भारत सरकार ब्रिटेन के सांसदों की 'कश्मीर में राजनीतिक एवं मानवीय स्थिति' पर गुरुवार को चर्चा करने की योजना पर नाराजगी जाहिर की है।
मीडिया की रपट के मुताबिक, भारत ने इस कदम को कश्मीर में भारत की भूमिका की आलोचना करने का एक प्रयास माना है।
भारत ने इस कदम को क्षेत्र पर उसकी संप्रभुता पर सवाल खड़ा करना भी करार दिया है। मजेदार बात यह है कि जिस समय कश्मीर पिछले 100 वर्षों के सबसे भीषणतम बाढ़ का सामना कर रहा है, उसी समय वहां की स्थिति पर चर्चा कराई जा रही है।
लिबरल डेमोक्रेटिक सांसद डेविड वार्ड ने चर्चा कराने की मांग की है जिसमें सरकार के साथ ही साथ विपक्षी प्रवक्ता भी हिस्सा लेंगे। हाउस ऑफ कामन्स में वार्ड ब्रैडफोर्ड ईस्ट का प्रतिनिधित्व करते हैं। ब्रैडफोर्ड सिटी ब्रिटेन में पाकिस्तानी मूल के लोगों का सबसे बड़ा रिहाइशी इलाका माना जाता है। इससे पहले भी ऐसे घटक अपने सांसदों पर कश्मीर को लेकर दबाव बना चुके हैं।
यह चर्चा हाउस ऑफ कामन्स के मुख्य सदन में नहीं होगी, बल्कि ब्रिटिश संसद की कमेटी रूम में आयोजित की जाएगी। लेकिन इसके विषय अधिकृत रूप से दर्ज किए जाएंगे।
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी शरत बोस की 125वीं जयंती के मौके पर सप्ताहांत में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए ब्रिटेन में भारतीय उपउच्चायुक्त विरेंद्र पॉल ने यह कह कर हैरत में डाल दिया कि 'समय-समय पर हमने यह पाया है कि समाज के कुछ तबके में कुछ प्रवृत्ति है जो हमारे मजबूत रिश्ते के पक्ष में नहीं हैं।'
उन्होंने वास्तव में चेतावनी दी, "हमें नजर रखने की जरूरत है और इस तरह के प्रयास से सतर्क भी रहना है।"
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