संयुक्त राष्ट्र की एक निगरानी संस्था ने कहा है कि भारतीय कानून प्रवर्तन एवं न्याय अधिकारियों ने यौन हमलों का मुकाबला करने के लिए बखूबी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है।
उत्तर प्रदेश में दो लड़कियों से सामूहिक बलात्कार और उनकी हत्या की खौफनाक घटना पर हुए हंगामे के मद्देनजर यह बात कही गई है। संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति के उपाध्यक्ष बेनयाम मेजमूर ने बताया कि बलात्कार के मामलों से कर्तव्य में लापरवाही का संबंध है।
नई दिल्ली में दिसंबर, 2012 में एक लड़की से हुए सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद से भारत यौन हिंसा के मुद्दे पर अपनी छवि बचाने के लिए मशक्कत कर रहा है। इस घटना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई थी।
गौरतलब है कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश के एक गांव में 12 और 14 साल की दो लड़कियों से सामूहिक बलात्कार तथा उनकी हत्या किए जाने के बाद लोगों में फिर रोष छा गया है। सुखिर्यां बनने वाले अन्य मामले अधिकारियों पर दबाव बढ़ाते जा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की समिति 18 स्वतंत्र सदस्यों को लेकर बनाई गई है, जो अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार संधियों को लागू किए जाने की निगरानी कर रही है।
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