संयुक्त राष्ट्र की एक आर्थिक रिपोर्ट - UN Department of Economic and Social Affairs के मुताबिक जिस तरह से आर्थिक व्यवस्था चरमराई है वो ग्रेट डिप्रेशन के वक्त जैसा ही है. आशंका ये है कि दुनिया की आर्थिक व्यवस्था 3.2 फीसदी तक सिकुड़ सकती है और 2021 में थोड़ी ही बेहतर होगी. विकसित देशों में जीडीपी 5 प्रतिशत तक कम हो सकती है और विकासशील देशों में 7 फीसदी तक कुल मिलाकर दुनिया की अर्थव्यवस्था को 8.5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है जो पिछले चार साल के फायदे को खत्म कर सकता है.
अनुमान के मुताबिक वैश्विक व्यापार 15 फिसदी तक कम हो सकता है. 90 फीसदी दुनिया के लॉकडाउन में होने के कारण 30 मिलियन नौकरियां सिर्फ अमेरिका में जा सकती हैं. पर्यटन, रिटेल, हॉस्पिटैलिटी, ट्रांसपोर्टेशन में सबसे ज्यादा नुकसान है.
अमीर-गरीब के बीच खाई बढ़ जाएगी और 34.3 मिलियन और लोग बेहद ज्यादा गरीबी में जा सकते हैं. कोविड-19 वैश्वीकरण की बड़ी परीक्षा है क्योंकि कई देशों ने जरूरी सामानों के निर्यात पर रोक लगा दी है. वैश्वीकरण से अगर बीमारी फैलती है और और कोई मदद नहीं मिलती तो देश इससे पीछे हटेंगे, इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने बेहतर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील की है.
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