Tribal Tradition
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मौत पर बजते हैं ढोल-नगाड़े,बच्चा पैदा होने पर पसर जाता है सन्नाटा, बहाते हैं आंसू,उल्टी है इस समुदाय की परंपरा
- Wednesday November 19, 2025
Death Celebration India: राजस्थान की सातिया जनजाति में मौत को जश्न और जन्म को मातम माना जाता है. यह सोच हमें जिंदगी-मृत्यु के मायने दोबारा सोचने पर मजबूर करती है. उनका ये रिवाज समझाता है कि हर संस्कृति की अपनी एक गहराई होती है, जिसे समझना जरूरी है.
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अनूठी है आदिवासी समाज में मौत के बाद आत्मा ले जाने की परंपरा, इस तरह ले जाते हैं परिजन
- Wednesday November 5, 2025
राजस्थान के डूंगरपुर के आदिवासी समाज में मौत के बाद आत्मा ले जाने की एक अनूठी परंपरा है. इसके लिए परिजन उस जगह पर जाते हैं, जहां मौत हुई होती है. वहां पूजा-अर्चना कर आत्मा को बुलावा दिया जाता है. परिजन आत्मा के आने का प्रतिकात्मक दीपक जलाकर ढोल-धमाके के साथ घर जाते हैं. इसके बारे में बता रहे हैं प्रवेश जैन.
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सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस मेट्रो ट्रेन की फोटो ने मचाई हलचल, पहचानिए ये किस शहर की मेट्रो है?
- Tuesday October 21, 2025
Viral Metro Coach Art: सोशल मीडिया पर वायरल 'पटना मेट्रो' की फोटो दरअसल पुणे मेट्रो की थी, जिस पर वर्ली (वारली) आर्ट बनी थी. गलतफहमी जरूर हुई, लेकिन लोगों का कला के प्रति प्यार साफ झलक गया.
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छत्तीसगढ़ के बस्तर में देवी-देवताओं को क्यों दी जाती है सजा? जानिए कैसे सुनाया जाता है फैसला?
- Sunday September 8, 2024
Tribal Culture: क्या आपने कभी सोचा है कि देवी-देवता भी अदालत के कटघरे में खड़े हो सकते हैं? बस्तर के भंगाराम देवी मंदिर में एक ऐसी ही अनोखी परंपरा है, जहां लोगों की शिकायतों पर देवी-देवताओं को सजा दी जाती है...
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600 साल पुरानी अनूठी परंपरा- ढाई महीनों तक मनाते हैं दशहरा, लेकिन नहीं मारा जाता रावण
- Tuesday October 11, 2016
भारत में एक जगह ऐसी है जहां 75 दिनों तक दशहरा मनाया जाता है लेकिन रावण नहीं जलाया जाता है. यह अनूठा दशहरा छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाके बस्तर में मनाया जाता है और 'बस्तर दशहरा' के नाम से चर्चित है.
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मौत पर बजते हैं ढोल-नगाड़े,बच्चा पैदा होने पर पसर जाता है सन्नाटा, बहाते हैं आंसू,उल्टी है इस समुदाय की परंपरा
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अनूठी है आदिवासी समाज में मौत के बाद आत्मा ले जाने की परंपरा, इस तरह ले जाते हैं परिजन
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- Tuesday October 11, 2016
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