
- इटावा में दो कथावाचकों से कथित तौर पर जाति के आधार पर बदसलूकी हुई थी.
- अखिलेश यादव ने इस घटना को लेकर बीजेपी को पिछड़ा विरोधी करार दिया है.
- योगी आदित्यनाथ सरकार ने कानून के मुताबिक कार्रवाई का भरोसा दिलाया है.
उत्तर प्रदेश के इटावा में पिछले दिनों दो कथावाचकों से कथित तौर पर जाति को लेकर मारपीट करने, चोटी काटने और बदसलूकी किए जाने को विपक्षी दलों ने मुद्दा बना लिया है. समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव इस मामले को लेकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हैं. वह पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) का हिंदुत्व वाला कार्ड खेल रहे हैं. अब उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के नाम पर बीजेपी को घेरने का दांव चला है.
इटावा अखिलेश यादव के परिवार का गृह जिला है. अब यादव परिवार की राजनीति खासकर जाति वाली राजनीति का नया सेंटर बन रहा है. एक तरफ यादव हैं तो दूसरी तरफ ब्राह्मण बिरादरी के लोग हैं. आठ साल से सत्ता से दूर समाजवादी पार्टी को इस मामले के बहाने उम्मीद नज़र आने लगी है. बीजेपी पर एक के बाद एक हमले कर रहे अखिलेश यादव अब एमपी के सीएम मोहन यादव के नाम पर बीजेपी को पिछड़ा विरोधी बता रहे हैं.
अखिलेश ने कहा कि बीजेपी के लोग पिछड़ों को अपने साथ जोड़ने के लिए कहीं मुख्यमंत्री बना रहे हैं तो कहीं कुछ और कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में उन्होंने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है. जरा सोचिए, इस घटना को लेकर मोहन यादव पर क्या गुजर रही होगी. जब उन्हें पता चला कि यादव होने की वजह से कथावाचकों की चोटी काट दी गई, पेशाब छिड़ककर शुद्धिकरण किया गया है तो वो सीएम योगी आदित्यनाथ के बराबर में बैठकर क्या सोच रहे होंगे.
अखिलेश की कोशिशों के बावजूद यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार इस मामले हाथ जलाने को तैयार नहीं दिखती. उत्तर प्रदेश सरकार में सिंचाई मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि 2017 के बाद सपा की गुंडागर्दी को योगी आदित्यनाथ ने कुचल दिया है. इससे बौखलाकर वे बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी घटना में जो लोग भी दोषी पाए जाते है, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाती है.
कथावाचकों की शिकायत पर पुलिस अब तक चार लोगों को जेल भेज चुकी हैं. हालांकि बदसलूकी के आरोपी ब्राह्मण परिवार की शिकायत पर कोई केस दर्ज नहीं हुआ है. उनका आरोप है कि यादव समाज के कथावाचकों ने महिलाओं के साथ छेड़खानी की थी. इसके अलावा वे कथावाचक मुकुट मणि के एक ही फोटो पर दो आधार कार्ड होने का आरोप भी लगा रहे हैं. इस मामले में यूपी सरकार का दावा है कि कानून अपना काम कर रहा है.
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