चीन ने अपनी सेना को लाखों विवादास्पद नक्शे बांटे हैं। खबर है कि इन नक्शों को 30 साल बाद अपडेट किया गया है और इसका मकसद अरुणाचल प्रदेश पर उसके दावे को पुख्ता करना है।
पीएलए डेली की खबर के अनुसार सेना की सभी प्रमुख इकाइयों को नए और सटीक नक्शे मिलेंगे।
इसमें कहा गया कि पीएलए की सात थल सेना कमानों में से एक लानझोउ सैन्य कमान ने अपने सैनिकों के लिए डेढ़ करोड़ से अधिक नक्शों को अपडेट किया है।
सरकारी मीडिया ने चीन की सेना को बांटे गए नक्शों को प्रकाशित नहीं किया है। हालांकि खबर है कि इसमें भारत के साथ लगने वाली सीमा के विवादित क्षेत्रों तथा दक्षिण एवं पूर्व चीन सागर के कई क्षेत्रों में चीन द्वारा अपने बताये जाने वाले क्षेत्रों को शामिल किया गया है। चीन के इन दावों का उसके पड़ोसी कड़ाई से विरोध करते हैं।
इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने 28 जून को कहा था, 'अरूणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है। इस तथ्य को भारत ने उच्चतम स्तर सहित चीनी अधिकारियों को विभिन्न अवसरों पर अवगत कराया है।'
सेना को वितरित किए जाने वाले चीनी नक्शे को जियोसेंट्रिक कार्डिनेटेड सिस्टम का इस्तेमाल कर तैयार किया गया। इस प्रणाली के तहत स्थलों को उनके अक्षांश, देशांतर एवं उंचाई के आधार पर परिभाषित किया गया है।
लानझोउ सैन्य कमान के सर्वेक्षण केंद्र के निदेशक वांग शियोमिंग ने बताया कि इस पद्धति का इस्तेमाल अन्य देशों की सेना द्वारा किया जाता है।
नए नक्शों का प्रकाशन पिछले साल से ही शुरू हो गया था। नक्शे हासिल करने वाले सैनिकों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये जा रहे हैं।
लानझोउ सैन्य कमान के वायु रक्षा ब्रिगेड के प्रमुख वांग हुआशेंग ने कहा कि इन नक्शों से उनके सैनिकों को अभियान की योजना बनाने में कम समय लगेगा और उनकी मारक क्षमता की सटीकता बेहतर होगी।
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