चीन (China) में राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping) की दमनकारी नीतियों से तंग होकर चीन के अमीर और मध्यमवर्गीय लोग अब देश छोड़ कर जाने की बहुत कोशिशें कर रहे हैं और दूसरे देशों में राजनैतिक शरण मांग रहे हैं. हॉन्ग-कॉन्ग पोस्ट के अनुसार, लोग अब चीन में नहीं रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगातार शी चिनफिंग की के शासन से जूझने की चुनौती से निपटना होता है. राजनैतिक शरण मांगने के कारणों में देश में अल्पसंख्यों पर हो रहे अत्याचार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहने वाले लोगों पर अत्याचार, एकेडमिशिन्स, कार्यकर्ताओं की आवाज दबाना और व्यापारियों और सेलिब्रिटीज़ पर होने वाले जुल्म शामिल हैं.
इसका सबसे ताजा उदाहरण है चीन की कठोर कोविड-19 नीतियां (Covid-19 Policies) . जिसमें सख्त लॉकडाउन और सरकार की अकड़ के कारण कोविड 19 महामारी ने केवल लोगों के लिए रोजगार की दिक्कतें बढ़ाई हैं. इन नीतियों के कारण मध्यमवर्ग को दूसरे देशों में जाकर जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इसी कारण चीन छोड़कर जाने वालों की तादात बढ़ गई है.
चीनी लोगों के लिए राजनैतिक शरण लेना भी मुश्किल काम है. फिर भी पिछले तीन सालों में एप्लीकेशन की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थियों के हाई कमिश्नर के अनुसार, साल 2012 में चीन से भाग कर शरण लेने वालों की संख्या 15,362 थी. लेकिन यह बढ़ते हुए 2020 में 1,08,071 पर पहुंच गई.
इस साल हालात बेकाबू होते जा रहे हैं, ऐसा लगता है कि इस साल चीन से बाहर देशों में शरण मांगने वालों का आंकड़ा 1,20,000 की संख्या को भी पार कर गया है. शी चिनफिंग के शासन में चीन से बाहर शरण मांगने वालों की संख्या म से अधिक हो गई है. लेकिन ऐसा केवल मेनलैंड चीन में ही नहीं हो रहा. हांग कांग में जहां चीन ने मानवाधिकार उल्लंघन किए हैं, वहां से भी लोग भाग कर अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में शरण ले रहे हैं.
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