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गणेश गोदियाल बने उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, प्रीतम सिंह और हरक सिंह रावत पर बड़ा दांव

गणेश गोटियाल 2002 में थलीसैंण विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे. गणेश गोटियाल ने थाली सेंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के बड़े नेता रमेश पोखरियाल निशंक को हराया था. इसके बाद 2007 में विधानसभा चावन में गणेश गोदयाल को हार का सामना करना पड़ा.

गणेश गोदियाल बने उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, प्रीतम सिंह और हरक सिंह रावत पर बड़ा दांव
  • कांग्रेस हाई कमान ने गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू की हैं
  • पूर्व विधायक और कैबिनेट मंत्री प्रीतम सिंह को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है
  • उत्तराखंड में कांग्रेस ने 27 सांगठनिक जिलों के अध्यक्षों की नियुक्ति कर संगठन को मजबूत करने का प्रयास किया है
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नई दिल्ली:

उत्तराखंड कांग्रेस को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है. कांग्रेस हाई कमान ने प्रदेश कांग्रेस संगठन में फेरबदल कर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है. कांग्रेस हाई कमान ने पूर्व विधायक और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को एक बार फिर से उत्तराखंड कांग्रेस की कमान सौंपी है. 

भले ही उत्तराखंड में अभी 14 महीने बचें हैं लेकिन उत्तराखंड में मुख्य राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस चुनावी मोड में आ गए हैं जहां भाजपा ने अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी है. तो वहीं कांग्रेस ने भी चुनावी तैयारी शुरू कर दी है. कांग्रेस ने अपने प्रदेश संगठन में बड़ा फेरबदल किया है. कांग्रेस संगठन ने नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में गणेश गोदियाल को जिम्मेदारी दी है तो वहीं लगातार छह बार के विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया है. तो दूसरी तरफ पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को चुनाव प्रबंधन समिति की कमान दी गई है.

गणेश गोटियाल 2002 में थलीसैंण विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे. गणेश गोटियाल ने थाली सेंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के बड़े नेता रमेश पोखरियाल निशंक को हराया था. इसके बाद 2007 में विधानसभा चावन में गणेश गोदयाल को हार का सामना करना पड़ा. साल 2012 में परिसीमन के बाद प्रेसिडेंट सेट श्रीनगर विधानसभा सीट बन गई. साल 2012 में गणेश गोदियाल ने श्रीनगर से चुनाव लड़ा और इस बार उन्होंने धन सिंह रावत को चुनाव हराया लेकिन साल 2017 में बेहद ही नजदीक मुकाबले में धन सिंह रावत से गणेश गोदियल चुनाव हार गए. 2021 में गणेश गोदियाल को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष का जमा दिया पर 2022 के विधानसभा चावन में गणेश गोदियाल फिर धन सिंह रावत से चुनाव हार गए. इसके बाद गणेश गोदियाल को अध्यक्ष पद से हटाकर करन महारा को प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी दी गई. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हाई कम ने गणेश गोदयाल को कांग्रेस का टिकट दिया. लोकसभा चुनाव में गढ़वाल लोकसभा से गणेश गोदयाल चुनाव लड़े लेकिन उन्हें भाजपा के अनिल बलूनी ने चुनाव हारा दिया.

गणेश गोदियाल को इससे पहले जब कमान सौंप गई थी तो वह चुनाव का समय था अब गणेश गोदियाल को 1 साल पहले प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. ऐसे में गणेश गोदियाल के पास सबसे महत्वपूर्ण संगठन को अच्छा बाजी से दूर करना है. संगठन को मजबूत करना है और कार्यकर्ताओं को दोबारा सक्रिय कर 2017 से सत्ता से दूर कांग्रेस को वापस सत्ता में लाने की जिम्मेदारी है. इसके अलावा कांग्रेस संगठन ने अपने 27 सांगठनिक जिलों के अध्यक्षों की भी नियुक्ति कर दी है. अब कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को दिग्गजों को साथ लेकर उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस को आगे बढ़ाना है.

अब इसका राजनीतिक समीकरण समझते हैं. उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं दो रीजन हैं. गढ़वाल रीजन में 7 जिले आते हैं तो कुमाऊं में 6 जिले आते हैं. कुल मिलाकर उत्तराखंड में 13 जिलों में 70 विधानसभा सीट हैं. जिसमें 41 विधानसभाएं गढ़वाल रीजन में आती है. गढ़वाल रीजन में पौड़ी, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग ,उत्तरकाशी, देहरादून और हरिद्वार जिले आते हैं इसके अलावा कुमाऊँ रीजन में 6 जिले आते हैं. कुमाऊँ रीजन में नैनीताल, उधम सिंह नगर, अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर, पिथौरागढ़ जिले हैं 29 विधानसभा सीट हैं.

2022 के चुनाव में बीजेपी ने गढ़वाल रीजन से 41 में से 29 सीटें जीती थी. आठ कांग्रेस ने और चार दूसरे दलों ने सीट जीती थी तो वहीं कुमाऊँ रीजन की 29 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 18 सीटे जीती थीं 11 सीटे कांग्रेस ने जीती थीं. इसके बाद राज्य में तीन उपचुनाव हुए जिसमें केदारनाथ विधानसभा सीट को भाजपा ने अपने पास बरकरार रखा लेकिन बद्रीनाथ विधानसभा सीट को बीजेपी हार गई.

2022 में भाजपा की सरकार बनी और इसमें सबसे अहम रोल गढ़वाल की 29 सीटों का है और यह बीजेपी जानती है की गढ़वाल की 41 में से 29 सीट उसको सत्ता तक पहुंचने में कितना महत्वपूर्ण दम रखती हैं और कांग्रेस भी जानती है कि अगर उसे 2027 में राज्य में सत्ता पर काबिज होना है तो ऐसे में उसे गढ़वाल की 41 सीटों में ज्यादातर सीट जीतने का दम भरना होगा. तब जाकर उत्तराखंड की सत्ता की राह आसान हो पाएंगी. कांग्रेस ने अपनी नई टीम में जातीय समीकरण का संतुलन रखा है.

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