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This Article is From Apr 29, 2022

Explainer: "इंटरनेट का भविष्य" होगा ऐसा, US समेत 60 देशों ने की घोषणा, भारत का हो रहा इंतजार

Future of the Internet : "खुले इंटरनेट को कुछ तानाशाही सरकारें सीमित कर रही हैं और ऑनलाइन और डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल अभव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने और मूलभूत स्वतंत्रता छीनने के लिए किया जा रहा है.इसी दौरान कुछ देशों में इंटरनेट शटडाउन जैसे तरीकों को अपना कर पत्रकारिता, सूचना और सेवाओं को बाधित किया जाता है.  इससे देश के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार प्रतिबद्धताएं बाधित होती हैं."

Explainer: "इंटरनेट का भविष्य" होगा ऐसा, US समेत 60 देशों ने की घोषणा, भारत का हो रहा इंतजार
Future of the internet घोषणापत्र में अभी भारत (India) शामिल नहीं हुआ है

अमेरिका (America) और उसके 60 सहयोगी देशों ने इंटरनेट (Internet) के भविष्य की घोषणा (Declaration for the future of the internet) पर कर दी है. इसमें यूरोपीय संघ (EU), भारत को छोड़कर क्वाड (QUAD) समूह के बाकी तीनों देश ( US, Australia, Japan) अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान, शामिल हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति भवन की तरफ से जारी घोषणापत्र में, भारत के अलावा चीन और रूस भी इसमें शामिल नहीं हैं. यह घोषणापत्र कहता है कि इंटरनेट का भविष्य (Future of the internet)  ऐसा होगा जहां मानवाधिकारों (Human Rights) और मूलभूत स्वतंत्रताओं ( Basic Freedom) का सम्मान हो. इंटरनेट पर काम करने, संचार करने, जुड़ने, समय बिताने और जानने के लिए निर्भरता बढ़ती जा रही है.  इसके लिए एक खुले, स्वतंत्र, वैश्विक, भरोसेमंद और सुरक्षित इंटरनेट की ज़रूरत बढ़ती रहेगी. 

यह घोषणापत्र कहता है कि खुले इंटरनेट को कुछ तानाशाही सरकारें सीमित कर रही हैं और ऑनलाइन और डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल अभव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने और मूलभूत स्वतंत्रता छीनने के लिए किया जा रहा है. सरकार की तरफ से बुरे ऑनलाइन व्यहवार को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें गलत सूचना फैलाना और साइबरक्राइम को बढ़ावा देना शामिल है. इससे सुरक्षा पर भी असर पड़ता है और सार्वजनिक और निजी संपत्ति खतरे में पड़ती है.

इसी दौरान कुछ देशों में इंटरनेट शटडाउन जैसे तरीकों को अपना कर पत्रकारिता, सूचना और सेवाओं को बाधित किया जाता है.  इससे देश के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार प्रतिबद्धताएं बाधित होती हैं. कुछ सरकारों और निजी संस्थाओं के सामूहिक या स्वतंत्र कदमों से इंटरनेट प्रशासन या इससे संबंधी प्रक्रिया का दोहन होता है जिसमें केवल एक बंद नजरिए को बढ़ावा  दिया जाता है.

इस घोषणापत्र के अनुसार एक समय विकेंद्रित रही इंटरनेट अर्थव्यवस्था अब चंद हाथों में आ गई है जिससे कई लोगों की निजता की चिंताएं जायज़ हो गई हैं. इससे निजी डेटा की ऑनलाइन सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है. ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स ने अवैध और खतरनाक सामग्री को बढ़ावा दिया है और चरमपंथ और हिंसा को बढ़ावा देने में मदद की है. ग़लत सूचना या विदेशी गलत गतिविधि का प्रयोग कर व्यक्तियों, समूहों या समाजों को बांटा जा रहा है और उनमें विवाद पैदा किए जा रहे हैं. इंटरनेट के भविष्य के कुछ उद्देश्य भी रखे गए हैं:- 

मानवाधिकारों और मूलभूत स्वतंत्रता की रक्षा करना 

इसमें मानवाधिकार की सुरक्षा और कानून की रक्षा और पारदर्शिता का ख्याल रखा जाएगा.  ऐसा इंटरनेट जिसमें बिना भेदभाव सबकी भागीदारी हो. इंटरनेट अल्गोरिदम का प्रयोग कर अवैध सर्विलांस नहीं की जा सकेगी.

वैश्विक इंटरनेट बनाना

सरकार की तरफ से इंटरनेट शटडाउन से बचा जाएगा या लोगों को खराब इंटरनेट एक्सेस देने से बचा जाएगा. कानूनी सामग्री, सेवा और एप्लीकेशन को ब्लॉक करने से बचा जाएगा. नेट न्यूट्रेलिटी (Net Neutrality) के सिद्धांत पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का ख्याल रखा जाएगा. सरकार की ओर से जिम्मेदार व्यहवार के फ्रेमवर्क के लिए प्रतिबद्धता रहेगी.  

इंटरनेट पर आसान और समग्र पहुंच 

जेब के लिए आसान, समग्र और भरोसेमंद इंटरनेट बनाया जाए जिससे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन से पूरी दुनिया को फायदा हो. डिजिटल लिट्रेसी, स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा मिल सके ताकि डिजिटल अंतर को पाटा जा सके. अलग-अलग संस्कृतियों और कई भाषाओं की सामग्री, सूचना और खबर को अधिक बढ़ावा मिले. साथ मिलकर साइबर क्राइम से लड़ें. यह सुनिश्चित करें कि सरकार को प्रशासन जो निजी डेटा इकठ्ठा करे वो कानून के आधार पर हो. इंटरनेट का प्रयोग चुनावी तंत्र और चुनावों का महत्व कम करने के लिए ना हो. इंटरनेट तकनीक का प्रयोग क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिए किया जा सके.  

मल्टीस्टेकहोल्डर इंटरनेट गवर्नेंस 

इंटरनेट गवर्नेंस के लिए कई स्टेकहोल्डर्स वाले सिस्टम की रक्षा की जाए और उसे मजबूत किया जाए. तकनीकि इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्व कम करने  और इंटरनेट की उपलब्धता कम करने से बचा जाए.  भविष्य के इंटरनेट के सिद्धांत अपनी प्रकृति में वैश्विक हों.  

इसने इस घोषणा का समर्थन करने वाले देशों की एक सूची भी जारी की गई है.  घोषणा का समर्थन करने वालों में अल्बानिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, डेनमार्क, यूरोपीय आयोग, फ्रांस, जर्मनी, यूनान, हंगरी, आयरलैंड, इज़राइल, इटली, ब्रिटेन,  जापान, केन्या, मालदीव, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पेरू, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, सेनेगल, सर्बिया, स्पेन, स्वीडन, ताइवान, त्रिनिदाद और टोबैगो, ब्रिटेन, यूक्रेन और उरुग्वे जैसे देश शामिल हैं. 

अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है कि भारत अभी तक इस घोषणा का हिस्सा नहीं है. भारत के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, ‘‘उम्मीद कायम है और भारत के शामिल होने के लिए समय अभी बीता नहीं है. हालांकि हम इन सभी देशों को शामिल करने के लिए बहुत गहन प्रयास कर रहे हैं.''
 

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