पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा एम आसिफ (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को आतंकवादियों को फंड करने वाले संदिग्ध देशों की सूची में डाल दिया है. पेरिस में की चल रही बैठक में यह फैसला तकरीबन सर्वसम्मति से किया गया. पाकिस्तान के खिलाफ यह प्रस्ताव अमेरिका लेकर आया था और इस पर 36 के मुकाबले सिर्फ एक देश ने विरोध किया वह देश है तुर्की. यहां तक कि पाकिस्तान के पुराने साथी चीन और सऊदी अरब ने भी अमेरिका के प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया. फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स में लिया गया फैसला पाकिस्तान के लिए काफी मुश्किलें पैदा करने वाला साबित होगा. इस फैसले के चलते कोई भी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान या बैंक पाकिस्तान के साथ काम नहीं कर पाएगा और पाकिस्तान किसी भी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान के साथ से वित्तीय सहायता हासिल नहीं कर पाएगा. उसे फिलहाल 3 साल के लिए निगरानी में रखने का फैसला किया गया है.
बैठक में तमाम देशों ने माना कि आतंकवादी फंडिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान ने असरदार कदम नहीं उठाए हैं. हालांकि, पाकिस्तानी मीडिया फाइनेंशियल टास्क फोर्स के प्रवक्ता एलेक्जेंडर डैनिएला का हवाला देते हुए इस खबर को गलत बता रहा है. जियो टीवी ने डैनिएला के हवाले से कहा है कि इस पर फैसला समीक्षा बैठक के बाद आएगा, जो अभी चल रही है. पाकिस्तान के मीडिया का ये भी कहना है कि भारत का मीडिया गलत खबर चला रहा है. पाकिस्तान का कहना है कि इस फैसले को जून तक टलवाने में सफल रहा है और इस पर फैसला जून के बाद ही आने की संभावना है.
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की ओर से की गई प्रगति से ट्रंप खुश नहीं
उधर व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की ओर से की गई प्रगति से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘संतुष्ट’ नहीं हैं और अमेरिका पहली बार इस्लामाबाद को उसकी हरकतों के लिए जवाबदेह ठहरा रहा है. पेरिस में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की मौजूदा बैठक के बीच व्हाइट हाउस के डिप्टी प्रेस सचिव राज शाह ने यह टिप्पणी की. एफएटीएफ की बैठक में अमेरिका पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय आतंक-वित्तपोषण निगरानी सूची में डालने के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है. शाह ने पत्रकारों को बताया, ‘‘मैं जानता हूं कि पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते में हमने कुछ स्पष्टता लाई है. पहली बार हम पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए जवाबदेह ठहरा रहे हैं.’’
राष्ट्रपति की दक्षिण एशिया नीति में हुई प्रगति के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा, ‘‘इन चिंताओं को वास्तविक रूप में मानने के मामले में हमने पाकिस्तान की ओर से ठीक-ठाक प्रगति देखी है, लेकिन बात जब पाकिस्तान की आती है तो राष्ट्रपति इस प्रगति से संतुष्ट नहीं है.’’ ट्रंप प्रशासन ने पिछले साल अगस्त में दक्षिण एशिया नीति की घोषणा की थी. इस नीति की घोषणा के वक्त ट्रंप ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि वह आतंकवादी संगठनों को पाल-पोस रहा है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को और ज्यादा कदम उठाने को कहा था.
(इनपुट भाषा से...)
बैठक में तमाम देशों ने माना कि आतंकवादी फंडिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान ने असरदार कदम नहीं उठाए हैं. हालांकि, पाकिस्तानी मीडिया फाइनेंशियल टास्क फोर्स के प्रवक्ता एलेक्जेंडर डैनिएला का हवाला देते हुए इस खबर को गलत बता रहा है. जियो टीवी ने डैनिएला के हवाले से कहा है कि इस पर फैसला समीक्षा बैठक के बाद आएगा, जो अभी चल रही है. पाकिस्तान के मीडिया का ये भी कहना है कि भारत का मीडिया गलत खबर चला रहा है. पाकिस्तान का कहना है कि इस फैसले को जून तक टलवाने में सफल रहा है और इस पर फैसला जून के बाद ही आने की संभावना है.
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की ओर से की गई प्रगति से ट्रंप खुश नहीं
उधर व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की ओर से की गई प्रगति से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘संतुष्ट’ नहीं हैं और अमेरिका पहली बार इस्लामाबाद को उसकी हरकतों के लिए जवाबदेह ठहरा रहा है. पेरिस में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की मौजूदा बैठक के बीच व्हाइट हाउस के डिप्टी प्रेस सचिव राज शाह ने यह टिप्पणी की. एफएटीएफ की बैठक में अमेरिका पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय आतंक-वित्तपोषण निगरानी सूची में डालने के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है. शाह ने पत्रकारों को बताया, ‘‘मैं जानता हूं कि पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते में हमने कुछ स्पष्टता लाई है. पहली बार हम पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए जवाबदेह ठहरा रहे हैं.’’
राष्ट्रपति की दक्षिण एशिया नीति में हुई प्रगति के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा, ‘‘इन चिंताओं को वास्तविक रूप में मानने के मामले में हमने पाकिस्तान की ओर से ठीक-ठाक प्रगति देखी है, लेकिन बात जब पाकिस्तान की आती है तो राष्ट्रपति इस प्रगति से संतुष्ट नहीं है.’’ ट्रंप प्रशासन ने पिछले साल अगस्त में दक्षिण एशिया नीति की घोषणा की थी. इस नीति की घोषणा के वक्त ट्रंप ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि वह आतंकवादी संगठनों को पाल-पोस रहा है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को और ज्यादा कदम उठाने को कहा था.
(इनपुट भाषा से...)
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