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This Article is From Aug 04, 2021

अफगान सेना ने भारत के बनाए सलमा डैम पर तालिबान के हमले को किया नाकाम

यह डैम हेरात के चेश्‍ते शरीफ जिले में है और अफगानिस्‍तान के सबसे बड़े डैम में से एक है. यह प्रांत के हजारों परिवार को सिंचाई का पानी और बिजली उपलब्‍ध कराता है.

अफगान सेना ने भारत के बनाए सलमा डैम पर तालिबान के हमले को किया नाकाम
सलमा डैम अफगानिस्‍तान के सबसे बड़े डैम में से एक है
काबुल:

अफगान सेना (Afghan forces) ने हेरात प्रांत मे भारत द्वारा बनाए गए सलमा बांध (Salma Dam) पर तालिबान के हमले (Taliban's attack)को नाकाम कर दिया है. अफगानिस्‍तान सरकार की ओर से यह जानकारी देते हुए बताया है कि आतंकी समूह को इस दौरान काफी नुकसान हुआ और काउंटर अटैक में भागने को मजबूर होना पड़ा. एक ट्वीट में अफगानिस्‍तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्‍ता फवाद अमन ने बताया कि तालिबान आतंकियों ने मंगलवार रात को सलमा डैम पर हमला करने की कोशिश की. इस डैम को भारत-अफगानिस्‍तान फ्रेंडशिप डेम के नाम से भी जाना जाता है.उन्‍होंने ट्वीट में लिखा, 'सलमा डैम पर तालिबान का हमला विफल. तालिबानी आतंकियों ने पिछली रात हेरात प्रांत में सलमा डैम को तबाह करने की कोशिश की लेकिन उन्‍हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. ANDSF के काउंटर अटैक के बाद आतंकी भाग खड़े हुए.'

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पिछले माह भी तालिबानियों ने सलमा डेम को निशाना बनाने की कोशिश की थी. तालिबान की ओर से दागे गए रॉकेट और गोल इस डैम के करीब गिरे थे. यह डैम हेरात के चेश्‍ते शरीफ जिले में है और अफगानिस्‍तान के सबसे बड़े डैम में से एक है. यह प्रांत के हजारों परिवार को सिंचाई का पानी और बिजली उपलब्‍ध कराता है. इस डेम की जल भंडारण क्षमता 640 मिलियन क्‍यूबिक मीटर है. यह डैम हाल के सालों में अफगानिस्‍तान में भारत का सबसे महंगा ढांचागत प्रोजेक्‍ट (infrastructural project) रहा है.

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गौरतलब है कि तालिबान लगातार अफगानिस्‍तान में अपनी ताकत बढ़ा रहा है. पिछले कुछ सप्‍ताह में तलिबान में मुल्‍क के कई जिलों में कब्‍जा किया है, इसमें नार्थईस्‍टर्न प्रोविस का ताखर (Takhar) शामिल है. अफगानिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों के बड़े हिस्से पर कब्जा करने और प्रमुख सीमा पर कब्जा करने के बाद, तालिबान ने प्रांतीय राजधानियों को घेर लिया है. गौरतलब है कि अमेरिकी-नाटो सैनिकों की वापसी के बाद से तालिबान ने अफगानिस्तान में हमलों को दोगुना कर दिया है. जिसके बाद से अफगान सरकार "अस्तित्व संकट" का सामना कर रही है. यूएस वॉचडॉग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर कहा है कि सितंबर-नवंबर 2020 की अवधि में दोहा समझौते तक तीन महीनों में तालिबान के हमले 6,700 से बढ़कर 13,242 हो गए.अफगानिस्तान पुनर्निर्माण से जुड़े अमेरिका के स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल (एसआईजीएआर) की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक तीन महीने की अवधि में हमले 10,000 से ऊपर रहे हैं. हमलों में वृद्धि लंबे समय से स्पष्ट थी, पहले यह प्रदर्शित करने के लिए डेटा उपलब्ध नहीं था कि विद्रोहियों का आक्रमण कितना तीव्र हो गया था.

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