
चीन का कहना है कि भारत को एनपीटी पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए
- वार्ता ठोस और रचनात्मक रही, निर्देश के मुताबिक वार्ता जारी रहेगी
- सोल में एनएसजी की जून में हुई बैठक में चीन ने लगाया था अड़ंगा
- अगले दो महीनों में फिर हो सकती है एनएसजी की महत्वपूर्ण बैठक
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बीजिंग:
भारत और चीन ने बीजिंग में अपने शीर्ष परमाणु विशेषज्ञों के बीच दूसरे दौर की वार्ता के दौरान एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए सोमवार को ‘ठोस और रचनात्मक’ वार्ता की.
सूत्रों ने बताया कि 13 सितंबर को नई दिल्ली में इस तरह की पहली बैठक के बाद भारत और चीन ने बीजिंग में एनएसजी मुद्दे पर अपनी चर्चा जारी रखी जब संयुक्त सचिव (निरस्त्रीकरण एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा) अमनदीप सिंह गिल ने हथियार नियंत्रण विभाग के महानिदेशक वांग कुन से मुलाकात की.
सूत्रों ने बताया कि वार्ता ठोस और रचनात्मक रही. नेतृत्व के निर्देश के मुताबिक वार्ता जारी रहेगी. वार्ता के दौरान भारत ने एक बार फिर चीन पर इस बात के लिए जोर दिया कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के सिद्धांतों को लागू करना सर्वश्रष्ठ चीज है. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए अगले दो महीनों में एक संभावित अनौपचारिक परामर्श से पहले यह वार्ता हुई है जिसकी अध्यक्षता अर्जेंटीना के राजदूत राफेल ग्रोस्सी ने की.
गौरतलब है कि सोल में एनएसजी की जून में हुई बैठक में अमेरिका के मजबूत समर्थन के बावजूद चीन ने इसमें भारत की सदस्यता की कोशिश में इस आधार पर अड़ंगा लगा दिया था कि उसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है. दक्षिण कोरिया में हुई बैठक में मुख्य वार्ताकार रहे वांग ने संवाददाताओं से कहा था कि एनपीटी पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य है. साथ ही यह भी कहा था कि नियम चीन ने नहीं बनाया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बनाया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सूत्रों ने बताया कि 13 सितंबर को नई दिल्ली में इस तरह की पहली बैठक के बाद भारत और चीन ने बीजिंग में एनएसजी मुद्दे पर अपनी चर्चा जारी रखी जब संयुक्त सचिव (निरस्त्रीकरण एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा) अमनदीप सिंह गिल ने हथियार नियंत्रण विभाग के महानिदेशक वांग कुन से मुलाकात की.
सूत्रों ने बताया कि वार्ता ठोस और रचनात्मक रही. नेतृत्व के निर्देश के मुताबिक वार्ता जारी रहेगी. वार्ता के दौरान भारत ने एक बार फिर चीन पर इस बात के लिए जोर दिया कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के सिद्धांतों को लागू करना सर्वश्रष्ठ चीज है. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए अगले दो महीनों में एक संभावित अनौपचारिक परामर्श से पहले यह वार्ता हुई है जिसकी अध्यक्षता अर्जेंटीना के राजदूत राफेल ग्रोस्सी ने की.
गौरतलब है कि सोल में एनएसजी की जून में हुई बैठक में अमेरिका के मजबूत समर्थन के बावजूद चीन ने इसमें भारत की सदस्यता की कोशिश में इस आधार पर अड़ंगा लगा दिया था कि उसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है. दक्षिण कोरिया में हुई बैठक में मुख्य वार्ताकार रहे वांग ने संवाददाताओं से कहा था कि एनपीटी पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य है. साथ ही यह भी कहा था कि नियम चीन ने नहीं बनाया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बनाया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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