Rajpal And Sons
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'Rajpal And Sons' - 1 News Result(s)
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पुस्तक समीक्षा : इतनी सारी देवियां, इतनी सारी स्त्रियां, इतनी सारी कथाएं...
- Friday February 3, 2017
- प्रियदर्शन
किताब निश्चय ही पठनीय है और विचारणीय भी. प्रभात रंजन के किए अनुवाद में प्रवाह है और भाव अटकते नहीं. बेशक एकाध जगह पर शायद बेध्यानी में कुछ चीज़ें छूटी हैं...
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ndtv.in
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पुस्तक समीक्षा : इतनी सारी देवियां, इतनी सारी स्त्रियां, इतनी सारी कथाएं...
- Friday February 3, 2017
- प्रियदर्शन
किताब निश्चय ही पठनीय है और विचारणीय भी. प्रभात रंजन के किए अनुवाद में प्रवाह है और भाव अटकते नहीं. बेशक एकाध जगह पर शायद बेध्यानी में कुछ चीज़ें छूटी हैं...
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