प्रतीकात्मक तस्वीर
लंदन:
नेपाल में अप्रैल 2015 में आए भूकंप के बाद हिमालय 60 सेंटीमीटर तक धंस गया है। हालांकि इससे दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर कोई असर नहीं हुआ है, क्योंकि यह उस स्थान से बहुत दूर है, जहां यह धंसा है। शोधकर्ताओं ने उपग्रह प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए पाया है कि अप्रैल 2015 में नेपाल में आए भूकंप से हिमालय 60 सेमी तक धंस गया।
इस भूकंप में 8,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। शोधकर्ताओं ने बताया कि जिस क्षेत्र में हिमालय 60 सेंटीमीटर तक धंसा है, वहां से माउंट एवरेस्ट काफी दूर है, जिसके कारण उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। 8,848 मीटर ऊंची दुनिया की यह सर्वाधिक ऊंची पर्वत चोटी भूकंप क्षेत्र से 50 किलोमीटर पूर्व में है। शोधकर्ताओं के अनुसार, भूकंप के कई झटकों के बीच हिमालय क्षेत्र में यह विस्तार नेपाल के नीचे फॉल्ट लाइन में खतरनाक ऐंठन की वजह से हुआ।
भूविज्ञान में फॉल्ट का अर्थ चट्टानों का अलगाव है। यह शोध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने किया है। शोध के मुख्य लेखक जॉन इलियट के अनुसार, 'इस नवीन तकनीक ने हमें नेपाल के पूर्वी हिस्से की भूमि की ऊंचाई में हुए परिवर्तन को मापने में सक्षम किया है। भूकंप के पहले ही सेकंड में हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं 60 सेंटीमीटर तक धंस गईं।'
इस भूकंप में 8,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। शोधकर्ताओं ने बताया कि जिस क्षेत्र में हिमालय 60 सेंटीमीटर तक धंसा है, वहां से माउंट एवरेस्ट काफी दूर है, जिसके कारण उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। 8,848 मीटर ऊंची दुनिया की यह सर्वाधिक ऊंची पर्वत चोटी भूकंप क्षेत्र से 50 किलोमीटर पूर्व में है। शोधकर्ताओं के अनुसार, भूकंप के कई झटकों के बीच हिमालय क्षेत्र में यह विस्तार नेपाल के नीचे फॉल्ट लाइन में खतरनाक ऐंठन की वजह से हुआ।
भूविज्ञान में फॉल्ट का अर्थ चट्टानों का अलगाव है। यह शोध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने किया है। शोध के मुख्य लेखक जॉन इलियट के अनुसार, 'इस नवीन तकनीक ने हमें नेपाल के पूर्वी हिस्से की भूमि की ऊंचाई में हुए परिवर्तन को मापने में सक्षम किया है। भूकंप के पहले ही सेकंड में हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं 60 सेंटीमीटर तक धंस गईं।'
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