प्रतीकात्मक फोटो.
लंदन:
अपनी लैंगिकता को लेकर लंबे समय तक साहित्य जगत में बहस का विषय रहे प्रख्यात नाटककार विलियम शेक्सपीयर के बारे में कहा गया है कि हो सकता है कि वह समलैंगिक रहे हों. यह कयास एक सर्वोच्च ब्रिटिश थियेटर निर्देशक ने लगाया है. उन्होंने कहा कि कलाकारों के लिए बार्ड के समलैंगिक चरित्रों के लैंगिक रुझान को छिपाना अब और स्वीकार्य नहीं है. ब्रिटेन की प्रमुख नाटक कंपनी 'रॉयल शेक्सपीयर कंपनी' के कलात्मक निर्देशक ग्रेग डोरान ने कहा कि उनका विचार है कि यह शेक्सपीयर की लैंगिकता ही थी जिसने इस प्रख्यात नाटककार को वह तटस्थ अंतर्दृष्टि दी, जिसने उन्हें उनके काम में मदद की.
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'गीतों में छिपा है लैंगिकता को समझने का सुराग'
डोरान ने कहा, 'मुझे लगता है कि उनपर लंबे समय तक काम करने के बाद मेरी यह समझ बनी है कि इस तटस्थता ने ही शेक्सपीयर को यह नजरिया प्रदान किया होगा.' उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि संभवत: अपने खुद के लैंगिक रूझान के चलते ही वह अपने अश्वेत जनरल, एक वैनेटियन यहूदी, मिस्र की महारानी आदि जैसे चरित्रों के भीतर पैंठ बना पाए. डोरान ने कहा कि शेक्सपीयर की लैंगिकता को समझने का सुराग उनके गीतों (सोनेट्स) में छिपा है. डोरान ने कहा, उन्होंने 154 गीतों का पहला चक्र लिखा जो 1609 में प्रकाशित हुआ. इनमें से 126 गीत एक पुरुष को संबोधित थे, महिला को नहीं.' उन्होंने कहा कि निर्देशकों को शेक्सपीयर के समलैंगिक चरित्रों के लैंगिक रूझान को छुपाने का प्रयास नहीं करना चाहिए.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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