सुप्रीम कोर्ट.
- शबनम रानी के आवेदन पर 17 सितंबर को सुनवाई होगी
- न्यायालय से बेहतर उपचार दिलाने का भी अनुरोध किया
- शौहर ने तलाक देने के बाद देवर से निकाह हलाला करने के लिए मजबूर किया
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट निकाह हलाला के खिलाफ याचिका दायर करने वाली महिला पर कल हुए तेजाब के हमले के मद्देनजर उसे सुरक्षा मुहैया कराने के आवेदन पर 17 सितंबर को सुनवाई करने के लिए शुक्रवार को तैयार हो गया.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता शबनम रानी के आवेदन पर विचार के बाद कहा कि इस पर 17 सितंबर को सुनवाई की जाएगी.
यह भी पढ़ें : हलाला और बहु विवाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करने वाली महिला पर एसिड अटैक
शबनम रानी पर कल उप्र के बुलंदशहर में कथित रूप से उसके देवर ने उस पर तेजाब फेंक दिया था. इस हमले में जख्मी शबनम को अस्पताल में दाखिल कराया गया है. शबनम ने न्यायालय से उसे बेहतर उपचार दिलाने का भी अनुरोध किया है.
न्यायालय ने शबनम के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय को इस याचिका की एक-एक प्रति केन्द्र और उप्र सरकार को देने का निर्देश दिया है.
VIDEO : निकाह-हलाला का मामला संविधान पीठ के पास
मुस्लिम समुदाय में निकाह हलाला और बहुविवाह की परंपरा को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में अनेक याचिकाएं दायर की गई हैं. इनमें कहा गया है कि इन प्रथाओं को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन होता है. शबनम का आरोप है कि उसके शौहर ने उसे एक बार में तीन तलाक देने के बाद अपने देवर से निकाह हलाला करने के लिए मजबूर किया.
(इनपुट भाषा से)
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता शबनम रानी के आवेदन पर विचार के बाद कहा कि इस पर 17 सितंबर को सुनवाई की जाएगी.
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शबनम रानी पर कल उप्र के बुलंदशहर में कथित रूप से उसके देवर ने उस पर तेजाब फेंक दिया था. इस हमले में जख्मी शबनम को अस्पताल में दाखिल कराया गया है. शबनम ने न्यायालय से उसे बेहतर उपचार दिलाने का भी अनुरोध किया है.
न्यायालय ने शबनम के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय को इस याचिका की एक-एक प्रति केन्द्र और उप्र सरकार को देने का निर्देश दिया है.
VIDEO : निकाह-हलाला का मामला संविधान पीठ के पास
मुस्लिम समुदाय में निकाह हलाला और बहुविवाह की परंपरा को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में अनेक याचिकाएं दायर की गई हैं. इनमें कहा गया है कि इन प्रथाओं को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन होता है. शबनम का आरोप है कि उसके शौहर ने उसे एक बार में तीन तलाक देने के बाद अपने देवर से निकाह हलाला करने के लिए मजबूर किया.
(इनपुट भाषा से)