
- धराली आपदा स्थल पर राहत और बचाव कार्य लगातार पांचवें दिन भी जारी हैं, फंसे लोगों को एयरलिफ्ट किया जा रहा है.
- धराली से मातली तक NDTV की टीम आपदा की पल-पल की जानकारी जुटा रही है.
- मातली की बुजुर्ग महिला ने कहा कि पर्यटकों की गैरजिम्मेदार हरकतों से गंगा मां का क्रोध प्रकट हो रहा है.
उत्तराखंड के धराली आपदा स्थल पर राहत बचाव कार्य लगातार पांचवें दिन शनिवार को भी जारी हैं. आपदाग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों को एयरलिफ्ट करके सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. धराली से रेस्क्यू कर लोगों को मातली भी लाया जा रहा है. धराली से मातली तक एनडीटीवी की टीम इस आपदा की पल-पल की अपडेट जुटाने में लगी हुई है. मातली के स्थानीय लोगों का कहना है कि ये सब प्राकृति से खिलवाड़ करने का नतीजा है. ये गंगा मां का क्रोध है. हमने पहले कभी ऐसी आपदा नहीं देखी.
मातली की एक बुजुर्ग महिला ने एनडीटीवी को बताया कि ये मां गंगा का क्रोध है, देवभूमि के साथ हो रहे खिलवाड़ के प्रति. हमने कभी ऐसी आपदा नहीं देखी थी. अब तो हर रात डर लगता है कि कहीं हम भी सैलाब में बह ना जाएं. मौज मस्ती के लिए आने वाले पयर्टकों ने हमारे जंगल, पानी सब बर्बाद कर दिया है. हमें भूकंप याद है, जिसमें भारी नुकसान हुआ था, इस आपदा ने वो ज़ख़्म फिर हरे कर दिए.

बुजुर्ग महिला ने गुस्से में कहा, 'ये सब गंगा मां का क्रोध है. कई लोग यहां आते हैं और बहुत गंदगी करते हैं. प्राकृति से खिलवाड़ करते हैं, ये नहीं होना चाहिए. आप सोचिए कि गंगा मां के दर्शन के लिए हजारों लोग आते हैं. कई लोगों की यात्रा बहुत अच्छी रहती है. वे पूरी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं और खुशी-खुशी घर वापस लौट जाते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो बीच रास्ते में ही मर जाते हैं. ये गंगा मां का क्रोध नहीं तो क्या है?'
धार्मिक स्थालों पर आने वाले लोगों पर सवाल उठाते हुए बुजुर्ग महिला ने कहा, 'मेरी उम्र पर 60 से ज्यादा हो गई है. ऐसी आपदा हमने कभी नहीं देखी. इसकी एक वजह यह भी है कि पहले लोग गंगा मां के दर्शन के लिए पूरी श्रद्धा भाव के साथ जाते थे. बसों में लोग वहां तक पहुंचते थे. लेकिन अब गाडि़यों का रैला नजर आता है. लोग मौज-मस्ती के लिए यहां आते हैं. ऐसे लोग गंगा मां के पास बैठकर शराब पीते हैं, मांस खाते हैं. ऐसे लोग हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं. मां गंगा को दूषित कर रहे हैं. कुछ समय से ही ये शुरू हुआ है, लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था. तब ऐसी आपदा भी नहीं आती थी. अब ऐसा लगता है कि कभी भी आपदा आ सकती है, जिसके शिकार हम भी हो सकते हैं.'

धराली आपदा स्थल पर राहत बचाव कार्य लगातार पांचवें दिन शनिवार को भी जारी हैं. चिनूक और चीता हेलीकॉप्टर फंसे हुए तीर्थयात्रियों को धराली और हर्षिल के ऊंचाई वाले इलाकों में पहुंचा रहे हैं, जबकि कई स्थानों पर तैनात मेडिकल टीम प्रभावित लोगों की देखभाल कर रही है. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के 800 से अधिक सदस्यों वाली राहत और बचाव टीम बचाव अभियान में योगदान दे रही है, जबकि प्रभावित लोगों को त्वरित प्राथमिक उपचार प्रदान करने के लिए धराली, हर्षिल और मातली में कई चिकित्सा दल तैनात हैं.
(मीनाक्षी कंडवाल की रिपोर्ट)
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