अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
बीजिंग:
चीन की सरकारी मीडिया ने कहा है कि ‘एक चीन’ की नीति पर अपने पहले के बयान को वापस लेने का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फैसला यह संकेत है कि वह अपने नये काम के बारे में ‘सीख’ रहे हैं और वह चीन-अमेरिका के संबंधों के बीच ‘रुकावट’ नहीं बनना चाहते हैं.
चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से पहली बार टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान ‘एक चीन’ नीति का अनुसरण करने की ट्रंप की प्रतिबद्धता की तारीफ की. अमेरिका पहले इस नीति का अनुसरण करता रहा है जिसके तहत चीन, ताइवान को अपना ही हिस्सा बताता है. अखबार ने कहा कि ट्रंप ने चीन के बारे में अपने पहले के रूख को बदल लिया है.
अखबार ने एक संपादकीय में कहा, ‘‘पद संभालने के बाद ट्रंप और उनकी टीम ने चीन के बारे में अपना रुख बदल लिया है. ट्रंप ने चीन के मूल हितों को चुनौती देना बंद कर दिया है और इसके बजाय बीजिंग के प्रति सम्मान दिखाया है.’’
पहले क्या कहा था ट्रंप ने?
गौरतलब है कि पद संभालने से पहले ट्रंप ने कहा था कि वह ‘एक चीन की नीति का अनुसरण करने के लिए बाध्य’ नहीं है और उन्होंने ताइवान के राष्ट्रपति से सीधा फोन पर बात कर प्रोटोकॉल तोड़ा था.
क्या है ताइवान को लेकर चीन का रुख?
चीन का मानना है कि ताइवान उसका एक पृथकतावादी प्रांत है और उसे अपने अधिकार क्षेत्र में वापस लाया जाना चाहिये और अगर इसके लिए बल प्रयोग जरूरी हो तो वह भी करना चाहिये.
संपादकीय में कहा गया है, ‘‘इस बदलाव से ऐसा लग रहा है कि चीन-अमेरिका संबंधों में अपनी भूमिका के बारे में ट्रंप सीख रहे हैं. अब वह एक नया संदेश दे रहे हैं कि वह दोनों देशों के संबंधों में बाधा नहीं बनना चाहते. शीर्ष नेताओं के बीच फोन पर हुयी यह बातचीत एक संकेत है कि मौजूदा स्तर पर संबंध में कुछ भ्रमों को दूर कर लिया गया है.’’
चीन के एक अन्य सरकारी समाचार पत्र चाइना डेली ने कहा कि अगर ट्रंप ताइवान कार्ड खेलकर लंबे समय से चली आ रही एक चीन नीति को कमजोर करना चाहते हैं तो इससे चीन-अमेरिका के संबंधों में भूचाल आ जाएगा.
चीन के सरकारी थिंक टैंक ने भी एक चीन की नीति पर ट्रंप की प्रतिबद्धता का स्वागत किया.
चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के उपाध्यक्ष रआन झोंग्झे ने कहा कि ट्रंप ने एक चीन की नीति पर आश्वासन देते हुये द्विपक्षीय संबंधों के बीच बाधा को हटा दिया है, अब दोनों पक्ष दोतरफा सहयोग के तंत्र पर बातचीत शुरू कर सकते हैं.
चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से पहली बार टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान ‘एक चीन’ नीति का अनुसरण करने की ट्रंप की प्रतिबद्धता की तारीफ की. अमेरिका पहले इस नीति का अनुसरण करता रहा है जिसके तहत चीन, ताइवान को अपना ही हिस्सा बताता है. अखबार ने कहा कि ट्रंप ने चीन के बारे में अपने पहले के रूख को बदल लिया है.
अखबार ने एक संपादकीय में कहा, ‘‘पद संभालने के बाद ट्रंप और उनकी टीम ने चीन के बारे में अपना रुख बदल लिया है. ट्रंप ने चीन के मूल हितों को चुनौती देना बंद कर दिया है और इसके बजाय बीजिंग के प्रति सम्मान दिखाया है.’’
पहले क्या कहा था ट्रंप ने?
गौरतलब है कि पद संभालने से पहले ट्रंप ने कहा था कि वह ‘एक चीन की नीति का अनुसरण करने के लिए बाध्य’ नहीं है और उन्होंने ताइवान के राष्ट्रपति से सीधा फोन पर बात कर प्रोटोकॉल तोड़ा था.
क्या है ताइवान को लेकर चीन का रुख?
चीन का मानना है कि ताइवान उसका एक पृथकतावादी प्रांत है और उसे अपने अधिकार क्षेत्र में वापस लाया जाना चाहिये और अगर इसके लिए बल प्रयोग जरूरी हो तो वह भी करना चाहिये.
संपादकीय में कहा गया है, ‘‘इस बदलाव से ऐसा लग रहा है कि चीन-अमेरिका संबंधों में अपनी भूमिका के बारे में ट्रंप सीख रहे हैं. अब वह एक नया संदेश दे रहे हैं कि वह दोनों देशों के संबंधों में बाधा नहीं बनना चाहते. शीर्ष नेताओं के बीच फोन पर हुयी यह बातचीत एक संकेत है कि मौजूदा स्तर पर संबंध में कुछ भ्रमों को दूर कर लिया गया है.’’
चीन के एक अन्य सरकारी समाचार पत्र चाइना डेली ने कहा कि अगर ट्रंप ताइवान कार्ड खेलकर लंबे समय से चली आ रही एक चीन नीति को कमजोर करना चाहते हैं तो इससे चीन-अमेरिका के संबंधों में भूचाल आ जाएगा.
चीन के सरकारी थिंक टैंक ने भी एक चीन की नीति पर ट्रंप की प्रतिबद्धता का स्वागत किया.
चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के उपाध्यक्ष रआन झोंग्झे ने कहा कि ट्रंप ने एक चीन की नीति पर आश्वासन देते हुये द्विपक्षीय संबंधों के बीच बाधा को हटा दिया है, अब दोनों पक्ष दोतरफा सहयोग के तंत्र पर बातचीत शुरू कर सकते हैं.
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