
अयोध्या के मशहूर हनुमानगढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी अक्षय तृतीया पर मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए मंदिर परिसर से बाहर निकले. हनुमानगढ़ी के गद्दी नसीन 70 साल के महंत प्रेमदास हनुमानगढ़ी के 52 बीघा क्षेत्र से पहली बार जब बाहर निकले तो नजारा कुछ अलग ही था. हाथी, घोड़े, बैंड,बाजा और हर तरफ श्रद्धालुओं की धूम. सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर भव्य रथ पर सवार होकर प्रेमदास सरयू की तरफ रवाना हुए. इस दौरान 40 से ज्यादा जगहों पर श्रद्धालुओं ने उन पर पुष्प वर्षा की. महंत प्रेमदास रामलला के दर्शन के दौरान उनको 56 भोग अर्पित करेंगे.
सरयू स्नान, फिर रामलला के दर्शन
पवित्र सरयू में स्नान करने के बाद महंत प्रेमदास रामलाल के दर्शन के लिए रवाना होंगे. महंत प्रेमदास जब शाही जुलूस के साथ सरयू पहुंचे तो वहां का नजारा ऐतिहासिक था. इस पल का गवाह बनने के लिए अयोध्या के लोग बड़ी संख्या में वहां पहुंचे.
हनुमान जी का आदेश पूरा करने निकले महंत प्रेमदास
महंत प्रेमदास का कहना है कि हनुमान जी ने सपने में आकर उनको रामलला के दर्शन करने का आदेश दिया है. इस बात को ध्यान में रखते हुए निर्वाणी अखाड़े ने अपनी परंपरा को तोड़ते हुए महंत को राम मंदिर के दर्शन की अनुमति दी. बता दें कि सदियों पुरानी परंपरा के मुताबिक हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन को जीवन भर मंदिर से बाहर जाने की मनाही होती है.प्रेम दास द्वारा राम मंदिर में दर्शन की इच्छा के बाद इस परंपरा में बदलाव किया गया है.
भव्य जुलूस, भावुक हुए हनुमानगढ़ी के महंत
महंत प्रेमदास हनुमानगढ़ी से राम मंदिर तक अखाड़े के निशान के साथ एक जुलूस का नेतृत्व किया. इस जुलूस में हाथी, घोड़े और ऊंट शामिल थे. मंदिर के मुख्य पुजारी के साथ नागा साधु, उनके शिष्य, भक्त और स्थानीय व्यापारी भी जलूस में मौजूद रहे.
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