाटो बलों को छोड़ दें तो अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा सैनिक ऑस्ट्रेलिया की ओर से ही तैनात किए गए हैं।
गिलार्ड ने बाद में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर उनके साथ चर्चा की। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं की चर्चा में व्यापार एवं निवेश, उर्जा, भारत के आर्थिक विकास के लिए संसाधनों की आपूर्ति, शिक्षा, दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क जैसे मुद्दे शामिल रहे।
बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने जी-20 जैसे बहुपक्षीय मंचों में सहयोग के मुद्दे पर भी बातचीत की। गौरतलब है कि साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ अपनी सामरिक साझेदारी मजबूत करने के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के तहत स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी को ऑस्ट्रेलिया की ओर से समर्थन दिए जाने की भी तारीफ की। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधार के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
गिलार्ड से मुलाकात में कृष्णा ने अफगानिस्तान के हालात सहित अन्य महत्वपूर्ण द्विपक्षीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। आधिकारिक सूत्रों ने बताया, ‘परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले भारत के लिए यूरेनियम आपूर्ति की नीति सकारात्मक तरीके से पलटने और ऐसा करने में राजनीतिक जोखिम मोल लेने के लिए कृष्णा ने उनका शुक्रिया अदा किया।’’
सूत्रों ने कहा कि ऊर्जा की कमी से जूझ रहे भारत के लिए परमाणु ऊर्जा की अहमियत से भी विदेश मंत्री ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री को अवगत कराया। दोनों नेताओं ने भारतीय छात्रों की संरक्षा एवं सुरक्षा के बाबत ऑस्ट्रेलिया की ओर से उठाए गए कदमों पर भी बातचीत की।
अफगानिस्तान से सोमवार को यहां पहुंची गिलार्ड और कृष्णा ने अफगानिस्तान के हालात और साल 2014 में पश्चिमी बलों की वापसी के बाद के परिदृश्य पर भी चर्चा की। नाटो बलों को छोड़ दें तो अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा सैनिक ऑस्ट्रेलिया की ओर से ही तैनात किए गए हैं।
गिलार्ड ने बाद में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर उनके साथ चर्चा की। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं की चर्चा में व्यापार एवं निवेश, उर्जा, भारत के आर्थिक विकास के लिए संसाधनों की आपूर्ति, शिक्षा, दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क जैसे मुद्दे शामिल रहे।
बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने जी-20 जैसे बहुपक्षीय मंचों में सहयोग के मुद्दे पर भी बातचीत की। गौरतलब है कि साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ अपनी सामरिक साझेदारी मजबूत करने के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के तहत स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी को ऑस्ट्रेलिया की ओर से समर्थन दिए जाने की भी तारीफ की। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधार के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
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