Supreme Court On Governor
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राज्यपाल और राष्ट्रपति के अधिकारों से जुड़े वो 14 सवाल क्या हैं, जिन पर आज आएगा 'सुप्रीम' फैसला
- Thursday November 20, 2025
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ गुरुवार को यह अहम फैसला सुना सकती है कि क्या अदालत विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति की डेडलाइन तय कर सकती है या नहीं.
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राज्यपाल-राष्ट्रपति विधेयकों पर कब तक लें फैसला, समयसीमा पर SC का बड़ा फैसला आज
- Thursday November 20, 2025
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अगुवाई वाली 5 जजों की संविधान पीठ यह भी फैसला देगी कि क्या गवर्नर की बिल सम्बंधी शक्तियां न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं या नहीं.
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फिर तो चुनी गई सरकार राज्यपाल की मर्जी पर निर्भर होगी... सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
- Wednesday August 20, 2025
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्यपाल का पद विवेकाधीन शक्तियों के बिना एक पोस्टमैन बनकर रह जाएगा. राज्यपाल पोस्टमैन नहीं हैं. वह भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं.
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राष्ट्रपति और राज्यपालों को भेजे गए विधेयकों पर फैसला लेने की समयसीमा पर सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
- Tuesday August 19, 2025
पहले दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने टिप्पणी की कि हम केवल कानून पर अपना दृष्टिकोण व्यक्त करेंगे, राज्यपाल मामले में दिए गए निर्णय पर नहीं.
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राज्यपालों पर समयसीमा आदेश से संवैधानिक संकट का खतरा: केंद्र
- Monday August 18, 2025
इस मामले पर सुनवाई 19 अगस्त से शुरू होगी. पांच जजों की पीठ ये सुनवाई करेगी. केंद्र ने कहा, "अनुच्छेद 142 में निहित अपनी असाधारण शक्तियों के तहत भी, सुप्रीम कोर्ट संविधान में संशोधन नहीं कर सकता या संविधान निर्माताओं की मंशा को विफल नहीं कर सकता, बशर्ते कि संवैधानिक पाठ में ऐसी कोई प्रक्रियागत जनादेश न हों.
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तमिलनाडु बनाम राज्यपाल मामला: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की तरह राष्ट्रपति के लिए भी दी समय सीमा
- Saturday April 12, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि राज्यों को संविधान के उन प्रावधानों से संबंधित मामलों पर कानून पेश करने से पहले केंद्र सरकार के साथ पूर्व-विधान परामर्श करना चाहिए, जहां राष्ट्रपति की सहमति की आवश्यकता हो सकती है.
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केरल सरकार से मतभेद नहीं, संवैधानिक मशीनरी धराशायी न हो, यह मेरी जिम्मेदारी : आरिफ मोहम्मद खान
- Friday January 17, 2020
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि राज्य सरकार और उनके बीच कोई फर्क नहीं होता है. यह उनकी जिम्मेदारी है कि ऐसी कोई स्थिति न पहुंचे जहां पर संवैधानिक मशीनरी धराशाई हो जाए.
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CAA के खिलाफ केरल सरकार के SC जाने से नाराज राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, कहा- मैं सिर्फ रबर स्टैंप नहीं
- Thursday January 16, 2020
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, 'ये प्रोटोकॉल और तहजीब का उल्लंघन है. मैं इस पर गौर करूंगा कि क्या राज्य सरकार राज्यपाल की मंजूरी के बिना सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. अगर मंजूरी नहीं तो वो मुझे सिर्फ जानकारी दे सकते थे. वो लोग सु्प्रीम कोर्ट गए हैं, मुझे इसपर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन पहले उन्हें मुझे इसकी जानकारी जरूर देनी चाहिए थी. मैं संवैधानिक तौर पर प्रमुख हूं और मुझे इसके बारे में न्यूज पेपर से पता चलता है. जाहिर है, मैं सिर्फ एक रबर स्टैंप नहीं हूं.'
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नया नहीं है कर्नाटक का 'नाटक': इन राज्यों में मच चुका है सियासी घमासान, पढ़ें ऐसे 5 किस्से
- Friday July 19, 2019
- NDTVKhabar News Desk
गुरुवार को विश्वासमत प्रस्ताव पेश किया गया, लेकिन एच.डी. कुमारस्वामी ने विश्वासमत हासिल नहीं किया, और स्पीकर ने चर्चा जारी रखी. इसका विरोध करते हुए BJP ने राज्यपाल से गुहार की, जिन्होंने खत लिखकर मुख्यमंत्री से विश्वासमत की प्रक्रिया को गुरुवार को निपटाने के लिए कहा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, और शुक्रवार सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरू हो जाने के बावजूद कांग्रेस ने राज्यपाल द्वारा खत लिखे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटा दिया.
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सीएम नारायणसामी की उम्मीदों को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पुडुचेरी की तुलना दिल्ली से नहीं की जा सकती
- Friday July 6, 2018
- Bhasha
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि पुडुचेरी की तुलना दिल्ली के मामले से नहीं की जा सकती क्योंकि पुडुचेरी के शासन का प्रावधान राष्ट्रीय राजधानी से संबंधित प्रावधान से अलग है. शीर्ष अदालत ने कहा कि पुडुचेरी का मामला केन्द्र शासित प्रदेशों अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दमन और दीव, दादर नागर हवेली, लक्षद्वीप और चंडीगढ से भी अलग है. पीठ ने कहा कि पुडुचेरी का शासन संविधान के अनुच्छेद 239 ए के अनुसार चलता है जबकि दिल्ली के शासन के लिये पृथक अनुच्छेद 239 एए उपलब्ध है.
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राज्यपाल और राष्ट्रपति के अधिकारों से जुड़े वो 14 सवाल क्या हैं, जिन पर आज आएगा 'सुप्रीम' फैसला
- Thursday November 20, 2025
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ गुरुवार को यह अहम फैसला सुना सकती है कि क्या अदालत विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति की डेडलाइन तय कर सकती है या नहीं.
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राज्यपाल-राष्ट्रपति विधेयकों पर कब तक लें फैसला, समयसीमा पर SC का बड़ा फैसला आज
- Thursday November 20, 2025
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अगुवाई वाली 5 जजों की संविधान पीठ यह भी फैसला देगी कि क्या गवर्नर की बिल सम्बंधी शक्तियां न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं या नहीं.
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फिर तो चुनी गई सरकार राज्यपाल की मर्जी पर निर्भर होगी... सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
- Wednesday August 20, 2025
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- Tuesday August 19, 2025
पहले दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने टिप्पणी की कि हम केवल कानून पर अपना दृष्टिकोण व्यक्त करेंगे, राज्यपाल मामले में दिए गए निर्णय पर नहीं.
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राज्यपालों पर समयसीमा आदेश से संवैधानिक संकट का खतरा: केंद्र
- Monday August 18, 2025
इस मामले पर सुनवाई 19 अगस्त से शुरू होगी. पांच जजों की पीठ ये सुनवाई करेगी. केंद्र ने कहा, "अनुच्छेद 142 में निहित अपनी असाधारण शक्तियों के तहत भी, सुप्रीम कोर्ट संविधान में संशोधन नहीं कर सकता या संविधान निर्माताओं की मंशा को विफल नहीं कर सकता, बशर्ते कि संवैधानिक पाठ में ऐसी कोई प्रक्रियागत जनादेश न हों.
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तमिलनाडु बनाम राज्यपाल मामला: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की तरह राष्ट्रपति के लिए भी दी समय सीमा
- Saturday April 12, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि राज्यों को संविधान के उन प्रावधानों से संबंधित मामलों पर कानून पेश करने से पहले केंद्र सरकार के साथ पूर्व-विधान परामर्श करना चाहिए, जहां राष्ट्रपति की सहमति की आवश्यकता हो सकती है.
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केरल सरकार से मतभेद नहीं, संवैधानिक मशीनरी धराशायी न हो, यह मेरी जिम्मेदारी : आरिफ मोहम्मद खान
- Friday January 17, 2020
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि राज्य सरकार और उनके बीच कोई फर्क नहीं होता है. यह उनकी जिम्मेदारी है कि ऐसी कोई स्थिति न पहुंचे जहां पर संवैधानिक मशीनरी धराशाई हो जाए.
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CAA के खिलाफ केरल सरकार के SC जाने से नाराज राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, कहा- मैं सिर्फ रबर स्टैंप नहीं
- Thursday January 16, 2020
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, 'ये प्रोटोकॉल और तहजीब का उल्लंघन है. मैं इस पर गौर करूंगा कि क्या राज्य सरकार राज्यपाल की मंजूरी के बिना सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. अगर मंजूरी नहीं तो वो मुझे सिर्फ जानकारी दे सकते थे. वो लोग सु्प्रीम कोर्ट गए हैं, मुझे इसपर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन पहले उन्हें मुझे इसकी जानकारी जरूर देनी चाहिए थी. मैं संवैधानिक तौर पर प्रमुख हूं और मुझे इसके बारे में न्यूज पेपर से पता चलता है. जाहिर है, मैं सिर्फ एक रबर स्टैंप नहीं हूं.'
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नया नहीं है कर्नाटक का 'नाटक': इन राज्यों में मच चुका है सियासी घमासान, पढ़ें ऐसे 5 किस्से
- Friday July 19, 2019
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गुरुवार को विश्वासमत प्रस्ताव पेश किया गया, लेकिन एच.डी. कुमारस्वामी ने विश्वासमत हासिल नहीं किया, और स्पीकर ने चर्चा जारी रखी. इसका विरोध करते हुए BJP ने राज्यपाल से गुहार की, जिन्होंने खत लिखकर मुख्यमंत्री से विश्वासमत की प्रक्रिया को गुरुवार को निपटाने के लिए कहा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, और शुक्रवार सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरू हो जाने के बावजूद कांग्रेस ने राज्यपाल द्वारा खत लिखे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटा दिया.
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सीएम नारायणसामी की उम्मीदों को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पुडुचेरी की तुलना दिल्ली से नहीं की जा सकती
- Friday July 6, 2018
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि पुडुचेरी की तुलना दिल्ली के मामले से नहीं की जा सकती क्योंकि पुडुचेरी के शासन का प्रावधान राष्ट्रीय राजधानी से संबंधित प्रावधान से अलग है. शीर्ष अदालत ने कहा कि पुडुचेरी का मामला केन्द्र शासित प्रदेशों अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दमन और दीव, दादर नागर हवेली, लक्षद्वीप और चंडीगढ से भी अलग है. पीठ ने कहा कि पुडुचेरी का शासन संविधान के अनुच्छेद 239 ए के अनुसार चलता है जबकि दिल्ली के शासन के लिये पृथक अनुच्छेद 239 एए उपलब्ध है.
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