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This Article is From Sep 05, 2017

तालिबानों से लड़ने के लिए अफगानिस्तान सरकार उतारेगी अब सबसे खतरनाक कमांडो

अमेरिकी सैन्य जनरलों का कहना है कि इस की बढ़ती ताकत तालिबान को चिंता में डाले हुए है.

तालिबानों से लड़ने के लिए अफगानिस्तान सरकार उतारेगी अब सबसे खतरनाक कमांडो
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

अफगानिस्तान के एसओसी में शामिल नए सैनिक जल्द ही युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर होंगे. अफगानिस्तान के सबसे कुशल बल में नये तैनात किये गये सशस्त्र कमांडो आरपीजी -7 रॉकेट लांचरों से लैस हैं और सैकड़ों मीटर दूर टैंक को निशाना बना रहे हैं. तेजी से ताकतवर होते अभिजात्य सैन्य बलों के बारे में अमेरिकी सैन्य जनरलों का कहना है कि इस की बढ़ती ताकत तालिबान को चिंता में डाले हुए है. अफगानिस्तान के स्पेशल ऑपरेशंस कमांड (एसओसी) में शामिल ये नए सदस्य जल्द ही युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर होंगे. इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वहां जमीनी स्तर पर और अधिक अमेरिकी सैनिकों को अनिश्चित काल के लिये उतारकर युद्ध जीतने की कसम खाई है.

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दो प्रशिक्षण कैंपों से एक कैम्प मोरहेड, काबुल के पास सोवियत का पूर्व आधार शिविर है. इन शिविरों में अफगानी प्रशिक्षक अमेरिका के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय बलों की देखरेख में कमांडो को प्रशिक्षित करते हैं .एक कमांडो ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर संवाददाताओं को बताया, ‘हम शिकारी हैं. मैं आपसे कह रहा हूं कि हम हत्यारे हैं. हम बुरे लोगों की तलाश में हैं, ताकि उन्हें यहां से खदेड़ सकें.’ विशेष बलों के शीर्ष सैनिकों वाले एसओसी अफगानिस्तान के राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों के लगभग सात प्रतिशत हैं. इस एसओसी में करीब 80 प्रतिशत सैनिक प्रशिक्षित हैं और वे हर युद्ध में विजयी होते हैं. इस दावे को अमेरिका और विदेशी सेनाओं का समर्थन हासिल है. लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान के मजबूत होने और आईएस समूह के विस्तार के कारण ऐसी चिंताएं हैं कि बलों के जवान शारीरिक तौर पर थक रहे हैं. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जनरल दवलात वजीरी ने कहा, ‘यह सच है कि वे लोग थके हुए हैं. अभी वे लोग अनेक आतंकी समूहों के खिलाफ दुनिया की ओर से लड़ रहे हैं.’


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उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरुआत में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने चार साल का खाका पेश किया था, जिसमें उन्होंने सैनिकों की संख्या 17,000 को दोगुना करने का आदेश दिया था. इस खाके का उद्देश्य अफगानिस्तान की वायुसेना को मजबूत करना भी है.  कैम्प मोरहेड को इससे पहले तालिबान भी अपने प्रशिक्षण स्थल के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है.
(इनपुट भाषा )

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