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Ravish Kumar Blog On Pm Modi

'Ravish Kumar Blog On Pm Modi' - 20 News Result(s)
  • रवीश कुमार का ब्लॉग: मोदी जी को 400 नहीं 545 सीट दीजिए लेकिन उनकी भाषा मत लीजिए

    रवीश कुमार का ब्लॉग: मोदी जी को 400 नहीं 545 सीट दीजिए लेकिन उनकी भाषा मत लीजिए

    छह साल बाद अर्थव्यवस्था फेल है. इस दौरान जिनकी ज़िंदगी बर्बाद हुई उसे सुधरने में बहुत वक्त लग जाएगा. आप प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री की भाषा देखिए.

  • राहुल बजाज के 'डर के माहौल' वाले बयान के बाद रवीश कुमार की चिट्ठी, CII FICCI के नाम

    राहुल बजाज के 'डर के माहौल' वाले बयान के बाद रवीश कुमार की चिट्ठी, CII FICCI के नाम

    राहुल बजाज के बयान को मामूली बताने के लिए अभी तक कुछ अख़बारों में विज्ञापन दे देना था जैसे टेक्सटाइल वालों ने विज्ञापन देकर बताया था कि कैसे उनका सेक्टर बर्बाद हो गया है. तुरंत बयान दें कि सब ठीक है और भारत सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाला देश है. जब आपकी कार की स्पीड साठ से उतर कर बीस पर आती है तब आपको पता चलता है कि कार सुपर स्पीड से चल रही है.

  • कहां हैं नोटबंदी के दूरगामी परिणाम, तीन साल हो गए, आगामी कितने साल में आएगी दूरगामी

    कहां हैं नोटबंदी के दूरगामी परिणाम, तीन साल हो गए, आगामी कितने साल में आएगी दूरगामी

    8 नवंबर को एक और ख़बर आई है. रेटिंग एजेंसी मूडी ने भारत के कर्ज़ चुकाने की क्षमता को निगेटिव कर दिया है. इसका कहना है कि पांच तिमाही से आ रहे अर्थव्यवस्था में ढलान से कर्ज़ बढ़ता ही जाएगा. 2020 में बजट घाटा जीडीपी का 3.7 प्रतिशत हो जाएगा जो 3.3 प्रतिशत रखने के सरकार के लक्ष्य से बहुत ज़्यादा है. भारत की जीडीपी 6 साल में सबसे कम 5 प्रतिशत हो गई है.

  • अर्थव्यवस्था का ढलान जारी है फिर भी आयोजनों की भव्यता तूफानी है

    अर्थव्यवस्था का ढलान जारी है फिर भी आयोजनों की भव्यता तूफानी है

    आपको पता होगा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के दौरे पर हैं. चीन का भारत आना हमेशा ही महत्वपूर्ण घटना है. इस दौरे के लिए कहा गया है कि अनौपचारिक है.कोई एजेंडा नहीं है. दोनों नेता बयान नहीं देंगे. लेकिन इसका मतलब नहीं कि दौरा महत्वपूर्ण नहीं है.अनौपचारिक बातचीत में कई उलझे हुए मसलों पर खुलकर बातचीत होती है. दोनों नेता एक दूसरे का मन टोहते हैं.

  • क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूं

    क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूं

    2019 का जनादेश मेरे ख़िलाफ कैसे आ गया? मैंने जो पांच साल में लिखा बोला है क्या वह भी दांव पर लगा था? जिन लाखों लोगों की पीड़ा हमने दिखाई क्या वह ग़लत थी? मुझे पता था कि नौजवान, किसान और बैंकों में गुलाम की तरह काम करने वाले लोग भाजपा के समर्थक हैं. उन्होंने भी मुझसे कभी झूठ नहीं बोला. सबने पहले या बाद में यही बोला कि वे नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं. मैंने इस आधार पर उनकी समस्या को खारिज नहीं किया कि वे नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं. बल्कि उनकी समस्या वास्तविक थी इसलिए दिखाई. आज एक सांसद नहीं कह सकता कि उसने पचास हज़ार से अधिक लोगों को नियुक्ति पत्र दिलवाया है. मेरी नौकरी सीरीज़ के कारण दिल्ली से लेकर बिहार तक में लोगों को नियुक्ति पत्र मिला है. कई परीक्षाओं के रिज़ल्ट निकले. उनमें से बहुतों ने नियुक्ति पत्र मिलने पर माफी मांगी की वे मुझे गालियां देते थे. मेरे पास सैंकड़ों पत्र और मैसेज के स्क्रीन शॉट पड़े हैं जिनमें लोगों ने नियुक्ति पत्र मिलने के बाद गाली देने के लिए माफी मांगी है. इनमें से एक भी यह प्रमाण नहीं दे सकता कि मैंने कभी कहा हो कि नरेंद्र मोदी को वोट नहीं देना. यह ज़रूर कहा कि वोट अपने मन से दें, वोट देने के बाद नागरिक बन जाना.

  • चैनलों पर युद्ध का मंच सजा है, नायक विश्व शांति पुरस्कार लेकर लौटा है

    चैनलों पर युद्ध का मंच सजा है, नायक विश्व शांति पुरस्कार लेकर लौटा है

    मनमोहन सिंह ने ऐसा किया होता तो भाजपा मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस हो रही होती कि जब हमारे जवान मारे जा रहे हैं तो हमारे प्रधानमंत्री शांति पुरस्कार ले रहे हैं. चैनल युद्ध का माहौल बनाकर कवियों से दरबार सजवा रहे हैं और प्रधानमंत्री हैं कि शांति पुरस्कार लेकर घर आ रहे हैं. कहां तो ज्योति बने ज्वाला की बात थी, मां कसम बदला लूंगा का उफ़ान था लेकिन अंत में कहानी राम-लखन की हो गई है. वन टू का फोर वाली. मोदी को पता है.

  • प्रधानमंत्री मोदी ने भी 356 लगाकर विरोधी दल की सरकारें गिराई हैं

    प्रधानमंत्री मोदी ने भी 356 लगाकर विरोधी दल की सरकारें गिराई हैं

    प्रधानमंत्री मोदी इस आधार पर भाषण की शुरूआत करते हैं कि जनता को सिर्फ वही याद रहेगा जो वह उनसे सुनेगी. उनका यकीन इस बात पर लगता है और शायद सही भी हो कि पब्लिक तो तथ्यों की जांच करेगी नहीं, बस उनके भाषण के प्रवाह में बहती जाएगी. इसलिए वे अपने भाषण से ऐसी समां बांधते हैं जैसे अब इसके आर-पार कोई दूसरा सत्य नहीं है. लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के जवाब में उनका लंबा भाषण टीवी के ज़रिए प्रभाव डाल रहा था मगर इस बात से बेख़बर कि जनता जब तथ्यों की जांच करेगी तब क्या होगा.

  • झूठ के आसमान में रफाल की कीमतों का उड़ता सच- हिन्दू की रिपोर्ट

    झूठ के आसमान में रफाल की कीमतों का उड़ता सच- हिन्दू की रिपोर्ट

    मोदी सरकार का तर्क रहता है कि भारत और फ्रांस के बीच जो करार हुआ है उसकी गोपनीयता की शर्तों के कारण कीमत नहीं बता सकते. मगर उस करार में कहा गया है कि गोपनीयता की शर्तें रक्षा से संबंधित बातों तक ही सीमित हैं. यानी कीमत बताई जा सकती है. कीमत क्लासिफाइड सूचना नहीं है. विवाद से पहले जब डील हुई थी तब सेना और सिविल अधिकारियों ने मीडिया को ब्रीफ किया था और बकायदा कीमत बताई थी.

  • ट्रोलरों को रवीश कुमार की नसीहत: अपने साहब से बोलिए एक लाइव इंटरव्यू पर आएं, दुनिया हंस रही है

    ट्रोलरों को रवीश कुमार की नसीहत: अपने साहब से बोलिए एक लाइव इंटरव्यू पर आएं, दुनिया हंस रही है

    अपने नेता जी की सुविधा से आप सक्रिय होते हैं, मेरा नंबर पब्लिक करते हैं और फिर ख़ुद ही फ़ोन करते रहते हैं. अब मैं फ़ोन तो उठाता नहीं. आप आज दिन भर फ़ोन करते रहे. कई सौ नंबरों से फ़ोन आए. आपको क्यों लगता है कि साहब की राजनीति की सुविधा के हिसाब से मुझ पर दबाव बना लेंगे?

  • नौकरियों को लेकर नौटंकी बंद हो, ठीक-ठीक बात करें अमित शाह और कमलनाथ

    नौकरियों को लेकर नौटंकी बंद हो, ठीक-ठीक बात करें अमित शाह और कमलनाथ

    SSC CHSL 2016 की परीक्षा पास करने के बाद 614 नौजवानों को मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज़ में ज्वाइनिंग नहीं हो रही थी. 16 फरवरी, 2018 को रिजल्ट आ गया था. पांच महीने बाद इन्हें कमांड का आवंटन हुआ, मगर उसके बाद भी नियुक्तिपत्र का पता नहीं चला. फरवरी से सितंबर आ गया, साधारण घरों के ये नौजवान दिल्ली आकर भटकने लगे. 12 सितंबर के 'Prime Time' में हमने इनकी व्यथा दिखाई.

  • क्या सरकार की नज़र भारतीय रिज़र्व बैंक के रिज़र्व पर है?

    क्या सरकार की नज़र भारतीय रिज़र्व बैंक के रिज़र्व पर है?

    भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने 2010 में अर्जेंटीना के वित्त संकट का हवाला क्यों दिया कि केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच जब विवाद हुआ तो केंद्रीय बैंक के गवर्नर से इस्तीफा दे दिया और फिर वहां आर्थिक तबाही मच गई. एक समझदार सरकार अपने तात्कालिक सियासी फायदे के लिए एक ऐसी संस्था को कमतर नहीं करेगी जो देश के दूरगामी हितों की रक्षा करती है.

  • भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता में दखल क्यों?

    भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता में दखल क्यों?

    जब स्वदेशी जागरण मंच भारतीय रिजर्व बैंक को सलाह देने लगे कि उसे क्या करना है तो इसका मतलब यही है कि भारत में ईज ऑफ डूइंग वाकई अच्छा हो गया है. नोटबंदी के समय नोटों की गिनती में जो लंबा वक्त लगा, रिज़र्व बैंक ने सामान्य रिपोर्ट में नोटबंदी पर दो चार लाइन लिख दी, तब किसी को नहीं लगा कि उर्जित पटेल को इस्तीफा दे देना चाहिए. बल्कि तब रिजर्व बैंक को भी नहीं लगा कि सरकार हस्तक्षेप कर रही है. उसकी स्वायत्तता पर हमला हो रहा है. सबको उर्जित पटेल अर्जित पटेल लग रहे थे. अब उर्जित पटेल का इस्तीफा भी मांगा जा रहा है और उनके भी इस्तीफा देने की ख़बर आ रही है. 

  • एन इवनिंग इन पेरिस: डील, डीलर और पीएम

    एन इवनिंग इन पेरिस: डील, डीलर और पीएम

    एफ़िल टावर के नीचे बहती सीन नदी की हवा बनारस वाले गंगा पुत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पेरिस की शाम का हिसाब मांगने आ गई है. 10 अप्रैल 2015 की पेरिस यात्रा सिरे से संदिग्ध हो गई है. गंगा के सामने सीन बहुत छोटी नदी है लेकिन वो गंगा से बेहतर बहती है. उसके किनारे खड़ा एफ़िल टावर बनारस के पुल की तरह यूं ही हवा के झोंके से गिर नहीं जाता है. प्रधानमंत्री कब तक गंगा पुत्र भीष्म की तरह चुप्पी साधे रहेंगे. क्या अंबानी के लिए ख़ुद को इस महाभारत में भीष्म बना देंगे? न कहा जा रहा है न बचा जा रहा हैय 

  • राफेल डील: क्या पीएम को खुद सौदा तय करने का अधिकार?

    राफेल डील: क्या पीएम को खुद सौदा तय करने का अधिकार?

    फ्रांस की कंपनी दास्सो से खरीदे जाने वाले रफाल लड़ाकू विमान को लेकर फिर से अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और प्रशांत भूषण ने प्रेस कांफ्रेंस की है. तीनों की यह दूसरी प्रेस कांफ्रेंस है. पहले सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए सौदे का डिटेल नहीं दिया जा सकता है, लेकिन बाद में याद दिलाया गया कि रक्षा राज्य मंत्री तो नवंबर 2016 में ही संसद में रफाल विमान का दाम बता चुके थे. हाल ही में अरुण जेटली ने ब्लॉग लिखकर कांग्रेस को घेरा है. उसके बाद विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने भी लेख लिखा है. हम उन लेख में उठाए गए प्रश्नों और दावों के बारे में संक्षेप में बात करेंगे, लेकिन पहले सुनते हैं कि प्रशांत भूषण ने आज प्रेस कांफ्रेंस क्यों की.

  • लाखों नौकरियां चुरा रही हैं सरकारें, नौजवान खा रहे हैं झांसा

    लाखों नौकरियां चुरा रही हैं सरकारें, नौजवान खा रहे हैं झांसा

    क्या केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वह कह दिया, जो सब जानते हैं. उनका बयान आया कि आरक्षण लेकर क्या करोगे, सरकार के पास नौकरी तो है नहीं. बाद में नितिन गडकरी की सफाई आ गई कि सरकार आरक्षण का आधार जाति की जगह आर्थिक नहीं करने जा रही है, मगर इसी बयान का दूसरा हिस्सा भी था कि सरकार के पास नौकरी है नहीं.

'Ravish Kumar Blog On Pm Modi' - 20 News Result(s)
  • रवीश कुमार का ब्लॉग: मोदी जी को 400 नहीं 545 सीट दीजिए लेकिन उनकी भाषा मत लीजिए

    रवीश कुमार का ब्लॉग: मोदी जी को 400 नहीं 545 सीट दीजिए लेकिन उनकी भाषा मत लीजिए

    छह साल बाद अर्थव्यवस्था फेल है. इस दौरान जिनकी ज़िंदगी बर्बाद हुई उसे सुधरने में बहुत वक्त लग जाएगा. आप प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री की भाषा देखिए.

  • राहुल बजाज के 'डर के माहौल' वाले बयान के बाद रवीश कुमार की चिट्ठी, CII FICCI के नाम

    राहुल बजाज के 'डर के माहौल' वाले बयान के बाद रवीश कुमार की चिट्ठी, CII FICCI के नाम

    राहुल बजाज के बयान को मामूली बताने के लिए अभी तक कुछ अख़बारों में विज्ञापन दे देना था जैसे टेक्सटाइल वालों ने विज्ञापन देकर बताया था कि कैसे उनका सेक्टर बर्बाद हो गया है. तुरंत बयान दें कि सब ठीक है और भारत सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाला देश है. जब आपकी कार की स्पीड साठ से उतर कर बीस पर आती है तब आपको पता चलता है कि कार सुपर स्पीड से चल रही है.

  • कहां हैं नोटबंदी के दूरगामी परिणाम, तीन साल हो गए, आगामी कितने साल में आएगी दूरगामी

    कहां हैं नोटबंदी के दूरगामी परिणाम, तीन साल हो गए, आगामी कितने साल में आएगी दूरगामी

    8 नवंबर को एक और ख़बर आई है. रेटिंग एजेंसी मूडी ने भारत के कर्ज़ चुकाने की क्षमता को निगेटिव कर दिया है. इसका कहना है कि पांच तिमाही से आ रहे अर्थव्यवस्था में ढलान से कर्ज़ बढ़ता ही जाएगा. 2020 में बजट घाटा जीडीपी का 3.7 प्रतिशत हो जाएगा जो 3.3 प्रतिशत रखने के सरकार के लक्ष्य से बहुत ज़्यादा है. भारत की जीडीपी 6 साल में सबसे कम 5 प्रतिशत हो गई है.

  • अर्थव्यवस्था का ढलान जारी है फिर भी आयोजनों की भव्यता तूफानी है

    अर्थव्यवस्था का ढलान जारी है फिर भी आयोजनों की भव्यता तूफानी है

    आपको पता होगा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के दौरे पर हैं. चीन का भारत आना हमेशा ही महत्वपूर्ण घटना है. इस दौरे के लिए कहा गया है कि अनौपचारिक है.कोई एजेंडा नहीं है. दोनों नेता बयान नहीं देंगे. लेकिन इसका मतलब नहीं कि दौरा महत्वपूर्ण नहीं है.अनौपचारिक बातचीत में कई उलझे हुए मसलों पर खुलकर बातचीत होती है. दोनों नेता एक दूसरे का मन टोहते हैं.

  • क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूं

    क्या 2019 के चुनाव में मैं भी हार गया हूं

    2019 का जनादेश मेरे ख़िलाफ कैसे आ गया? मैंने जो पांच साल में लिखा बोला है क्या वह भी दांव पर लगा था? जिन लाखों लोगों की पीड़ा हमने दिखाई क्या वह ग़लत थी? मुझे पता था कि नौजवान, किसान और बैंकों में गुलाम की तरह काम करने वाले लोग भाजपा के समर्थक हैं. उन्होंने भी मुझसे कभी झूठ नहीं बोला. सबने पहले या बाद में यही बोला कि वे नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं. मैंने इस आधार पर उनकी समस्या को खारिज नहीं किया कि वे नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं. बल्कि उनकी समस्या वास्तविक थी इसलिए दिखाई. आज एक सांसद नहीं कह सकता कि उसने पचास हज़ार से अधिक लोगों को नियुक्ति पत्र दिलवाया है. मेरी नौकरी सीरीज़ के कारण दिल्ली से लेकर बिहार तक में लोगों को नियुक्ति पत्र मिला है. कई परीक्षाओं के रिज़ल्ट निकले. उनमें से बहुतों ने नियुक्ति पत्र मिलने पर माफी मांगी की वे मुझे गालियां देते थे. मेरे पास सैंकड़ों पत्र और मैसेज के स्क्रीन शॉट पड़े हैं जिनमें लोगों ने नियुक्ति पत्र मिलने के बाद गाली देने के लिए माफी मांगी है. इनमें से एक भी यह प्रमाण नहीं दे सकता कि मैंने कभी कहा हो कि नरेंद्र मोदी को वोट नहीं देना. यह ज़रूर कहा कि वोट अपने मन से दें, वोट देने के बाद नागरिक बन जाना.

  • चैनलों पर युद्ध का मंच सजा है, नायक विश्व शांति पुरस्कार लेकर लौटा है

    चैनलों पर युद्ध का मंच सजा है, नायक विश्व शांति पुरस्कार लेकर लौटा है

    मनमोहन सिंह ने ऐसा किया होता तो भाजपा मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस हो रही होती कि जब हमारे जवान मारे जा रहे हैं तो हमारे प्रधानमंत्री शांति पुरस्कार ले रहे हैं. चैनल युद्ध का माहौल बनाकर कवियों से दरबार सजवा रहे हैं और प्रधानमंत्री हैं कि शांति पुरस्कार लेकर घर आ रहे हैं. कहां तो ज्योति बने ज्वाला की बात थी, मां कसम बदला लूंगा का उफ़ान था लेकिन अंत में कहानी राम-लखन की हो गई है. वन टू का फोर वाली. मोदी को पता है.

  • प्रधानमंत्री मोदी ने भी 356 लगाकर विरोधी दल की सरकारें गिराई हैं

    प्रधानमंत्री मोदी ने भी 356 लगाकर विरोधी दल की सरकारें गिराई हैं

    प्रधानमंत्री मोदी इस आधार पर भाषण की शुरूआत करते हैं कि जनता को सिर्फ वही याद रहेगा जो वह उनसे सुनेगी. उनका यकीन इस बात पर लगता है और शायद सही भी हो कि पब्लिक तो तथ्यों की जांच करेगी नहीं, बस उनके भाषण के प्रवाह में बहती जाएगी. इसलिए वे अपने भाषण से ऐसी समां बांधते हैं जैसे अब इसके आर-पार कोई दूसरा सत्य नहीं है. लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के जवाब में उनका लंबा भाषण टीवी के ज़रिए प्रभाव डाल रहा था मगर इस बात से बेख़बर कि जनता जब तथ्यों की जांच करेगी तब क्या होगा.

  • झूठ के आसमान में रफाल की कीमतों का उड़ता सच- हिन्दू की रिपोर्ट

    झूठ के आसमान में रफाल की कीमतों का उड़ता सच- हिन्दू की रिपोर्ट

    मोदी सरकार का तर्क रहता है कि भारत और फ्रांस के बीच जो करार हुआ है उसकी गोपनीयता की शर्तों के कारण कीमत नहीं बता सकते. मगर उस करार में कहा गया है कि गोपनीयता की शर्तें रक्षा से संबंधित बातों तक ही सीमित हैं. यानी कीमत बताई जा सकती है. कीमत क्लासिफाइड सूचना नहीं है. विवाद से पहले जब डील हुई थी तब सेना और सिविल अधिकारियों ने मीडिया को ब्रीफ किया था और बकायदा कीमत बताई थी.

  • ट्रोलरों को रवीश कुमार की नसीहत: अपने साहब से बोलिए एक लाइव इंटरव्यू पर आएं, दुनिया हंस रही है

    ट्रोलरों को रवीश कुमार की नसीहत: अपने साहब से बोलिए एक लाइव इंटरव्यू पर आएं, दुनिया हंस रही है

    अपने नेता जी की सुविधा से आप सक्रिय होते हैं, मेरा नंबर पब्लिक करते हैं और फिर ख़ुद ही फ़ोन करते रहते हैं. अब मैं फ़ोन तो उठाता नहीं. आप आज दिन भर फ़ोन करते रहे. कई सौ नंबरों से फ़ोन आए. आपको क्यों लगता है कि साहब की राजनीति की सुविधा के हिसाब से मुझ पर दबाव बना लेंगे?

  • नौकरियों को लेकर नौटंकी बंद हो, ठीक-ठीक बात करें अमित शाह और कमलनाथ

    नौकरियों को लेकर नौटंकी बंद हो, ठीक-ठीक बात करें अमित शाह और कमलनाथ

    SSC CHSL 2016 की परीक्षा पास करने के बाद 614 नौजवानों को मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज़ में ज्वाइनिंग नहीं हो रही थी. 16 फरवरी, 2018 को रिजल्ट आ गया था. पांच महीने बाद इन्हें कमांड का आवंटन हुआ, मगर उसके बाद भी नियुक्तिपत्र का पता नहीं चला. फरवरी से सितंबर आ गया, साधारण घरों के ये नौजवान दिल्ली आकर भटकने लगे. 12 सितंबर के 'Prime Time' में हमने इनकी व्यथा दिखाई.

  • क्या सरकार की नज़र भारतीय रिज़र्व बैंक के रिज़र्व पर है?

    क्या सरकार की नज़र भारतीय रिज़र्व बैंक के रिज़र्व पर है?

    भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने 2010 में अर्जेंटीना के वित्त संकट का हवाला क्यों दिया कि केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच जब विवाद हुआ तो केंद्रीय बैंक के गवर्नर से इस्तीफा दे दिया और फिर वहां आर्थिक तबाही मच गई. एक समझदार सरकार अपने तात्कालिक सियासी फायदे के लिए एक ऐसी संस्था को कमतर नहीं करेगी जो देश के दूरगामी हितों की रक्षा करती है.

  • भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता में दखल क्यों?

    भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता में दखल क्यों?

    जब स्वदेशी जागरण मंच भारतीय रिजर्व बैंक को सलाह देने लगे कि उसे क्या करना है तो इसका मतलब यही है कि भारत में ईज ऑफ डूइंग वाकई अच्छा हो गया है. नोटबंदी के समय नोटों की गिनती में जो लंबा वक्त लगा, रिज़र्व बैंक ने सामान्य रिपोर्ट में नोटबंदी पर दो चार लाइन लिख दी, तब किसी को नहीं लगा कि उर्जित पटेल को इस्तीफा दे देना चाहिए. बल्कि तब रिजर्व बैंक को भी नहीं लगा कि सरकार हस्तक्षेप कर रही है. उसकी स्वायत्तता पर हमला हो रहा है. सबको उर्जित पटेल अर्जित पटेल लग रहे थे. अब उर्जित पटेल का इस्तीफा भी मांगा जा रहा है और उनके भी इस्तीफा देने की ख़बर आ रही है. 

  • एन इवनिंग इन पेरिस: डील, डीलर और पीएम

    एन इवनिंग इन पेरिस: डील, डीलर और पीएम

    एफ़िल टावर के नीचे बहती सीन नदी की हवा बनारस वाले गंगा पुत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पेरिस की शाम का हिसाब मांगने आ गई है. 10 अप्रैल 2015 की पेरिस यात्रा सिरे से संदिग्ध हो गई है. गंगा के सामने सीन बहुत छोटी नदी है लेकिन वो गंगा से बेहतर बहती है. उसके किनारे खड़ा एफ़िल टावर बनारस के पुल की तरह यूं ही हवा के झोंके से गिर नहीं जाता है. प्रधानमंत्री कब तक गंगा पुत्र भीष्म की तरह चुप्पी साधे रहेंगे. क्या अंबानी के लिए ख़ुद को इस महाभारत में भीष्म बना देंगे? न कहा जा रहा है न बचा जा रहा हैय 

  • राफेल डील: क्या पीएम को खुद सौदा तय करने का अधिकार?

    राफेल डील: क्या पीएम को खुद सौदा तय करने का अधिकार?

    फ्रांस की कंपनी दास्सो से खरीदे जाने वाले रफाल लड़ाकू विमान को लेकर फिर से अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और प्रशांत भूषण ने प्रेस कांफ्रेंस की है. तीनों की यह दूसरी प्रेस कांफ्रेंस है. पहले सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए सौदे का डिटेल नहीं दिया जा सकता है, लेकिन बाद में याद दिलाया गया कि रक्षा राज्य मंत्री तो नवंबर 2016 में ही संसद में रफाल विमान का दाम बता चुके थे. हाल ही में अरुण जेटली ने ब्लॉग लिखकर कांग्रेस को घेरा है. उसके बाद विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने भी लेख लिखा है. हम उन लेख में उठाए गए प्रश्नों और दावों के बारे में संक्षेप में बात करेंगे, लेकिन पहले सुनते हैं कि प्रशांत भूषण ने आज प्रेस कांफ्रेंस क्यों की.

  • लाखों नौकरियां चुरा रही हैं सरकारें, नौजवान खा रहे हैं झांसा

    लाखों नौकरियां चुरा रही हैं सरकारें, नौजवान खा रहे हैं झांसा

    क्या केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वह कह दिया, जो सब जानते हैं. उनका बयान आया कि आरक्षण लेकर क्या करोगे, सरकार के पास नौकरी तो है नहीं. बाद में नितिन गडकरी की सफाई आ गई कि सरकार आरक्षण का आधार जाति की जगह आर्थिक नहीं करने जा रही है, मगर इसी बयान का दूसरा हिस्सा भी था कि सरकार के पास नौकरी है नहीं.