केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय अंटार्कटिका विधेयक (Indian Antarctica Bill) को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें अंटार्कटिका में भारत की अनुसंधान गतिविधियों तथा पर्यावरण संरक्षण के लिये विनियमन ढांचा प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को बैठक हुई थी जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) ने भारतीय अंटार्कटिका विधेयक का मसौदा तैयार किया है . इसके माध्यम से उम्मीद की जा रही है कि भारत अंटार्कटिका संधि 1959, अंटार्कटिका जलीय जीवन संसाधन संरक्षण संधि 1982 और पर्यावरण संरक्षण पर अंटार्कटिका संधि प्रोटोकाल 1998 के तहत अपने दायित्वों को पूरा कर पायेगा.
समझा जाता है कि यह विधेयक संसद के बजट सत्र (Budget Session) के दौरान पेश किया जायेगा. गौरतलब है कि भारत का अंटार्कटिका कार्यक्रम 1981 में शुरू हुआ था और अब तक उसने 40 वैज्ञानिक अभियानों को पूरा किया है. अंटार्कटिका में भारत के तीन स्थायी शिविर हैं जिनके नाम दक्षिण गंगोत्री (1983), मैत्री (1988) और भारती (2012) हैं . अभी मैत्री और भारती पूरी तरह से काम कर रहे हैं.
भारत ने मैत्री के स्थान पर एक अन्य अनुसंधान सुविधा केंद्र स्थापित करने की योजना बनायी है. हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने संसद की एक समिति को बताया था कि मैत्री के स्थान पर एक अन्य केंद्र की तत्काल जरूरत है.
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