प्रतीकात्मक तस्वीर
सिडनी:
भारत और ऑस्ट्रेलिया की आठ साल की वार्ता के बाद ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने आखिरकार भारत को यूरेनियम निर्यात करने की इजाजत दे दी है, जो जल्द शुरू हो सकती है।
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप ने एक बयान में कहा है कि ऑस्ट्रेलिया-भारत परमाणु सहयोग समझौता ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारत को यूरेनियम के वाणिज्यिक निर्यात की अनुमति देता है। यह ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंधों में मील का एक पत्थर है।
पिछले प्रधानमंत्री टोनी एबॉट जहां भारत को यूरेनियम आपूर्ति को लेकर बेहद उत्साहित थे, वहीं वर्तमान मैल्कम टर्नबुल को इस समझौते को परिणति तक पहुंचाने का श्रेय जाता है। बिशप ने कहा है, 'यूरेनियम की आपूर्ति से भारत को बिजली की बढ़ती जा रही मांग पूरी करने में मदद मिलेगी। प्रशासनिक व्यवस्था पर हस्ताक्षर कर लिए गए हैं और यूरेनियम निर्यात तत्काल शुरू हो सकता है।'
पूर्व प्रधानमंत्री जॉन होवार्ड ने पहली बार 2007 में भारत को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने के बाद भी यूरेनियम बेचने की सहमति दे दी थी। माना जा रहा है कि पिछले साल जुलाई में हुए अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते के बाद अमेरिका ने भारत को यूरेनियम बेचने के लिए ऑस्ट्रेलिया को मनाया है। उनके बाद प्रधानमंत्री बने केविन रड ने भारत को यूरेनियम बेचे जाने पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन उनके बाद प्रधानमंत्री बनी जूलिया गिलार्ड 2012 में भारत को यूरेनियम बेचने की फिर से अनुमति दे दी थी।
ऑस्ट्रेलिया भारत को कोयला भी बेचना चाहता है, जो भारत के पारंपरिक बिजली घरों को चलाने के लिए जरूरी है। बाजार की नजर भारत को यूरेनियम बेचे जाने की मंजूरी पर टिकी हुई थी। गौरतलब है कि भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ भी एक परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप ने एक बयान में कहा है कि ऑस्ट्रेलिया-भारत परमाणु सहयोग समझौता ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारत को यूरेनियम के वाणिज्यिक निर्यात की अनुमति देता है। यह ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंधों में मील का एक पत्थर है।
पिछले प्रधानमंत्री टोनी एबॉट जहां भारत को यूरेनियम आपूर्ति को लेकर बेहद उत्साहित थे, वहीं वर्तमान मैल्कम टर्नबुल को इस समझौते को परिणति तक पहुंचाने का श्रेय जाता है। बिशप ने कहा है, 'यूरेनियम की आपूर्ति से भारत को बिजली की बढ़ती जा रही मांग पूरी करने में मदद मिलेगी। प्रशासनिक व्यवस्था पर हस्ताक्षर कर लिए गए हैं और यूरेनियम निर्यात तत्काल शुरू हो सकता है।'
पूर्व प्रधानमंत्री जॉन होवार्ड ने पहली बार 2007 में भारत को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने के बाद भी यूरेनियम बेचने की सहमति दे दी थी। माना जा रहा है कि पिछले साल जुलाई में हुए अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते के बाद अमेरिका ने भारत को यूरेनियम बेचने के लिए ऑस्ट्रेलिया को मनाया है। उनके बाद प्रधानमंत्री बने केविन रड ने भारत को यूरेनियम बेचे जाने पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन उनके बाद प्रधानमंत्री बनी जूलिया गिलार्ड 2012 में भारत को यूरेनियम बेचने की फिर से अनुमति दे दी थी।
ऑस्ट्रेलिया भारत को कोयला भी बेचना चाहता है, जो भारत के पारंपरिक बिजली घरों को चलाने के लिए जरूरी है। बाजार की नजर भारत को यूरेनियम बेचे जाने की मंजूरी पर टिकी हुई थी। गौरतलब है कि भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ भी एक परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
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