
कोरोना वायरस (Corona virus) का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) की खोज हुए दो सप्ताह से थोड़ा ज्यादा वक्त हो गया. इस दौरान दक्षिण अफ्रीका के शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि यह वायरस पहले के वैरिएंट की तुलना में कहीं अधिक तेजी से फैलता है, लेकिन यह गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता दिख रहा है. अभी तक इसकी वजह से किसी की मौत की खबर पूरी दुनिया में नहीं है. हालांकि, इस वैरिएंट के बारे में अभी बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है.
Bloomberg की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वैरिएंट को लेकर अभी कुछ भी निश्चित नहीं है, इसलिए दुनिया अभी भी कुछ हद तक इस मामले में अंधेरे में है. रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित देश ब्रिटेन में हर कुछ दिनों में ओमिक्रॉन के मामले दोगुने हो रहे हैं. ब्रिटेन में हो रहे ओमिक्रॉन के प्रसार से यूरोप और अमेरिका में स्थितियां बिगड़ सकती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 के अंत तक यह लगने लगा था कि 2022 में स्थितियां बदली होंगी लेकिन ओमिक्रॉन वैरिएंट के बाद अब यह धुंधला सा नजर आता है और कमोबेश 2021 जैसी परिस्थितियां बन सकती हैं.
लैब रिसर्च की शुरुआती स्टडीज से संकेत मिलता है कि ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक है, जो दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है. स्टडी में यह भी देखा गया है कि यह वैरिएंट वैक्सीन लगवा चुके लोगों को भी अपनी चपेट में लेता है. इसके अलावा उस शख्स को भी बीमार कर सकता है जो पहले से ही कोविड संक्रमित हो चुके हैं.
हालांकि, अभी तक की स्टडीज से यह खुलासा नहीं हो सका है कि कोविड का नया वैरिएंट कैसे विकसित हुआ? और क्या यह दक्षिण अफ्रीका की तुलना में पुरानी आबादी वाले देशों में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनेगा?
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं