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कठिन दौर से गुजर रही BSP! क्या अब फ्रंटफुट पर खेलेंगे ईशान, भतीजों को लेकर मायावती की क्या है रणनीति?

मीटिंग में ईशान आनंद चुपचाप सब कुछ देखते और सुनते रहे, जबकि मायावती उन्हें राजनीति की ट्रेनिंग देती नजर आईं और संगठन का एबीसीडी सिखाती दिखीं. यह पहला अवसर था जब ईशान बीएसपी की किसी बैठक में शामिल हुए थे. मायावती ने पार्टी के नेताओं से उनका परिचय भी कराया.

कठिन दौर से गुजर रही BSP! क्या अब फ्रंटफुट पर खेलेंगे ईशान, भतीजों को लेकर मायावती की क्या है रणनीति?

बीएसपी प्रमुख मायावती की पार्टी इन दिनों सबसे कठिन दौर से गुजर रही है. चुनाव दर चुनाव बीएसपी का प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है. बीते लोकसभा चुनाव में तो पार्टी का खाता तक नहीं खुला, न ही गठबंधन से बीएसपी को कोई फायदा हुआ और न ही अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने का फार्मूला सफल रहा. राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बीएसपी के दो-चार विधायक चुने गए थे, लेकिन अब वहां भी पार्टी का प्रदर्शन जीरो हो गया है.

बीएसपी अपने सबसे मजबूत गढ़ उत्तर प्रदेश में भी संकट में है. यूपी में मायावती चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, लेकिन अब पार्टी का वोट शेयर घटकर केवल 9.4% रह गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मायावती के मन में क्या चल रहा है और पार्टी को संकट से उबारने के लिए वे क्या कदम उठाएंगी.

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मायावती की सबसे बड़ी चिंता: अपने दलित वोट बैंक को बचाना
मायावती की सबसे बड़ी चिंता अब अपने पारंपरिक वोट बैंक, खासकर दलित वोटरों को बचाने की है. उनके दलित वोट बैंक में बिखराव आ रहा है, जिसे वे सहेजने की कोशिश कर रही हैं. गैर-जाटव वोट बैंक में बीजेपी और समाजवादी पार्टी की अच्छी पकड़ बन गई है, जबकि जाटव वोटरों को अपनी तरफ खींचने में कांग्रेस जुटी हुई है. उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती चंद्रशेखर आजाद से मिल रही है, जो खुद लोकसभा सांसद बन चुके हैं. हाल में हुए विधानसभा उपचुनावों में उनकी पार्टी ने बीएसपी से भी बेहतर प्रदर्शन किया और तीन सीटों पर जीत हासिल की. युवा दलित वोटरों का रुझान अब बीएसपी से आजाद समाज पार्टी की तरफ बढ़ने लगा है. शायद यही कारण है कि मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में नंबर दो की जिम्मेदारी सौंपी है. युवा वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए उन्होंने इस पर काम भी शुरू कर दिया है.

बीएसपी प्रमुख मायावती ने अपने 69वें जन्मदिन पर पहली बार अपने दूसरे भतीजे ईशान आनंद को साथ लेकर आईं. उन्होंने ईशान को अपने पास बुलाकर उनके साथ फोटो भी खिंचवाई. इस तस्वीर में मायावती के दाईं ओर आकाश आनंद और उनके बाद ईशान आनंद खड़े थे. बीएसपी प्रमुख ने खुद तय किया कि फोटो में कौन कहां खड़ा होगा. लेकिन चौबीस घंटे बाद ईशान की पोजीशन में बदलाव हो गया. आज उसी स्थान पर मायावती अपने दोनों भतीजों के साथ पहुंची, लेकिन इस बार उन्होंने आकाश आनंद को बाईं ओर और ईशान आनंद को दाईं ओर रखा. ईशान के साथ इस बार सतीश चंद्र मिश्र भी खड़े थे.

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ईशान आनंद की पोजीशन चौबीस घंटे में बदल गई
मायावती के साथ वाली फोटो में ईशान आनंद की पोजीशन चौबीस घंटे में बदल गई, लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या राजनीति में उनके लिए कुछ बड़ा बदलाव हो सकता है. पहली बार मायावती ने ईशान आनंद को बीएसपी की मीटिंग में बुलाया, जो यूपी के बीएसपी नेताओं की बैठक थी. इस बैठक में पार्टी के जिला अध्यक्ष स्तर के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था.

मीटिंग में ईशान आनंद चुपचाप सब कुछ देखते और सुनते रहे, जबकि मायावती उन्हें राजनीति की ट्रेनिंग देती नजर आईं और संगठन का एबीसीडी सिखाती दिखीं. यह पहला अवसर था जब ईशान बीएसपी की किसी बैठक में शामिल हुए थे. मायावती ने पार्टी के नेताओं से उनका परिचय भी कराया.

क्या ईशान आनंद को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी?
क्या मायावती ने ईशान आनंद के लिए बीएसपी में कोई खास भमिका तय की है? अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या मायावती ने अपने भतीजे ईशान आनंद के लिए बीएसपी में कोई खास योजना बना रखी है? मायावती के बड़े भतीजे आकाश आनंद पहले से ही बीएसपी में हैं और पार्टी में उनकी हैसियत मायावती के बाद सबसे ताकतवर नेता की मानी जाती है. दिल्ली चुनाव की ज़िम्मेदारी भी उनके पास है, और दिसंबर 2023 में उन्हें मायावती ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें अपरिपक्व नेता बताकर कुछ समय के लिए हटा दिया गया था, लेकिन अब फिर से उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया गया.

अब सवाल यह है कि क्या मायावती अपने छोटे भतीजे ईशान आनंद के लिए पार्टी में कोई बड़ी भूमिका तय कर रही हैं. यूपी के बीएसपी नेताओं की बैठक खत्म होने के बाद भी मायावती ने ईशान के बारे में कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन यह तय है कि वे जल्द ही पार्टी में एक नया पावर सेंटर बन सकते हैं.

'न तो मैं टायर्ड हूं, और न ही रिटायर्ड हूं'
वैसे, एक दौर में मायावती ने कहा था कि परिवार नहीं, बल्कि पार्टी का कोई सामान्य जाटव कार्यकर्ता ही उनका उत्तराधिकारी बनेगा. हालांकि, राजनीति में सिद्धांत बदलते रहते हैं और यह सवाल अब भी बना हुआ है कि बीएसपी में मायावती के बाद कौन? मायावती इस सवाल का खुद ही जवाब देती हैं - "न तो मैं टायर्ड हूं, और न ही रिटायर्ड हूं."

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