टर्नबुल ने लिबरल पार्टी के अंदर हुई वोटिंग में एबॉट को सत्ता से बेदखल कर दिया
केनबरा:
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट को चुनौती पेश करने वाले मैलकम टर्नबुल ने पार्टी के अंदर हुई वोटिंग में नाटकीय ढंग से उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया। इस तरह, पिछले आठ साल में टर्नबुल देश के अब पांचवें प्रधानमंत्री होंगे।
वोटिंग में टर्नबुल ने एबॉट को दी मात
सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ने उन्हें अंदरूनी कलह के बीच अलोकप्रिय मौजूदा प्रधानमंत्री की जगह चुना है। आनन फानन में बीती रात पार्टी नेतृत्व के लिए कराए गए मतदान में 57 साल के एबॉट को 44 वोट मिले, जबकि टर्नबुल को 54 वोट मिले। एबॉट की सरकार ने दो साल पहले ही सत्ता संभाली थी।
एबॉट भारत को ऑस्ट्रेलियाई यूरोनियम बेचने के प्रबल समर्थक थे। एबॉट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नई दिल्ली में 2014 में एक यूरेनियम समझौते पर हस्ताक्षर किया था। टर्नबुल की जीत पूर्व प्रधानमंत्री जुलिया गिलार्ड द्वारा केविन रड के खिलाफ 2010 में किए गए तख्तापलट की याद दिलाता है।
ऑस्ट्रेलिया के 29वें पीएम होंगे टर्नबुल
एबॉट के गवर्नर जनरल को पत्र लिखने और इस्तीफा देने के बाद 60 वर्षीय टर्नबुल के शपथ लेने की उम्मीद है। वह देश के 29वें प्रधानमंत्री होंगे। उन्होंने सोमवार दोपहर प्रश्नकाल के समय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और एबॉट से कहा कि वह नेतृत्व के लिए उन्हें चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश की जरूरतों को आर्थिक नेतृत्व मुहैया करने में अक्षम हैं। उन्होंने कहा कि अपना नाम आगे बढ़ाने के लिए वह लगातार दबाव में थे।
टर्नबुल ने कहा, 'यह साफ है कि सरकार आर्थिक नेतृत्व मुहैया करने में सफल नहीं रही जिसकी हमें जरूरत है। यह किसी एक मंत्री की गलती नहीं थी। आखिरकार, वह (टोनी एबॉट) हमारे राष्ट्र को जरूरी आर्थिक नेतृत्व देने में सक्षम नहीं रहे। वह आर्थिक भरोसा मुहैया करने में सक्षम नहीं रहे जैसा कि कारोबार को जरूरत है।'
'कोई पुरस्कार या खिलौना नहीं पीएम पद'
वहीं एबॉट ने संसद भवन में कहा कि इस देश का प्रधानमंत्री पद कोई पुरस्कार या ऐसा कोई खिलौना नहीं है, जिसकी मांग की जाए। उन्होंने कहा कि वह कई महीनों से चल रही अस्थिरता से निराश हैं और वह अपने साथी लिबरल सदस्यों से कहना चाहते हैं कि अस्थिरता को रोकना होगा।
वोटिंग में टर्नबुल ने एबॉट को दी मात
सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ने उन्हें अंदरूनी कलह के बीच अलोकप्रिय मौजूदा प्रधानमंत्री की जगह चुना है। आनन फानन में बीती रात पार्टी नेतृत्व के लिए कराए गए मतदान में 57 साल के एबॉट को 44 वोट मिले, जबकि टर्नबुल को 54 वोट मिले। एबॉट की सरकार ने दो साल पहले ही सत्ता संभाली थी।
एबॉट भारत को ऑस्ट्रेलियाई यूरोनियम बेचने के प्रबल समर्थक थे। एबॉट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नई दिल्ली में 2014 में एक यूरेनियम समझौते पर हस्ताक्षर किया था। टर्नबुल की जीत पूर्व प्रधानमंत्री जुलिया गिलार्ड द्वारा केविन रड के खिलाफ 2010 में किए गए तख्तापलट की याद दिलाता है।
ऑस्ट्रेलिया के 29वें पीएम होंगे टर्नबुल
एबॉट के गवर्नर जनरल को पत्र लिखने और इस्तीफा देने के बाद 60 वर्षीय टर्नबुल के शपथ लेने की उम्मीद है। वह देश के 29वें प्रधानमंत्री होंगे। उन्होंने सोमवार दोपहर प्रश्नकाल के समय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और एबॉट से कहा कि वह नेतृत्व के लिए उन्हें चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश की जरूरतों को आर्थिक नेतृत्व मुहैया करने में अक्षम हैं। उन्होंने कहा कि अपना नाम आगे बढ़ाने के लिए वह लगातार दबाव में थे।
टर्नबुल ने कहा, 'यह साफ है कि सरकार आर्थिक नेतृत्व मुहैया करने में सफल नहीं रही जिसकी हमें जरूरत है। यह किसी एक मंत्री की गलती नहीं थी। आखिरकार, वह (टोनी एबॉट) हमारे राष्ट्र को जरूरी आर्थिक नेतृत्व देने में सक्षम नहीं रहे। वह आर्थिक भरोसा मुहैया करने में सक्षम नहीं रहे जैसा कि कारोबार को जरूरत है।'
'कोई पुरस्कार या खिलौना नहीं पीएम पद'
वहीं एबॉट ने संसद भवन में कहा कि इस देश का प्रधानमंत्री पद कोई पुरस्कार या ऐसा कोई खिलौना नहीं है, जिसकी मांग की जाए। उन्होंने कहा कि वह कई महीनों से चल रही अस्थिरता से निराश हैं और वह अपने साथी लिबरल सदस्यों से कहना चाहते हैं कि अस्थिरता को रोकना होगा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
ऑस्ट्रेलिया, टोनी एबॉट, मैलकम टर्नबुल, तख्ता पलट, Australia, Tony Abbott, Malcolm Turnbull, Australian PM