संयुक्त राष्ट्र:
सीरिया में तुर्की की सैन्य कार्रवाई को रोकने के उद्देश्य से रूस द्वारा लाए गए संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को फ्रांस ने खारिज कर दिया और कहा है कि रूस की ओर से सीरियाई बलों को समर्थन दिए जाने से युद्ध में खतरनाक तेजी आई है।
फ्रांस के राजदूत फ्रांस्वा डीलातरे ने कल सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले कहा, ‘‘हम खतरनाक ढंग से सैन्य वृद्धि देख रहे हैं और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।’’ रूस ने मसविदा पेश करने के लिए परिषद की आपात बैठक बुलाई। यह मसविदा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी और सीरिया में जमीनी स्तर पर विदेशी हस्तक्षेप की योजना को तत्काल रोकने की ‘‘कड़ी मांग’’ करता है।
तुर्की ने सीरिया में अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर संयुक्त अभियान चलाने का आह्वान किया है। उसने कहा है कि देश में लगभग पांच साल से चल रहे युद्ध को खत्म करने का यही एक तरीका है।
जब डीलतारे से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि परिषद रूसी प्रस्ताव के मसविदे का समर्थन करेगी, तो उन्होंने कहा, ‘‘संक्षिप्त में जवाब है- नहीं।’’ सीरियाई नेता बशर अल-असद के बलों के समर्थन में वहां हवाई हमलों को अंजाम दे रहे रूस ने परिषद से आह्वान किया है कि वह तुर्की पर उत्तरी सीरिया में कुर्द बलों पर गोलीबारी बंद करने के लिए दबाव बनाए।
लेकिन फ्रांसीसी राजदूत ने तर्क दिया कि यह कार्रवाई ‘‘सीरियाई शासन और उसके सहयोगियों द्वारा उत्तरी सीरिया में क्रूर हमले का प्रत्यक्ष परिणाम है।’’ डीलतारे ने कहा, ‘‘रूस को समझना चाहिए कि बशर अल-असद को बिना शर्त समर्थन एक अंधी गली की तरह है, जो कि बेहद खतरनाक हो सकता है।’’
फ्रांस, बेल्जियम और पूर्वी यूरोपीय देश गैर यूरोजोन देशों के नियमन और ईयू प्रवासियों को लाभ भुगतान समेत कई मामलों पर बदलाव नहीं करने को लेकर अड़े हुए थे, जिसके बाद यह समझौता हुआ। गत गुरुवार दोपहर बाद शुरू हुई वार्ता 30 से अधिक घंटों तक खिंची। इस दौरान कैमरन ने समझौते का समर्थन करने के लिए साथी नेताओं को मनाने की कोशिश की।
इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘आज शाम वार्ता जारी है। कैबिनेट की बैठक आज रात नहीं हो पाएगी। बैठक समझौता होने पर होगी।’’ कैमरन मुश्किल से तैयार इस सुधार पैकेज का इस्तेमाल उनकी पार्टी में ईयू के आलोचकों और ब्रिटेन की जनता के समक्ष उसे भुनाने में कर सकते हैं। सर्वेक्षण चुनावों का कहना है कि ब्रेक्जिट को समर्थन देना है या नहीं, इसे लेकर ब्रिटेन के आम लोगों की काफी संतुलित राय है।
कैमरन समझौते पर जोर दे रहे थे ताकि ब्रिटेन आने वाले ईयू प्रवासियों की संख्या सीमित की जा सके और मतदाताओं को यह भरोसा दिलाया जाए कि यूरोपीय संघ का अहम सिद्धांत ‘एवर क्लोजर यूनियन’ उन पर लागू नहीं है।
हालांकि पूर्वी यूरोपीय देशों को इस बात की चिंता है कि उनकी योजनाएं भेदभावपूर्ण हैं और ये आवागमन की स्वतंत्रता संबंधी ईयू के सिद्धांत का उल्लंघन हैं।
फ्रांस के राजदूत फ्रांस्वा डीलातरे ने कल सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले कहा, ‘‘हम खतरनाक ढंग से सैन्य वृद्धि देख रहे हैं और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।’’ रूस ने मसविदा पेश करने के लिए परिषद की आपात बैठक बुलाई। यह मसविदा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी और सीरिया में जमीनी स्तर पर विदेशी हस्तक्षेप की योजना को तत्काल रोकने की ‘‘कड़ी मांग’’ करता है।
तुर्की ने सीरिया में अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर संयुक्त अभियान चलाने का आह्वान किया है। उसने कहा है कि देश में लगभग पांच साल से चल रहे युद्ध को खत्म करने का यही एक तरीका है।
जब डीलतारे से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि परिषद रूसी प्रस्ताव के मसविदे का समर्थन करेगी, तो उन्होंने कहा, ‘‘संक्षिप्त में जवाब है- नहीं।’’ सीरियाई नेता बशर अल-असद के बलों के समर्थन में वहां हवाई हमलों को अंजाम दे रहे रूस ने परिषद से आह्वान किया है कि वह तुर्की पर उत्तरी सीरिया में कुर्द बलों पर गोलीबारी बंद करने के लिए दबाव बनाए।
लेकिन फ्रांसीसी राजदूत ने तर्क दिया कि यह कार्रवाई ‘‘सीरियाई शासन और उसके सहयोगियों द्वारा उत्तरी सीरिया में क्रूर हमले का प्रत्यक्ष परिणाम है।’’ डीलतारे ने कहा, ‘‘रूस को समझना चाहिए कि बशर अल-असद को बिना शर्त समर्थन एक अंधी गली की तरह है, जो कि बेहद खतरनाक हो सकता है।’’
फ्रांस, बेल्जियम और पूर्वी यूरोपीय देश गैर यूरोजोन देशों के नियमन और ईयू प्रवासियों को लाभ भुगतान समेत कई मामलों पर बदलाव नहीं करने को लेकर अड़े हुए थे, जिसके बाद यह समझौता हुआ। गत गुरुवार दोपहर बाद शुरू हुई वार्ता 30 से अधिक घंटों तक खिंची। इस दौरान कैमरन ने समझौते का समर्थन करने के लिए साथी नेताओं को मनाने की कोशिश की।
इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘आज शाम वार्ता जारी है। कैबिनेट की बैठक आज रात नहीं हो पाएगी। बैठक समझौता होने पर होगी।’’ कैमरन मुश्किल से तैयार इस सुधार पैकेज का इस्तेमाल उनकी पार्टी में ईयू के आलोचकों और ब्रिटेन की जनता के समक्ष उसे भुनाने में कर सकते हैं। सर्वेक्षण चुनावों का कहना है कि ब्रेक्जिट को समर्थन देना है या नहीं, इसे लेकर ब्रिटेन के आम लोगों की काफी संतुलित राय है।
कैमरन समझौते पर जोर दे रहे थे ताकि ब्रिटेन आने वाले ईयू प्रवासियों की संख्या सीमित की जा सके और मतदाताओं को यह भरोसा दिलाया जाए कि यूरोपीय संघ का अहम सिद्धांत ‘एवर क्लोजर यूनियन’ उन पर लागू नहीं है।
हालांकि पूर्वी यूरोपीय देशों को इस बात की चिंता है कि उनकी योजनाएं भेदभावपूर्ण हैं और ये आवागमन की स्वतंत्रता संबंधी ईयू के सिद्धांत का उल्लंघन हैं।
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