पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की फाइल फोटो
ढाका:
बांग्लादेश सन 1971 में उसे पाकिस्तान से मुक्त कराने में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें सम्मानित करेगा। उस समय वाजपेयी लोकसभा सदस्य थे।
इस प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब छह जून को बांग्लादेश की यात्रा पर आएंगे तब उन्हें वाजपेयी का 'फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड' सौंपा जाएगा। वाजपेयी बीमार होने की वजह से यह सम्मान प्राप्त करने के लिए बांग्लादेश नहीं आ सकते।
अधिकारी ने पुरस्कार के मसौदा प्रशस्ति पत्र के हवाले से कहा, 'मुक्ति संग्राम (1991 में) की शुरुआत से ही वाजपेयी ने बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने भारतीय जन संघ के तत्कालीन अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य के तौर पर बांग्लादेश के लोगों के अधिकारों के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुहिम चलाई थी।'
अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले भारतीय सैन्य बलों के जवानों के परिजन को सम्मानित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि यह बांग्लादेश की 'राष्ट्रीय जिम्मेदारी है कि वह भारतीय सैनिकों को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए औपचारिक रूप से धन्यवाद दे।'
अधिकारियों ने कहा कि ढाका ने शहीदों के परिजन को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर वाले एक प्रमाण पत्र के साथ एक पत्र भेजने का निर्णय लिया है जिसमें उनके योगदान के लिए उनका आभार व्यक्त किया जाएगा।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पहली 'विदेशी मित्र' थीं, जिन्हें 'बांग्लादेश लिबरेशन वार ऑनर अवॉर्ड' दिया गया था। इंदिरा गांधी की ओर से उनकी बहू एवं कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2012 में यह पुरस्कार ग्रहण किया था।
इसके बाद यह पुरस्कार प्राप्त करने वालों में भी अधिकतर भारतीय हैं, जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिका निभाई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी इनमें से एक है।
सत्तारूढ़ अवामी लीग के 2008 में सत्ता में आने के बाद से बांग्लादेश ने 1971 के 'विदेशी मित्रों' को सम्मानित करने का निर्णय लिया था।
इस प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब छह जून को बांग्लादेश की यात्रा पर आएंगे तब उन्हें वाजपेयी का 'फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड' सौंपा जाएगा। वाजपेयी बीमार होने की वजह से यह सम्मान प्राप्त करने के लिए बांग्लादेश नहीं आ सकते।
अधिकारी ने पुरस्कार के मसौदा प्रशस्ति पत्र के हवाले से कहा, 'मुक्ति संग्राम (1991 में) की शुरुआत से ही वाजपेयी ने बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने भारतीय जन संघ के तत्कालीन अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य के तौर पर बांग्लादेश के लोगों के अधिकारों के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुहिम चलाई थी।'
अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले भारतीय सैन्य बलों के जवानों के परिजन को सम्मानित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि यह बांग्लादेश की 'राष्ट्रीय जिम्मेदारी है कि वह भारतीय सैनिकों को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए औपचारिक रूप से धन्यवाद दे।'
अधिकारियों ने कहा कि ढाका ने शहीदों के परिजन को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर वाले एक प्रमाण पत्र के साथ एक पत्र भेजने का निर्णय लिया है जिसमें उनके योगदान के लिए उनका आभार व्यक्त किया जाएगा।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पहली 'विदेशी मित्र' थीं, जिन्हें 'बांग्लादेश लिबरेशन वार ऑनर अवॉर्ड' दिया गया था। इंदिरा गांधी की ओर से उनकी बहू एवं कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2012 में यह पुरस्कार ग्रहण किया था।
इसके बाद यह पुरस्कार प्राप्त करने वालों में भी अधिकतर भारतीय हैं, जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिका निभाई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी इनमें से एक है।
सत्तारूढ़ अवामी लीग के 2008 में सत्ता में आने के बाद से बांग्लादेश ने 1971 के 'विदेशी मित्रों' को सम्मानित करने का निर्णय लिया था।
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