चीन ( China ) और संयुक्त राज्य अमेरिका ने बुधवार को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रतिबद्धता जताई है. यह घोषणा तब हुई है, जब ग्लासगो में सीओपी 26 (COP26) शिखर सम्मेलन अपने अंतिम चरण में है. इस मौके पर ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने पर चर्चा हुई. बुधवार को अमेरिका ( America)और चीन दोनों देशों के दूतों ने कहा कि वे जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्याओं पर काम करने के लिए अन्य मतभेदों को अलग रखने पर सहमत हुए हैं.संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने अमेरिका-चीन समझौते का स्वागत किया है.
बीजिंग के जलवायु दूत रहे शी झेंहुआ ने कहा है कि दोनों देश मानते हैं कि मौजूदा प्रयास और पेरिस समझौते के लक्ष्यों के बीच एक अंतर है, इसलिए हम साथ में जलवायु परिवर्तन से निबटने पर काम करेंगे. वहीं अमेरिका के विशेष दूत जॉन केरी के अनुसार, समझौते को लेकर जारी दस्तावेज में मीथेन उत्सर्जन को कम करने की बात कही है, जिसके अनुसार ग्लोबल वार्मिंग को सीमित किया जा सकता है. साथ ही कहा गया है कि जलवायु संकट को दूर करने के लिए दोनों पक्ष नियमित रूप से मिलेंगे.
घोषणा में कहा गया है कि दोनों देश जलवायु संकट की गंभीरता को जानते हैं. इसलिए इस समस्या के समाधान को लेकर हर प्रयास करेंगे. गौरतलब है कि चीन और अमेरिका दुनिया के दो सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक हैं. यह कुल कार्बन प्रदूषण का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है. हालांकि अमेरिका कार्बन प्रदूषण को कम करने के लिए पहले से ही अपनी प्रतिबद्धता जता चुका है. वह साल 2050 तक कार्बन के उत्सर्जन को न्यूनतन स्तर पर करने की योजना बना रहा है. वहीं चीन ने साल 2060 से पहले शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने की अपनी मंशा जताई है.
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