
- हार्षिल घाटी में भारी बारिश और सैलाब के कारण मलबे में कई इलाके दब गए हैं, जिससे भारी तबाही हुई
- धराली गांव के मलबे से गिरे मलबे के कारण भागीरथी नदी का प्रवाह रुक गया और एक कृत्रिम झील बन गई
- झील के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है जिससे हार्षिल घाटी में बाढ़ का गंभीर खतरा बन गया है
उत्तराखंड की खूबसूरत हार्षिल घाटी इन दिनों प्राकृतिक आपदा की मार झेल रही है. यहां आए सैलाब ने पलभर में सबकुछ लील लिया, सैलाब के रास्ते में जो कुछ आया, सब कुछ कई फीट नीचे भारी मलबे में दब गया. धराली की तबाही से भागीरथी नदी में तेल गाड क्षेत्र से गिरे मलबे के कारण नदी का प्रवाह रूक गया है. जिससे लगभग 1200 मीटर लंबी एक कृत्रिम झील बन गई है. यही झील अब इस घाटी के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है.

अभी तक क्यों पंचर नहीं हुई झील
सोमवार रात हुई लगातार बारिश के चलते झील को पंचर करने की योजना को भी फिलहाल रोक दिया गया. एक्सपर्ट का कहना है कि झील में पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे पूरे हार्षिल घाटी में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. हालांकि तमाम मुश्किलों के बावजूद सेना और स्थानीय प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय है. सेना झील के पानी को निकालने के लिए एक वैकल्पिक रास्ता तैयार करने की कोशिशों में जुटी है.

उफनती नदी से बाढ़ का खतरा
मौसम की चुनौती और कठिन भौगोलिक परिस्थितियां राहत कार्यों में बाधा बन रही है. झील के बढ़ते जलस्तर ने घाटी के निवासियों और पर्यटकों के बीच चिंता बढ़ा दी है. प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है और संभावित खतरे को देखते हुए राहत और बचाव दलों को तैनात किया गया है. 5 अगस्त को खीरगंगा नदी में आयी भीषण बाढ़ से धराली गांव में जमा हुए मलबे में लापता लोगों के जीवित होने की संभावना कम होती जा रही है क्योंकि आपदा के बाद लगभग एक सप्ताह का समय गुजर चुका है.

हर्षिल घाटी में मौसम की मार
मौसम विभाग ने प्रदेश में 13 से 15 अगस्त के दौरान भी भारी बारिश की आशंका जताई है. इससे पहले दिन में भारत तिब्बत सीमा पुलिस के एक अधिकारी ने धराली में कहा था कि बल के कार्मिक उस जगह पर हाथ से मलबे की खुदाई कर रहे हैं जहां आपदा आने से पहले एक होटल हुआ करता था. उन्होंने कहा, ‘‘यहां एक होटल था, जब आपदा आई, उस समय उसके सामने कुछ लोग घूम रहे थे. यहां रडार उपकरण की मदद से हाथ से खुदाई की जा रही है क्योंकि हो सकता है कि यहां लोग दबे हों.''

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं