विज्ञापन
This Article is From Sep 12, 2015

मराठवाड़ा के किसानों के लिए पोला पर्व भी पड़ा फीका

मराठवाड़ा के किसानों के लिए पोला पर्व भी पड़ा फीका
महाराष्ट्र के कई इलाकों में पोला पर्व मनाया जाता है
तलेगांव, मराठवाड़ा: पिठोरी अमावस्या पर महाराष्ट्र के कई हिस्सों में पोला पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर घरों में बैलों की पूजा होती है, उन्हें नहला-धुला कर सजाया जाता है, फिर घर में बने पकवान भी बैलों को खिलाएं जाते हैं। लेकिन मराठवाड़ा के कई किसानों के लिए पोला इस बार पोला गांव में नहीं सरकारी चाराघरों में मनेगा। सूखे की वजह से किसान अपने मवेशियों को इन चाराघरों में रखने के लिए मजबूर हैं।
 

तलेगांव के करीब चराठा फाटा में खुले सरकारी चाराघर में तकरीबन 3200 गाय, बैल और भैंसे हैं। तकरीबन 3000 और आने वाले हैं, 22 गांव के 750 किसान अपने मवेशियों के साथ यहां 25 दिनों से रह रहे हैं क्योंकि गांव में अपने जानवरों को खिलाने के लिए उनके पास चारा तक नहीं है।
 

इस छावनी में 45 साल के नवनाथ वैजनाथ बागलानी, बीड जिले के काके़ड़हारा गांव से आए हैं। 5 एकड़ की खेती में कपास लगाया था, फसल बर्बाद हो गई। गांव में अपने 2 बैलों और 5 भैसों को खिलाने तक का चारा नहीं था इसलिए चराठा फाटा के करीब इस सरकारी चाराघर में आना पड़ा। बागलानी ने बताया 'अकाल है इसलिए मैं यहां पर आया हूं, घर में रहते पूरी खुशी के साथ अच्छे से हम पोला मनाते।'
 

राम किशन बागलानी भी 5 एकड़ खेत के मालिक हैं। खेतों में लगी कपास बर्बाद हो गई थोड़ी बहुत उम्मीद सोयाबीन से है, लेकिन फिलहाल ना गांव में पानी है ना चारा, लिहाजा उन्हें भी पर्व के दिन गांव से दूर रहना पड़ रहा है।राम किशन का भी यही कहना है कि 'अकाल है इसलिए यहां आए हैं, गांव में जानवरों को खिलाने के लिए चारा नहीं है, पानी नहीं है। आज पोला है लेकिन फिर भी हम यहां पर हैं।'
 

महाराष्ट्र सरकार ने सूखे के मद्देनजर कई जगहों पर मवेशियों के लिए सरकारी चाराघर खोले हैं, लेकिन ऐसे पर्व के मौके पर हर किसान को अपने गांव-घर की ही याद आती है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com