अमेरिका निगरानी और हमले दोनों के लिए MQ-9 रीपर का उपयोग करता है
क्या रूसी लड़ाकू विमानों ने अमेरिकी ड्रोन को क्रैश कराया? यूक्रेन युद्ध के बीच ब्लैक सी में रूसी जेट का एक अमेरिकी ड्रोन से टकराने की घटना ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. इस घटना पर अमेरिकी सेना ने कहा कि एक रूसी लड़ाकू जेट ने ब्लैक सी के ऊपर एक अमेरिकी ड्रोन पर ईंधन डाला और फिर उससे टकरा गया, जिससे ड्रोन दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
- संयुक्त राज्य अमेरिका निगरानी और हमले दोनों के लिए MQ-9 रीपर का उपयोग करता है, और रूसी नौसैनिक बलों पर नज़र रखते हुए काला सागर पर लंबे समय से संचालन कर रहा है.
- MQ-9 रीपर ड्रोन हवा से जमीन पर मार करने वाली हेलफायर मिसाइलों के साथ-साथ लेजर-गाइडेड बमों से लैस हो सकते है और 15,000 मीटर तक की ऊंचाई पर 1,700 किमी से अधिक की उड़ान भर सकते हैं.
- एमक्यू-9 के एक विस्तारित संस्करण में फील्ड-रेट्रोफिटेबल क्षमताएं हैं, जैसे कि विंग-बोर्न फ्यूल पॉड्स और एक नया प्रबलित लैंडिंग गियर. यह विमान को उड़न के 27 घंटे से समय को बढ़ाकर 34 घंटे तक कर सकता है.
- सुखोई-27 'फ्लेंकर' या सुखोई-27 लड़ाकू विमान, एक डबल इंजन वाला, अत्यधिक गतिशील लड़ाकू विमान है. इसे सुखोई डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया था.
- सुखोई-27 शत्रुतापूर्ण क्षेत्र पर लड़ाई में, अंदर तक प्रवेश करने वाले स्ट्राइक एयरक्राफ्ट के एस्कॉर्ट में और दुश्मन के हवाई क्षेत्रों में आसानी से घुस सकते हैं.
- US एयरफोर्स के जनरल जेम्स हैकर ने कहा- 'हमारा MQ-9 रीपर इस इलाके में रूटीन गश्त पर था. यह इंटरनेशनल एयरस्पेस है. यहां रूस के एक एयरक्राफ्ट ने इसे इंटरसेप्ट करने की कोशिश की. ड्रोन पूरी तरह तबाह हो गया है.'
- इस घटना के बाद अमेरिका और रूस में तनाव बढ़ सकता है. अमेरिका का कहना है कि रूस की एयरफोर्स का रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना और भड़काऊ है. इसे प्रोफेशनल वर्क आउट भी नहीं कहा जा सकता. हम इस मामले की जांच कर रहे हैं.
- कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस के सुखोई-25 एयरक्राफ्ट ने अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया है. अमेरिका ने कहा कि यह पता लगाया जाएगा कि यह हादसा है या हमारे ड्रोन को जानबूझकर मार गिराया गया है.
- रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसका लड़ाकू विमान अमेरिकी ड्रोन से नहीं टकराया, बल्कि ड्रोन पहले ही काला सागर में गिर गया. अब जांच के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी.
- बताया जा रहा है कि ये घटना उस वक्त हुई, जब अमेरिकी ड्रोन और रूस के दो फाइटर जेट SU-27 काला सागर के ऊपर अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में गश्त लगा रहे थे.