चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से बात की और भारत के साथ मजबूत भागीदारी स्थापित करने की चीन की इच्छा से उन्हें अवगत कराया।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ली उनसे बात करने वाले किसी अन्य देश के पहले सरकार प्रमुख हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में भारी विजय के लिए उन्हें बधाई दी। चीन के प्रधानमंत्री ने 25 मिनट की इस बातचीत में मोदी से कहा कि उनकी (चीन की) सरकार भारत की नR सरकार के साथ मजबूत साझेदारी स्थापित करना चाहती है, जिससे दोनों देशों के संबंध और प्रगाढ़ बन सकें।
इस बातचीत में मोदी ने कहा कि भारत की विदेश नीति में चीन हमेशा प्राथमिकता पर रहा है।
ली की ओर से पहले मिले बधाई संदेश के लिए भी धन्यवाद देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार चीन के साथ ‘‘सामरिक एवं सहयोगात्मक साझेदारी की पूरी क्षमता को पाने की इच्छा रखती है। उन्होंने कहा कि साथ ही उनकी सरकार द्विपक्षीय संबंधों के किसी भी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए चीन के नेतृत्व के साथ नजदीकी सहयोग से कार्य करना चाहती है।
मोदी ने दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग का भी स्वागत किया। दोनों नेताओं ने लगातार उच्च स्तरीय आदान प्रदान और संपर्क बनाए रखने पर भी सहमति जताई। ली के जरिये प्रधानमंत्री ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को इस साल भारत आने का निमंत्रण दिया।
इसके साथ ही चीन के विदेश मंत्री वांग यी नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के साथ औपचारिक तौर पर संबंध स्थापित करने और दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने के लिए अपनी सरकार के विशेष दूत के तौर पर 8 जून को यहां आएंगे।
चीन ने मोदी को बधाई देने और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ बात करने के लिए वांग को भेजने के अपने फैसले से आधिकारिक तौर पर अवगत करा दिया है। चीन ने भारत के नए नेतृत्व के साथ यथाशीघ्र उच्च स्तरीय संपर्क स्थापित करने की इच्छा जाहिर की थी ताकि राजनीतिक, व्यापारिक और आर्थिक क्षेत्रों में बातचीत आगे बढ़ सके।
चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग के मोदी के साथ टेलीफोन पर बात करने की उम्मीद है। दोनों देश के अधिकारी एक-दूसरे से बात करने के लिए एक उपयुक्त समय निकालने पर फिलहाल काम कर रहे हैं।
चीन के प्रभावशाली स्टेट काउंसिलर यांग जियेची ने बीजिंग में एक बैठक के दौरान भारत के राजदूत अशोक के. कंठ को बताया कि भारत के साथ संबंधों को चीन अधिक अहमियत देता है और उच्च स्तरीय संपर्क कायम रखने के लिए वह भारत की नई सरकार के साथ काम करने के लिए तैयार है।
चीन कथित तौर पर चाहता है कि एक शीर्ष भारतीय नेता पंचशील की 60वीं वर्षगांठ में शरीक हों। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके तत्कालीन चीनी समकक्ष चाउ एनलाई ने 1954 में पंचशील सिद्धांत प्रस्तुत किया था।
चीन की मेजबानी में होने वाले इस कार्यक्रम में चीन, भारत और म्यामां के नेताओं के 28 जून को भाग लेने की उम्मीद है।
लोकसभा चुनाव के बाद ही चीन ने अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत की यात्रा करने की इच्छा से अवगत करा दिया था। शी और मोदी को जुलाई में ब्राजील में होने वाले अगले ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन में मुलाकात करने का एक अवसर प्राप्त होगा।
चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग अपना पदभार संभालने के बाद पिछले साल अपनी प्रथम यात्रा के तहत नई दिल्ली आए थे। ऐसा कर उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की थी कि चीनी नेतृत्व भारत के साथ संबंध बेहतर करने को अहमियत देता है। सोमवार को ली ने मोदी के शपथ ग्रहण पर उन्हें बधाई दी थी।
मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान चीन की चार बार यात्रा की थी। आम चुनाव में उनकी जीत का चीनी आधिकारिक मीडिया ने स्वागत किया था।
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