अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (फाइल फोटो)
माराकेश (मोरक्को):
मोरक्को में चल रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दूसरे हफ्ते जहां एक ओर सभी देश और वार्ताकार सोमवार से नये आयामों पर चर्चा के लिये तैयार हो रहे हैं वहीं एक खबर ने पूरे समिट पर जैसे ग्रहण लगा दिया है.
समाचार एजेंसी रायटर ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत चुके डोनाल्ड ट्रंप पद भार संभालते ही जल्दी से जल्दी अमेरिका को पिछले साल हुये पेरिस समझौते से बाहर निकालने का तरीका तलाश रहे हैं. ट्रंप जनवरी में पदभार संभालेंगे. एनडीटीवी इंडिया ने आपको ट्रंप की जीत के साथ ही ये ख़बर बताई थी कि अमेरिका के नये राष्ट्रपति जलवायु परिवर्तन पर हुये एतिहासिक पेरिस समझौते को बहुत महत्व नहीं देते. (डोनाल्ड ट्रंप के जीतने से बढ़ा दुनिया के गरम होने का खतरा!)
मौजूदा हाल में पेरिस समझौते से निकलने में अमेरिका को करीब चार साल लगेंगे लेकिन पेरिस समझौता 1992 में हुई रियो ट्रीटी से बंधा हुआ है और कहा जा रहा है कि ट्रंप के रणनीतिकार ये सोच रहे हैं कि रियो समझौते को नकार कर सीधे पेरिस डील को बेकार कर दिया जाये. इस तरह से ट्रंप की रणनीति है कि अमेरिका 1 साल के भीतर ही पेरिस डील से बाहर हो जाये.
ये ख़बर ऐसे वक्त आई है जब मंगलवार से यहां मोरक्को के माराकेश शहर में 196 देशों के मंत्री और राष्ट्राध्यक्ष पहुंच रहे हैं और पेरिस समझौते की बारीकियों पर बात होनी है. सभी गरीब और विकासशील देशों के साथ यूरोपीय देशों के लिये परेशान करने वाली है क्योंकि कई सालों की कोशिश के बाद पिछले साल पेरिस में जो डील हुई उसके बाद सभी देशों ने कार्बन एमीशन कम करने और धरती का तापमान कम रखने के लिए एक पुख्ता रोड मैप तैयार किया और वादे किये.
इस साल से इस रोड मैप पर आगे बढ़ाते हुये सभी देशों की जिम्मेदारियों पर गहनता से बात होनी है ताकि जलवायु परिवर्तन के खतरों से लड़ा जा सके लेकिन ट्रंप विकासशील देशों को टेक्नोलॉजी और पैसे की मदद के लिये कतई तैयार नहीं दिखते. वह जलवायु परिवर्तन की बात को चीन द्वारा खड़ा किया हौव्वा बताते रहे हैं.
समाचार एजेंसी रायटर ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत चुके डोनाल्ड ट्रंप पद भार संभालते ही जल्दी से जल्दी अमेरिका को पिछले साल हुये पेरिस समझौते से बाहर निकालने का तरीका तलाश रहे हैं. ट्रंप जनवरी में पदभार संभालेंगे. एनडीटीवी इंडिया ने आपको ट्रंप की जीत के साथ ही ये ख़बर बताई थी कि अमेरिका के नये राष्ट्रपति जलवायु परिवर्तन पर हुये एतिहासिक पेरिस समझौते को बहुत महत्व नहीं देते. (डोनाल्ड ट्रंप के जीतने से बढ़ा दुनिया के गरम होने का खतरा!)
मौजूदा हाल में पेरिस समझौते से निकलने में अमेरिका को करीब चार साल लगेंगे लेकिन पेरिस समझौता 1992 में हुई रियो ट्रीटी से बंधा हुआ है और कहा जा रहा है कि ट्रंप के रणनीतिकार ये सोच रहे हैं कि रियो समझौते को नकार कर सीधे पेरिस डील को बेकार कर दिया जाये. इस तरह से ट्रंप की रणनीति है कि अमेरिका 1 साल के भीतर ही पेरिस डील से बाहर हो जाये.
ये ख़बर ऐसे वक्त आई है जब मंगलवार से यहां मोरक्को के माराकेश शहर में 196 देशों के मंत्री और राष्ट्राध्यक्ष पहुंच रहे हैं और पेरिस समझौते की बारीकियों पर बात होनी है. सभी गरीब और विकासशील देशों के साथ यूरोपीय देशों के लिये परेशान करने वाली है क्योंकि कई सालों की कोशिश के बाद पिछले साल पेरिस में जो डील हुई उसके बाद सभी देशों ने कार्बन एमीशन कम करने और धरती का तापमान कम रखने के लिए एक पुख्ता रोड मैप तैयार किया और वादे किये.
इस साल से इस रोड मैप पर आगे बढ़ाते हुये सभी देशों की जिम्मेदारियों पर गहनता से बात होनी है ताकि जलवायु परिवर्तन के खतरों से लड़ा जा सके लेकिन ट्रंप विकासशील देशों को टेक्नोलॉजी और पैसे की मदद के लिये कतई तैयार नहीं दिखते. वह जलवायु परिवर्तन की बात को चीन द्वारा खड़ा किया हौव्वा बताते रहे हैं.
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