Russia Ukraine War: यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन ने काटी जी 20 सम्मेलन से कन्नी ( File Photo)
अब आठ साल बाद, फरवरी में यूक्रेन पर आक्रमण (Ukraine War) शुरू करने के बाद, और पश्चिमी देशों को परमाणु हथियारों की धमकी देने के बाद, 70 साल के रूसी नेता ने इस हफ्ते बाली में हो रहे सम्मेलन (G20 Summit Bali) में शामिल होने से साफ मना कर दिया. इस मामले पर नज़र रखने वालों का कहना है कि रूसी संसद पुतिन को इंडोनेशिया में हो रहे सम्मेलन में भर्त्सना से बचाना बचाना चाहता है लेकिन पुतिन के नहीं पहुंचने से रूस के और अलग-थलग पड़ने का खतरा है. रूस पहले ही अभूतपूर्व पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है.
पुतिन के G20 सम्मेलन में शामिल ना होने के 10 बड़े कारण...
- द डायलॉग ऑफ सिविलाइज़ेशन इंस्टीट्यूट के प्रमुख रिसर्चर एलेक्सी मालाशेंकों का कहना है कि पुतिन एक बार फिर सार्वजनिक तौर पर बेइज्जत नहीं होना चाहते. उन्होंने याद किया कि साल 2014 में पुतिन को पारंपरिक ग्रुप फोटो में दूर किनारे खड़ा किया गया था.
- जी20 सम्मेलन में यूक्रेन में रूस के आक्रमण का मुद्दा उठने की पूरी संभावना है, इससे कारण वैश्विक ऊर्जा बाजार को झटका लगा है और खाने की भी किल्लत हुई है.
- क्रेमलिन के नज़दीकी विदेश मामलों के जानकार, फायोडोर लकीयानोव, ने संकेत दिया कि पुतिन यूक्रेन के मुद्दे पर टस से मस होने को तैयार नहीं है.
- रूसी संसद ने कहा कि पुतिन जी20 सम्मेलन को वीडियो लिंक से भी संबोधित नहीं करेंगे.
- रूसी राष्ट्रपति पुतिन की तुलना में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की की जी 20 नेताओं के साथ लॉबी करने में अधिक कामयाब होंगे. ज़ेलेंस्की इस जी 20 सम्मेलन में शामिल होने जा रहे हैं.
- रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे. वह जुलाई में ही हुए एक जी20 सम्मेलन में सभागार से बाहर निकल गए थे जब यूक्रेन में रूसी आक्रमण की निंदा की जा रही थी. यही वाकया उनके साथ दोबारा घट सकता है.
- राजनैतिक विश्लेषक कोनस्टेंटिन कालाचेव ने कहा कि बाली में पुतिन का ना आना बताता है कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है. ना ही ऐसा कोई प्रस्ताव है जो दोनों पक्षों को संतुष्ट कर सकता है.
- सितंबर में हजारों रिज़र्व बलों को यूक्रेन में भेजने के फैसले के बाद भी रूसी सेना को यूक्रेन में खारकीव से पीछे हटना पड़ा. कुछ दिन पहले ही रूस ने रणनीतिक तौर पर अहम खेरसॉन क्षेत्र से भी वापसी की है. यह रूस के लिए शर्मिंदगी की बात है. शांतिवार्ता भी ठंडे बस्ते में है.
- राजनैतिक विश्लेषक कंपनी आर. पोलिटिक (R.Politik) की फाउंडर तातियाना स्टानोव्या ने कहा, पुतिन का मानना है कि रूस की अमेरिका विरोधी मुहिम को काफी समर्थन मिल रहा है और उनके जी 20 में ना जाने से रूस के न्यूट्रल देशों के साथ संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
- रूस पहले ही उन देशों के साथ संबंध गहरे कर रहा है जो वैश्विक मामलों में अमेरिकी दबदबे के खिलाफ हैं. पुतिन पश्चिम विरोधी गुट को मजबूत करना चाह रहे हैं.