एक या दो नहीं बल्कि हज़ारों गुनाह किए. अपने इन सभी गुनाहों की सज़ा के तौर पर 6 साल जेल में काटे. घर दूर हो गया, घरवाले दूर हो गए. पिता ने बात करना छोड़ दिया. सज़ा काटने के बाद ऐसा कोई नही था जिसके कंधे पर सिर रखकर वो रो सके. कोई जॉब नही ना ही कोई भरोसा करने वाला. अंदर से इतना टूट गया कि इस खराब समय में कोई साथ देने वाला नहीं. लेकिन उसमें ज़िंदगी को एक बार फिर से जीने का जज़्बा बाकी था. सबकुछ खतम होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी, बल्कि इस बार ऐसा उठा कि अब हर कोई दिल से इन्हें सलाम और दुआ देता है.
ये कहानी है केतुआ सैमसंग (Ketua Samseng) नाम के एक एक्स-गैंगस्टर की, जो अब एक एनजीओ (Tamil Helping Hands) चलाते हैं. इस एनजीओ का काम है दिव्यांग को अपने कंधों पर उठाकर उन्हें बाटु केव्स में बने भगवान मुरुगन के मंदिर में दर्शन करवाना.
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केतुआ सैमसंग अब मुरली के नाम से जाने जाते हैं. इनके साथ अब करीब 700 से ज्यादा लोग इस सेवा में इनके साथ हैं.
बता दें, बाटु गुफाएं (Batu Caves) मलेशिया के शहर सेलेंगोर में हिंदुओं की आस्था व मान्यताओं का केंद्र है. प्राचीन समय में नजदीक से गुजरने वाली एक नदी सुंगई बातु (पथरीली नदी) के नाम पर ही इन गुफाओं का नाम बाटु केव्स पड़ा. यह गुफाएं करीब 40 करोड़ साल पुरानी हैं. यहां कि सबसे प्रमुख गुफा में भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) जी की 400 फुट ऊंची मूर्ति स्थित, जो 113 साल पुरानी है. इनके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 272 सीढ़ियां चढ़कर गुफा तक पहुंचना होता है.
इस मंदिर में भगवान को लगाया जाता है चॉकलेट का भोग
इन्हीं 272 सीढ़ियों को पार कराती है ए. मुरली की ये सेना. खासकर दिव्यांग और बुजुर्गों को.
केतुआ सैमसंग (Ketua Samseng) यानी ए. मुरली ये काम 20 सालों से कर रहे हैं. इस काम को जानने के बाद मुरली के पिता उनपर गर्व महसूस करते हैं.
VIDEO में देखें ए. मुरली की पूरी कहानी...
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