कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी बुधवार को अपने पुत्र रोहित शेखर के साथ बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं
नई दिल्ली:
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी के पुत्र रोहित शेखर बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए. उन्होंने नई दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आवास पर उनकी मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. सूत्रों के मुताबिक एनडी तिवारी ने कहा है कि उनका समर्थन बीजेपी को रहेगा लेकिन वह खुद बीजेपी में शामिल नहीं हुए हैं. रोहित शेखर को हलद्वानी सीट से बीजेपी का टिकट दिए जाने की संभावना है.
91-वर्षीय नारायण दत्त तिवारी दो राज्यों - उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड - के मुख्यमंत्री रहे हैं, केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं तथा आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं, हालांकि राज्यपाल के रूप में उन्हें कार्यकाल के बीच में ही सेक्स स्कैंडल की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था. रोहित शेखर को नारायण दत्त तिवारी ने तीन साल पहले ही पुत्र स्वीकार किया था, जब छह साल की कानूनी लड़ाई के बाद उनका पितृत्व साबित हो गया था.
रोहित शेखर ऐसे वक्त में बीजेपी में शामिल हुए हैं उत्तराखंड में अगले माह होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस पहाड़ी राज्य में बीजेपी पहले से ही विद्रोह से जूझ रही है, क्योंकि पार्टी ने लगभग 15 ऐसे नेताओं को प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं, और उन नेताओं में कांग्रेस के वे पूर्व विधायक भी शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ विद्रोह कर उन्हें विश्वासमत हासिल करने के लिए मजबूर कर दिया था.
भारतीय जनता पार्टी 70 सीटों वाले राज्य उत्तराखंड में फिलहाल 64 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. नारायण दत्त तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उससे पहले वह तीन बार अविभाजित उत्तर प्रदेश के भी मुख्यमंत्री रहे हैं, जब उत्तराखंड का गठन नहीं हुआ था. नारायण दत्त तिवारी दो साल के लिए आंध्र प्रदेश के गवर्नर भी रहे, लेकिन वर्ष 2009 में उन्हें सेक्स स्कैंडल के चलते कांग्रेस पार्टी के लिए शर्मिन्दगी का बायस बनने की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था. नारायण दत्त तिवारी उस वक्त 84 वर्ष के थे, और उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य को इस्तीफे की वजह बताया था.
वैसे राजनैतिक हलकों में दिग्गज राजनेता के रूप में सम्मानित रहे नारायण दत्त तिवारी को '90 के दशक की शुरुआत में प्रधानमंत्री पद के संभावित प्रत्याशी के रूप में भी देखा गया था. लेकिन बाद में वर्ष 1994 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर एक अन्य दिग्गज कांग्रेसी नेता अर्जुन सिंह के साथ मिलकर अपनी खुद की पार्टी कांग्रेस (तिवारी) का गठन किया था, लेकिन जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली, तो दोनों नेता कांग्रेस में लौट आए थे.
91-वर्षीय नारायण दत्त तिवारी दो राज्यों - उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड - के मुख्यमंत्री रहे हैं, केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं तथा आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं, हालांकि राज्यपाल के रूप में उन्हें कार्यकाल के बीच में ही सेक्स स्कैंडल की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था. रोहित शेखर को नारायण दत्त तिवारी ने तीन साल पहले ही पुत्र स्वीकार किया था, जब छह साल की कानूनी लड़ाई के बाद उनका पितृत्व साबित हो गया था.
रोहित शेखर ऐसे वक्त में बीजेपी में शामिल हुए हैं उत्तराखंड में अगले माह होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस पहाड़ी राज्य में बीजेपी पहले से ही विद्रोह से जूझ रही है, क्योंकि पार्टी ने लगभग 15 ऐसे नेताओं को प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं, और उन नेताओं में कांग्रेस के वे पूर्व विधायक भी शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ विद्रोह कर उन्हें विश्वासमत हासिल करने के लिए मजबूर कर दिया था.
भारतीय जनता पार्टी 70 सीटों वाले राज्य उत्तराखंड में फिलहाल 64 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. नारायण दत्त तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उससे पहले वह तीन बार अविभाजित उत्तर प्रदेश के भी मुख्यमंत्री रहे हैं, जब उत्तराखंड का गठन नहीं हुआ था. नारायण दत्त तिवारी दो साल के लिए आंध्र प्रदेश के गवर्नर भी रहे, लेकिन वर्ष 2009 में उन्हें सेक्स स्कैंडल के चलते कांग्रेस पार्टी के लिए शर्मिन्दगी का बायस बनने की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था. नारायण दत्त तिवारी उस वक्त 84 वर्ष के थे, और उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य को इस्तीफे की वजह बताया था.
वैसे राजनैतिक हलकों में दिग्गज राजनेता के रूप में सम्मानित रहे नारायण दत्त तिवारी को '90 के दशक की शुरुआत में प्रधानमंत्री पद के संभावित प्रत्याशी के रूप में भी देखा गया था. लेकिन बाद में वर्ष 1994 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर एक अन्य दिग्गज कांग्रेसी नेता अर्जुन सिंह के साथ मिलकर अपनी खुद की पार्टी कांग्रेस (तिवारी) का गठन किया था, लेकिन जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली, तो दोनों नेता कांग्रेस में लौट आए थे.
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