Google के CEO (Chief Executive Officer) सुंदर पिचाई ने अपनी पहली अमेरिका यात्रा को याद करते हुए बताया है कि वो अमेरिका जाकर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ सकें, इसके लिए उनके पिता ने अपनी एक साल की कमाई खर्च की थी. सुंदर पिचाई सोमवार को 2020 के ग्रेजुएशन के लिए छात्रों को दी जा रही वर्चुअल ग्रेजुएशन सेरेमनी में बोल रहे थे. उन्होंने अपनी स्पीच में स्टूडेंट्स को एक स्पेशल मैसेज भी दिया- 'Be open, be impatient, be hopeful' (खुला दिमाग रखो, बेसब्र रहो, उम्मीद से भरे रहो). कोविड-19 महामारी के चलते इस बार के 2020 के ग्रेजुएटिंग स्टूडेंट्स को उनकी खास ग्रेजुएशन सेरेमनी नहीं मिल पाई है, जिसके चलते उन्हें वर्चुअली सम्मानित किया जा रहा है. पिचाई ने भी अपने घर से ही इस सेरेमनी में हिस्सा लिया.
पिचाई ने अपनी स्पीच में छात्रों को बताया कि मुश्किल हालातों में भी कैसे सकारात्मक बने रहना कितनी मदद देता है. उन्होंने इसके लिए अपनी अमेरिका यात्रा को याद किया और बताया कि वो वक्त उनके लिए कितना मुश्किल था और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी आकर पढ़ाई करने में कितनी चुनौतियां थीं. उन्होंने बताया, 'अमेरिका के लिए फ्लाइट टिकट खरीदने के लिए मेरे पिता को अपनी साल भर की सैलरी के बराबर पैसे खर्च करने पड़े थे, ताकि मैं स्टैनफोर्ड आकर पढ़ाई कर सकूं. ये मेरा पहला हवाई सफर था....और अमेरिका काफी महंगा. घर पर एक फोन कॉल करने लिए एक मिनट के 2 डॉलर खर्च करने पड़े थे. वहीं एक बैग की कीमत मेरे पिता की एक महीने की सैलरी के बराबर थी.'
पिचाई ने इस बात की ओर भी छात्रों का ध्यान दिलाया कि आज की पीढ़ी के पास टेक्नोलॉजी तक पहुंच है, जबकि उनके जमाने में ऐसा नहीं था. उन्होंने कहा, 'मैं बिना टेक्नोलॉजी के बड़ा हुआ. मेरे 10 साल की उम्र तक हमारे घर में टेलीफोन नहीं था. अमेरिका आने तक मेरे पास कंप्यूटर का रेगुलर एक्सेस नहीं था. और जब हमारे यहां पहली बार टीवी आई थी, तो उसमें बस एक ही चैनल आता था.'
यूट्यूब पर स्ट्रीम हुए इवेंट में सुंदर पिचाई के अलावा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, पूर्व फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा, सिंगर लेडी गागा और बियॉन्से सहित पॉपुलर K-pop ग्रुप BTS के मेंबर्स ने साल 2020 में ग्रेजुएट हो रहे छात्रों को वर्चुअली स्पीच और स्पेशल मैसेज भेजे.
बता दें कि सुंदर पिचाई का जन्म चेन्नई में हुआ था. उन्होंने मटीरियल्स इंजीनियर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी और 2004 में गूगल से बतौर मैनेजमेंट एक्जीक्यूटिव जुड़े थे. 2015 में उन्हें कंपनी का प्रॉडक्ट चीफ और CEO बनाया गया. उनकी नियुक्ति गूगल के रीस्ट्रक्चरिंग प्रोसेस के तहत हुई थी, इस प्रोसेस में Alphabet Inc. को गूगल की पैरेंट कंपनी बना दिया गया था.
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