इरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ ने आज विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की. ये मुलाकात पहले से तय नहीं थी.
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में भारत ने ये साफ कहा कि कि इरान से तेल खरीद का फैसला चुनाव के बाद ही होगा और व्यवसायिक, आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही होगा. दोनों ही पक्षों ने चाबहार बंदरगाह के काम में प्रगति पर संतोष जताया.
सूत्रों के मुताबिक दोनों ने अफगानिस्तान में बदलते हालात पर भी चर्चा की और इस पर समन्वय का निर्णय किया. इसके अलावा इरान ने क्षेत्रीय स्थिति, JCPOA,और द्वपक्षीय सहयोग पर भी बात की. इरान पहले ही क्षेत्र के दूसरे देशों रूस, चीन, तुर्कमेनिस्तान और इराक से भी बातचीत कर चुका है. इरान के विदेश मंत्री ने ये भी बताया कि परमाणु संधि के हिस्सा यूरोपियन और दूसरे देशों को 60 दिन का वक्त दिया गया है ताकि वो तेल निर्यात और बैंकिंग सुविधाएं फिर से बहाल कर सकें.
इस बीच इरान और अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढता जा रहा है. 2018 में अमेरिका ने ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस के साथ मिलकर इरान के साथ की हुई परमाणु संधि से किनारा कर लिया और इरान पर प्रतिबंध लगा दिए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इरान से बैंकिंग चैनल फ्रीज़ कर दिए और तेल आयात करने वाले देशों को आयात खत्म न करने पर प्रतिबंध की चेतावनी दी. भारत के लिए ये एक बड़ी समस्या है. चीन के बाद भारत इरान के तेल का सबसे बड़ा आयातक है. 2017-18 में भारत प्रति दिन चार लाख बावन हज़ार बैरल तेल इरान से खरीद रहा था.
सूत्र बताते हैं कि पिछले हफ्ते दिल्ली आए अमेरिकी वाणिज्य मंत्री के सामने भी इरान से से तेल आयात करने की बात उठाई गई थी. लेकिन अब ये साफ है कि इरान के तेल पर कोई भी फैसला 23 मई के बाद नई सरकार के आने पर ही होगा.