उत्तराखंड के प्रमुख शहरों समेत चारधाम यात्रा रूट में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा, जिसकी सबसे बड़ी वजह डीजल वाहनों से निकलने वाला धुंआ है. इस वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अब इलेक्ट्रिक बसें चलाने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, पहले चरण में देहरादून और कुछ अन्य मैदानी शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी. भारत सरकार के नेशनल क्लीन एयर मिशन के तहत करीब 150 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की तैयारी की जा रही है.
इस समय हिमालय के ग्लेशियर की सेहत खराब हो रही . वहां की हवा और पानी जहरीला बनता जा रहा है. हालत यह है कि इंसान के साथ जीव-जंतुओं को शुद्ध हवा नहीं मिल रही. इसकी वजह जंगल में आग और चार धाम यात्रा रूट पर अंधाधुंध दौड़ते डीजल वाहन हैं. इसी वजह से हिमालय को बचाने के लिए अब पहाड़ों पर भी इलेक्ट्रिक बसें चलाने का विचार किया जा रहा है.
देहरादून की दून यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर विजय श्रीधर कहते हैं कि उत्तराखंड में जंगलों की आग की वजह से तेजी से प्रदूषण फैल रहा है और ब्लैक कार्बन पार्टिकल्स ग्लेशियर पर गिर रहे हैं. इसके अलावा चार धाम यात्रा जब चलती है तो उस दौरान बड़ी मात्रा में डीजल के वाहन आते हैं जिससे निकलने वाला धुआं इन ब्लैक कार्बन पार्टिकल्स की मात्रा को और बढ़ा देता है. इनकी वजह से ब्लैक कार्बन पार्टिकल्स 16 माइक्रोग्राम तक पहुंच जाते हैं. इसके अलावा जब जंगलों की आग खत्म हो जाती है और उसके बाद यह देखने में आया है और डाटा रिकॉर्ड किया गया है कि गाड़ियों से निकलने वाला धुआं 6 से 8 माइक्रोग्राम तक रहता है. इसलिए बड़े कदम उठाने की जरूरत है, खासकर डीजल वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है.
प्रोफेसर श्रीधर का कहना है कि भारत सरकार इस मामले में तेजी से कई उपाय कर रही है. इसके अलावा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद संभवत यात्री रेल का प्रयोग ज्यादा करेंगे और ब्लैक कार्बन पार्टिकल्स के उत्सर्जन में कमी होने की संभावना रहेगी क्योंकि वाहनों की जगह लोग रेलवे का इस्तेमाल करेंगे.
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और आईएफएस अधिकारी डॉ.पराग मधुकर धकाते का कहना है कि नेशनल क्लीन एयर मिशन के तहत करीब डेढ़ सौ इलेक्ट्रिक बस से पहले फेस में आएंगे. दरअसल, उत्तराखंड की आबोहवा को सुधारने के लिए डीजल वाली बसें बंद करने की तैयारी की जा रही है.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उत्तराखंड सरकार को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा है और डीजल वाली बसें बंद करने की तैयारी है. वहीं, नगर निकायों के स्तर पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए ई-बसें चलाने की भी पैरवी की जा रही है. कारण यही है कि उत्तराखंड के प्रमुख शहर वायु प्रदूषण की चपेट में हैं.
इसके अलावा पराग मधुकर धकाते ने बताया कि पहले चरण में देहरादून शहर में डीजल की बसें बंद करवा कर इलेक्ट्रिक बसे चलाई जाएंगी. उसके बाद ऋषिकेश, हरिद्वार, रुड़की और हल्द्वानी सहित तमाम शहरों में डीजल की बसें अन्य सार्वजनिक बस बंद करने की योजना बनाई जा रही है. वहीं, दूसरे फेस में पहाड़ों पर डीजल की बस की जगह इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी. इसको लेकर एक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. जिसमें इलेक्ट्रिक गाड़ियों के रिचार्ज स्टेशन बनाने की बात की जा रही है और किस-किस रूट पर ये इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी, उस पर भी प्लान बनाया जा रहा है.
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