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This Article is From Aug 19, 2023

भारतीय मूल के यूके डॉक्टर ने एक साल में 7 नवजात बच्चों को मारने वाली नर्स को पकड़ने में मदद की

ब्रिटेन की क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने बताया कि 2015 और 2016 के बीच अस्पताल के नवजात वार्ड में कुल 13 शिशुओं पर गुपचुप तरीके से हमला करने के लिए लेटबी ने कई तरीके अपनाए.

भारतीय मूल के यूके डॉक्टर ने एक साल में 7 नवजात बच्चों को मारने वाली नर्स को पकड़ने में मदद की
डॉ जयराम ने कहा, ‘‘10 मिनट से भी कम समय तक हमारी बातें सुनने के बाद पुलिस जांच शुरू हुई और लेटबी की गिरफ्तारी हुई."
लंदन:

उत्तरी इंगलैंड के एक अस्पताल में कार्यरत भारतीय मूल का एक बाल चिकित्सक उन लोगों में शामिल हैं जिनकी मदद से ब्रिटिश अदालत ने शुक्रवार को एक नर्स को सात शिशुओं की हत्या का दोषी ठहराया. चेस्टर के ‘काउंटेस ऑफ चेस्टर' अस्पताल के चिकित्सक रवि जयराम ने कहा कि इस पूर्व नर्स के बारे में यदि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया गया होता और पुलिस को खबर दी गई होती तो कुछ शिशुओं की जान बचाई जा सकती थी.

मैनचेस्टर क्राउन अदालत में जूरी ने नर्स लूसी लेटबी (33) को शुक्रवार को सात नवजात शिशुओं की हत्या करने और छह अन्य शिशुओं की हत्या की कोशिश करने का दोषी पाया. उसे सोमवार को इसी अदालत में सजा सुनाई जाएगी.

जयराम ने फैसले के बाद ‘आईटीवी न्यूज' से कहा, ‘‘मैं वाकई मानता हूं कि चार या पांच बच्चे , जो आज स्कूल जा रहे होते, (इस दुनिया में) नहीं हैं.''

तीन बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर हुए चिंतित

उन्होंने कहा कि जून, 2015 में तीन शिशुओं की मौत के बाद पहली बार चिकित्सक चिंता प्रकट करने लगे तथा जब और बच्चों की मौत हो गई तब उनके जैसे कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों ने लेटबी के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए अस्पताल के वरिष्ठ कार्यकारियों के साथ कई बैठकें की.

आखिरकार, अप्रैल, 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा न्यास (नेशनल हेल्थ सर्विस ट्रस्ट) ने चिकित्सकों को एक पुलिस अधिकारी से मिलने की अनुमति दे दी.

डॉ जयराम ने कहा, ‘‘10 मिनट से भी कम समय तक हमारी बातें सुनने के बाद पुलिस को अहसास हुआ कि यह कुछ ऐसी बात है कि जिसमें उसे भी उतरना चाहिए. ..'' इसके बाद जांच शुरू हुई और लेटबी की गिरफ्तारी हुई.

लेटबी ने बच्चों की हत्या के लिए कई तरीके अपनाए

ब्रिटेन की क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने बताया कि 2015 और 2016 के बीच अस्पताल के नवजात वार्ड में कुल 13 शिशुओं पर गुपचुप तरीके से हमला करने के लिए लेटबी ने कई तरीके अपनाए.

सीपीएस के अनुसार लूसी लेटबी (33) ने रक्त प्रवाह में हवा पहुंचाने, ‘नैसोगैस्ट्रिक ट्यूब' के माध्यम से उनके पेट में हवा और दूध पहुंचाने समेत विभिन्न तरीकों से इन नवजात शिशुओं को जान-बूझकर नुकसान पहुंचाया.

सीपीएस का कहना है कि लेटबी का मकसद शिशुओं की जान लेना होता था, लेकिन वह अपने सहकर्मियों को यह विश्वास दिलाती थी कि मौतें प्राकृतिक रूप से हुई हैं.

अभियोजन पक्ष के वकील निक जॉनसन ने कहा कि लुसी लेटबी ने अपने सहयोगियों को यह विश्वास दिलाया कि लगातार हो रही मौतें "सिर्फ दुर्भाग्य का परिणाम" थीं. लूसी लेटबी के अंतिम शिकार दो ट्रिपलेट लड़के थे, जिन्हें अदालत में शिशु 'ओ' और 'पी' कहा गया था.

जून 2016 में लूसी लेटबी के इबीसा में छुट्टी से लौटने के तुरंत बाद बच्चे 'ओ' की मौत हो गई, जबकि बच्चे 'पी' की उनके भाई-बहन के एक दिन बाद मौत हुई. यह भी कहा गया था कि लूसी लेटबी ने तीसरे बच्चे 'क्यू' को मारने का प्रयास किया था.

नियंत्रण से बाहर हो गई थी लूसी लेटबी

जॉनसन ने कहा कि उस समय तक लूसी लेटबी "पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर" हो गई थी, और कहा कि "वह वास्तव में भगवान की भूमिका निभा रही थी."

लूसी लेटबी को दो बार गिरफ्तार किया गया और रिहा किया गया. 2020 में उसकी तीसरी गिरफ्तारी पर उस पर औपचारिक रूप से आरोप लगाया गया और हिरासत में रखा गया.

उसके घर की तलाशी के दौरान पुलिस को अस्पताल के कागजात और एक हस्तलिखित नोट मिला, जिस पर लुसी लेटबी ने लिखा था: "मैं दुष्ट (Evil) हूं, मैंने यह किया."

लूसी लेटबी ने बाद में यह कहकर नोट को समझाने की कोशिश की कि उसने इसे ट्रिपलेट बच्चों में से दो की मौत के बाद क्लेरिकल ड्यूटी निभाते हुए यह लिखा था.
(इनपुट AFP से भी)

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