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अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी को सर्वोच्च न्यायालय से देश से बाहर जाने की इजाजत मिलने के बाद वह वाशिंगटन के लिए रवाना हो गए है।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को ही हक्कानी को देश से बाहर जाने की इजाजत दी थी। अदालत वाशिंगटन को भेजे गए एक विशेष संदेश (मेमो) की जांच कर रही है। इस संदेश में कहा गया था कि पिछले साल अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को सैन्य तख्तापलट का डर था। अदालत की नौ सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि हक्कानी को रजिस्ट्रार कार्यालय में सभी जानकारियां देनी पड़ेंगी और चार दिन के नोटिस पर वापस लौटना होगा।
पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यवसायी मंसूर एजाज ने दावा किया था कि उन्होंने पिछले साल हक्कानी व पाकिस्तानी सरकार की ओर से तत्कालीन अमेरिकी ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के प्रमुख एडमिरल माइक मुलेन को गुप्त विशेष संदेश दिया था। संदेश में कहा गया था कि एबटाबाद में अमेरिका कमांडोज द्वारा दो मई को लादेन की हत्या किए जाने के बाद से जरदारी को सैन्य तख्तापलट का डर था।
इस संदेश के प्रकाश में आने के बाद हक्कानी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। पूर्व मंत्री शेरी रहमान ने उनकी जगह ली। हक्कानी की पत्नी व राष्ट्रपति की मीडिया सलाहकार फरहानाज इस्पाहनी पिछले सप्ताह तब सुर्खियों में आ गई थीं, जब ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि वह इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस द्वारा अपहरण के डर से देश से भाग गई हैं। वैसे उन्होंने इस रिपोर्ट को खारिज किया है और कहा है कि वह अपने बच्चों से मिलने के लिए वाशिंगटन गई थीं।
समाचार पत्र 'संडे टाइम्स' में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि मेमोगेट प्रकरण में हक्कानी को शामिल कर मामले को उलझाने की कोशिश की गई है। लेख में कहा गया है कि हक्कानी का जीवन खतरे में है और इस्पाहनी आईएसआई द्वारा उनका अपहरण किए जाने के डर से वाशिंगटन भाग गई हैं। इस्पाहनी को डर है कि उनका अपहरण कर उनके पति पर आरोपों के स्वीकृति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाया जाएगा।
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