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किसान की पत्नी का 1.5 लाख रुपये का मंगल सूत्र निगल गया बैल, 8 दिन बाद हुआ ये
- Monday September 16, 2019
- Written by: ऋतुराज त्रिपाठी
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पोला बहुत ही पॉपुलर त्योहार है. इस त्योहार को किसानों द्वारा मनाया जाता है. जिसमें वह अपने बैलों की पूजा करते हैं और उन्हें तरह-तरह की चीजें खिलाते हैं. इसमें एक और रिवाज है जिसे बेल पूजा कहते हैं. इसमें घर के सदस्य अपनी सोने की चीजों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें बैल के सिर से लगाकर दुआ मांगते हैं. इंडिया टुडे के मुताबिक महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रायटे वाघापुर गांव में बाबूराव शिंदे की पत्नी इसी रीति रिवाज को पूरा कर रही थीं. उन्होंने अपने 1.5 लाख रुपए के सोने के मंगलसूत्र को बैल के सिर पर लगाया और फिर भूल से उस मंगलसूत्र को मीठी चपाती की प्लेट में रख दिया. यह वही प्लेट थी जिसे बैल को खिलाना था.
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ndtv.in
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गधों को फूलों से सजाकर की पूजा, महाराष्ट्र में ऐसे मनाया गया ‘गधा पोला’
- Saturday August 31, 2019
- Reported by: भाषा, Edited by: रेणु चौहान
महाराष्ट्र में ‘पोला’ त्योहार बैलों को समर्पित है, लेकिन अकोला जिले में कुछ समुदाय इस दिन गधों को पूजा करते हैं जिसे ‘गधा पोला’ कहते हैं. महाराष्ट्र के किसान किसानी में पूरे साल हाड़-तोड़ मेहनत के प्रति आभार प्रकट करने लिए ’पोला’ (जिसे ‘बैल पोला’ भी कहते हैं) के दिन बैलों और सांड की पूजा करते हैं. यह त्योहार इस साल 30 अगस्त को मनाया गया.
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महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पोला बहुत ही पॉपुलर त्योहार है. इस त्योहार को किसानों द्वारा मनाया जाता है. जिसमें वह अपने बैलों की पूजा करते हैं और उन्हें तरह-तरह की चीजें खिलाते हैं. इसमें एक और रिवाज है जिसे बेल पूजा कहते हैं. इसमें घर के सदस्य अपनी सोने की चीजों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें बैल के सिर से लगाकर दुआ मांगते हैं. इंडिया टुडे के मुताबिक महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रायटे वाघापुर गांव में बाबूराव शिंदे की पत्नी इसी रीति रिवाज को पूरा कर रही थीं. उन्होंने अपने 1.5 लाख रुपए के सोने के मंगलसूत्र को बैल के सिर पर लगाया और फिर भूल से उस मंगलसूत्र को मीठी चपाती की प्लेट में रख दिया. यह वही प्लेट थी जिसे बैल को खिलाना था.
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महाराष्ट्र में ‘पोला’ त्योहार बैलों को समर्पित है, लेकिन अकोला जिले में कुछ समुदाय इस दिन गधों को पूजा करते हैं जिसे ‘गधा पोला’ कहते हैं. महाराष्ट्र के किसान किसानी में पूरे साल हाड़-तोड़ मेहनत के प्रति आभार प्रकट करने लिए ’पोला’ (जिसे ‘बैल पोला’ भी कहते हैं) के दिन बैलों और सांड की पूजा करते हैं. यह त्योहार इस साल 30 अगस्त को मनाया गया.
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