बीजिंग:
चीन ने स्पष्ट किया है कि उसका पहला स्टील्थ लड़ाकू विमान ,जे 20, अभी परीक्षण अवस्था में है और जल्द ही ये वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि चीन की ओर से ऐसा आधिकारिक बयान तब आया है जब चीनी मीडिया में तस्वीरों के साथ खबर फैल गई कि स्टील्थ लड़ाकू विमान बेड़े में शामिल कर लिया गया है।
अमरीका की तुलना में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाना चाहता है चीन
जे 20 को शामिल कर चीन का उद्देश्य अमरीका से अपनी सेना के अंतर को कम करना है। अपने इस स्टील्थ लड़ाकू विमान का पहला परीक्षण चीन ने 2011 को अमरीका के तत्कालीन रक्षा सचिव रॉबर्ट गेट्स की यात्रा के दौरान किया था। कई विश्लेषकों का मानना है कि जे 20 की तस्वीरें देख कर लगता है कि चीन लॉकहीड मार्टिन के राडार से बच सकने वाले एफ 22 राप्टर के समकक्ष अपने स्टील्थ लड़ाकू विमान को तेजी से बना रहा है।
टीवी शो की तस्वीरों को गलत समझ लिया लोगों ने
अपने एक बयान में चीनी वायुसेना ने उन रिपोर्टों को अविश्वसनीय बताया है जिनमें जे 20 को प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल बताया गया है। ऐसी रिपोर्ट एक टीवी शो में जे 20 से मिलते जुलते वायुयान की तस्वीरों के आने के बाद आई थीं जिन्हें लोगों ने जे 20 समझ लिया। चीन एअर फोर्स ने अपने आधिकारिक माइक्रोब्लॉग में मंगलवार दोपहर को कहा कि अभी जे 20 वायुसेना में आने को तैयार नहीं है। दोनों जे 20 और नया विमान वाय 20 ट्रांसपोर्टर अभी परीक्षण अवस्था में हैं। भविष्य में दोनों को वायुसेना की क्षमता बढ़ने के लिए एक के बाद एक सेवा में शामिल किया जाएगा।
आधुनिक विमान इंजनों को विकसित करने के लिए संघर्षरत है चीन
हालाकि विशेषज्ञों का मानना है कि चीन पश्चिमी लड़ाकू विमानों की तुलना में अपने लड़ाकू विमानों के लिए आधुनिक इंजनों को विकसित करने के लिए संघर्षरत है। चीन नए आधुनिक सैन्य उपकरणों को तेजी से विकसित करने के लिए रक्षा अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है जिनमें सबमरीन, एअरक्राफ्ट कैरियर और सैटेलाइट रोधी मिसाइल शामिल हैं। इसकी वजह से अमरीका और पड़ोसी देशों में बेचैनी बढ़ रही है ।चीनी वायुसेना ने कहा है कि नई तकनीकी विकसित करने में कुछ असामान्य नहीं है जो कि हर देश करता है जब वह आधुनिक सेना चाहता है। अब चीन नए हथियार बनाने में खुद की क्षमताओं पर ज्यादा निर्भर रहना चाहता है। ये देश की संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने और देश के रक्षा विकास के लिए पर्याप्त वजह हैं। ये शांतिपूर्ण विकास के लिए जरूरी है।
अमरीका की तुलना में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाना चाहता है चीन
जे 20 को शामिल कर चीन का उद्देश्य अमरीका से अपनी सेना के अंतर को कम करना है। अपने इस स्टील्थ लड़ाकू विमान का पहला परीक्षण चीन ने 2011 को अमरीका के तत्कालीन रक्षा सचिव रॉबर्ट गेट्स की यात्रा के दौरान किया था। कई विश्लेषकों का मानना है कि जे 20 की तस्वीरें देख कर लगता है कि चीन लॉकहीड मार्टिन के राडार से बच सकने वाले एफ 22 राप्टर के समकक्ष अपने स्टील्थ लड़ाकू विमान को तेजी से बना रहा है।
टीवी शो की तस्वीरों को गलत समझ लिया लोगों ने
अपने एक बयान में चीनी वायुसेना ने उन रिपोर्टों को अविश्वसनीय बताया है जिनमें जे 20 को प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल बताया गया है। ऐसी रिपोर्ट एक टीवी शो में जे 20 से मिलते जुलते वायुयान की तस्वीरों के आने के बाद आई थीं जिन्हें लोगों ने जे 20 समझ लिया। चीन एअर फोर्स ने अपने आधिकारिक माइक्रोब्लॉग में मंगलवार दोपहर को कहा कि अभी जे 20 वायुसेना में आने को तैयार नहीं है। दोनों जे 20 और नया विमान वाय 20 ट्रांसपोर्टर अभी परीक्षण अवस्था में हैं। भविष्य में दोनों को वायुसेना की क्षमता बढ़ने के लिए एक के बाद एक सेवा में शामिल किया जाएगा।
आधुनिक विमान इंजनों को विकसित करने के लिए संघर्षरत है चीन
हालाकि विशेषज्ञों का मानना है कि चीन पश्चिमी लड़ाकू विमानों की तुलना में अपने लड़ाकू विमानों के लिए आधुनिक इंजनों को विकसित करने के लिए संघर्षरत है। चीन नए आधुनिक सैन्य उपकरणों को तेजी से विकसित करने के लिए रक्षा अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है जिनमें सबमरीन, एअरक्राफ्ट कैरियर और सैटेलाइट रोधी मिसाइल शामिल हैं। इसकी वजह से अमरीका और पड़ोसी देशों में बेचैनी बढ़ रही है ।चीनी वायुसेना ने कहा है कि नई तकनीकी विकसित करने में कुछ असामान्य नहीं है जो कि हर देश करता है जब वह आधुनिक सेना चाहता है। अब चीन नए हथियार बनाने में खुद की क्षमताओं पर ज्यादा निर्भर रहना चाहता है। ये देश की संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने और देश के रक्षा विकास के लिए पर्याप्त वजह हैं। ये शांतिपूर्ण विकास के लिए जरूरी है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं