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This Article is From May 08, 2018

शववाहन नहीं दिया गया, कंधे पर उठाकर अस्पताल से घर ले जाना पड़ा पत्नी का शव

अस्पताल प्रशासन ने आरोपों से इंकार किया, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मामले की जांच के आदेश दिए

शववाहन नहीं दिया गया, कंधे पर उठाकर अस्पताल से घर ले जाना पड़ा पत्नी का शव
शव वाहन न मिलने पर पत्नी का शव कंधे पर उठाकर ले जाता हुआ व्यक्ति.
बदायूं: चिकित्सा विभाग की मरीज़ों और मृतकों के प्रति उदासीनता का एक मामला उत्तर प्रदेश के बदायूं में सामने आया, जब एक व्यक्ति को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर उठाकर टैम्पो ड्राइवरों से विनती करते सुना गया, ताकि वे शव को उसके घर तक पहुंचा सकें, क्योंकि व्यक्ति के मुताबिक जिला अस्पताल ने शव वाहन उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया था.

अस्पताल प्रशासन ने हालांकि आरोपों से इंकार करते हुए दावा किया है कि अस्पताल के पास दो शववाहन हैं, और हर मांगने वाले को वे उपलब्ध कराए जाते हैं. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.

समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा, "इस बारे में जानकारी मीडिया के ज़रिये मिली, और यह निंदनीय है... लेकिन हमारे पास दो शववाहन हैं, जो हर मांगने वाले को उपलब्ध कराए जाते हैं... मैं इस मामले की जांच करूंगा, और दोषियों को दंडित किया जाएगा..."

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इस किस्से से ओडिशा के कालाहांडी में पिछले साल हुई वह घटना याद आती है, जिसमें दाना माझी नामक आदिवासी शख्स को लगभग 10 किलोमीटर तक अपनी पत्नी का शव उठाकर चलना पड़ा था. इसके बाद इस तरह के कई किस्से सामने आ चुके हैं.

दो महीने पहले ही उत्तर प्रदेश के ही बाराबंकी में एक दिव्यांग लड़के और उसकी बहन को अपने पिता का शव को रिक्शा पर ले जाने के लिए विवश होना पड़ा, क्योंकि उन्हें भी शववाहन उपलब्ध नहीं कराया गया था.

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इसके अलावा पिछले साल जुलाई में ओडिशा में ही 80-वर्षीय महिला के शव को उसके परिवार को कपड़े में लपेटकर उठाकर अस्पताल से ले जाना पड़ा था. पिछले साल जुलाई में ही झारखंड के चतरा जिले से भी इसी तरह की घटना के बारे में ख़बर मिली थी, जब शववाहन उपलब्ध नहीं करवाए जाने की वजह से एक व्यक्ति के शव को उसके परिजन चादर में लपेटकर घर ले गए थे.

 मार्च, 2017 में बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर जिले में एक महिला के परिजनों को सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं करवाई गई, और उन्हें उसके शव को कंधों पर उठाकर घर ले जाना पड़ा था.

VIDEO : पिता कंधे पर ले गया बेटे का शव

राज्य सरकारों ने हर बार अपने-अपने स्वास्थ्य विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि मृतकों के साथ सम्मान का व्यवहार किया जाए, लेकिन लगता है, गरीबों की तकलीफ से किसी के कानों पर जूं भी नहीं रेंगती, और इस तरह की घटनाएं लगातार होती रहती हैं.

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